पीडीपी के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर महबूबा ने कहा कि राज्य में ख़ून-खराबा रोकने की ख़ातिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान ख़ान की ओर से बढ़ाया गया दोस्ती का हाथ कबूल करें.
श्रीनगर: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि उन्होंने 2016 में अपने पिता मुफ़्ती मुहम्मद सईद के निधन के बाद भाजपा के साथ गठबंधन मजबूरी में जारी रखकर ‘जहर का प्याला पिया’ था.
महबूबा ने दावा किया कि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन इसलिए किया था क्योंकि उनकी पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बताया कि यदि वह भाजपा के साथ सरकार बनाने के सईद के फैसले के खिलाफ गईं तो वह सईद के फैसले की ‘बेइज्ज़ती’ करना होगा.
उन्होंने कहा, ‘अल्लाह गवाह है कि मेरी राजनीति मेरे पिता (सिद्धांतों) से शुरू हुई और उन्हीं पर समाप्त होगी. यही कारण है कि जब उन्होंने दुनिया छोड़ी मैं सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं थी. मुझे तीन महीने का समय लगा… मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगी. मैंने केवल जम्मू कश्मीर के लोगों को वर्तमान स्थिति से बाहर निकालने के अपने पिता के एजेंडे को पूरा करने के बारे में सोचा.’
उन्होंने यहां अपनी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर कहा, ‘उस समय कार्यकर्ताओं, विधायकों और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने मुझसे कहा कि यह फैसला मुफ्ती साहब द्वारा किया गया था और आपको यह जहर पीना होगा और अपने सिर पर यह आग लेकर चलना होगा. अगर आप ऐसा नहीं करेंगी तो यह मुफ्ती साहब के फैसले की बेइज्ज़ती होगी.’
महबूबा ने कहा कि यहां तक कि जब उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बनाने की सहमति दी, उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा था कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर किसी अन्य व्यक्ति को चुन लें.
उन्होंने कहा, ‘वे लोग यहीं हैं. मैंने इनसे कहा था कि अगर आप सरकार बनाना चाहते हैं तो कोई और नेता चुन लें क्योंकि मैं इस काबिल नहीं हूं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘केंद्र के नेताओं के आश्वासन, बार-बार गठबंधन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के चलते मैं सरकार बनाने को तैयार हुई.’
भाजपा बीते दिनों राज्य में पीडीपी के गठबंधन से अलग हो गई थी और सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद 19 जून को उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. भाजपा ने उस समय यह कहा था कि राज्य में बढ़ते आतंकवाद और कट्टरपंथ के बीच सरकार का हिस्सा बने रहना नामुमकिन होता जा रहा है.
इमरान खान की ‘दोस्ती’ की पेशकश कबूल करें प्रधानमंत्री मोदी
महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील भी की कि वह राज्य में खूनखराबा रोकने की खातिर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान की ओर से बढ़ाया गया ‘दोस्ती का हाथ’ कबूल करें.
क्रिकेटर से नेता बने इमरान ने पाकिस्तान के आम चुनावों में अपनी पार्टी की जीत के बाद पहले सार्वजनिक संबोधन में कहा था कि वह भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार चाहेगी कि दोनों पक्षों के नेता कश्मीर सहित सभी अहम मसले बातचीत के जरिए सुलझाएं.
नेशनल असेंबली के चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी पीटीआई के प्रमुख इमरान ने इस बात पर जोर दिया था कि दोनों पड़ोसियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला खत्म होना चाहिए.
स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक रैली में कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करती हूं. पाकिस्तान में नई सरकार बनेगी और नया प्रधानमंत्री होगा, जिसने भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. उन्होंने (इमरान ने) वार्ता की बात कही है. उन्हें (मोदी को) इस पर सकारात्मक जवाब देना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘यह मेरा अनुरोध है कि उन्हें (मोदी को) इस मौके का फायदा उठाकर इमरान खान की तरफ से की गई दोस्ती की पेशकश पर सकारात्मक जवाब देना चाहिए.’
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि आगामी चुनाव पाकिस्तान के साथ मेल-मिलाप की प्रक्रिया शुरू करने में बाधा नहीं बनना चाहिए.
महबूबा ने कहा, ‘चुनाव तो आते-जाते रहते हैं. (तत्कालीन प्रधानमंत्री) अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था और सीमा पर संघर्ष विराम भी हुआ था. यह राजनेता जैसे गुण हैं, ऐसे नेता चुनावों के बारे में नहीं बल्कि लोगों के बारे में सोचते हैं. जम्मू-कश्मीर हमारे देश के प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.’
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा सुलझाने और राज्य में खूनखराबा खत्म करने वाले प्रधानमंत्री का नाम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)