बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर शहर स्थित सरकारी बालिका गृह को सेवा संकल्प एवं विकास समिति की ओर से संचालित किया जाता था. सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथों में ली.
पटना/नई दिल्ली: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर शहर में स्थित एक बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो चुकी है. इससे पहले यहां रह रहीं 29 लड़कियों से बलात्कार की पुष्टि हुई थी.
बलात्कार की शिकार हुई लड़कियों में से कुछ 7 से 13 साल के बीच की हैं. दैनिक भास्कर से बातचीत में मुज़फ़्फ़रपुर एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया है कि 42 में से 34 लड़कियों के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो चुकी है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार से पहले लड़कियों को मिर्गी का इंजेक्शन देकर उन्हें बेहोश किया जाता है. लड़कियों के इलाज के लिए बालिका गृह के ऊपर एक कमरा बना हुआ था. बीते शनिवार को पुलिस ने यहां छापा मारकर 63 तरह की दवाएं जब्त की हैं.
मालूम हो कि मुज़फ़्फ़रपुर के साहू रोड स्थित इस सरकारी बालिका गृह को सेवा संकल्प एवं विकास समिति की ओर से संचालित किया जाता था.
मामला तब प्रकाश में आया जब इस साल के शुरू में मुंबई के एक संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी समाज लेखा रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.
इस सोशल ऑडिट के आधार पर बिहार सामाजिक कल्याण विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई. पीड़ित लड़कियों में से कुछ के गर्भवती होने की भी ख़बर सामने आई थी.
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि बालिका गृह में कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है. बालिका गृह चलाने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को कालीसूची में डाल दिया गया है और लड़कियों को पटना एवं मधुबनी के बालिका गृहों में स्थानांतरित कर दिया गया है.
इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों- किरण कुमारी, मंजू देवी, इंदू कुमारी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, विकास कुमार एवं रवि कुमार रौशन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.
एक अन्य फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के लिए इश्तेहार दिए गए हैं और कुर्की की कार्रवाई की जा रही है.
सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली
बालिका गृह में बच्चियों के साथ बलात्कार मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है. एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. सीबीआई ने बालिका गृह के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘आरोप है कि सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह के अधिकारियों/कर्मचारियों ने यहां रह रही बालिकाओं का मानसिक, शारीरिक एवं यौन उत्पीड़न किया.’
दो मंत्रियों पर लगे हैं आरोप
इस मामले में राज्य सरकार के दो मंत्रियों पर भी आरोप लगाए गए हैं. गिरफ्तार किए गए एक आरोपी ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी (सीपीओ) रवि कुमार रौशन की पत्नी शिवा कुमारी सिंह ने राज्य की समाज कल्याण विभाग मंत्री मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा पर बालिका गृह में आने-जाने का आरोप लगाया है.
शिवा कुमारीने आरोप लगाया था कि उनके पति ने बालिका गृह को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने को लेकर समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखा गया था.
महिला ने पूछा कि उनके पति द्वारा लिखे गए पत्र पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. महिला ने यह भी पूछा कि समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा बालिका गृह में अपने साथ जाने वाले अधिकारियों को बाहर छोड़कर उसके भीतर क्या करने जाते थे? वहां की लड़कियां उन्हें ‘नेताजी’ के तौर जानती थीं.
हालांकि मंजू वर्मा में इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि अगर आरोप साबित होते हैं तो वह पद से इस्तीफ़ा दे देंगी.
समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजू वर्मा के अलावा नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने भी अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को ख़ारिज किया है. उन्होंने भी चुनौती दी है कि इस मामले में कहीं से कोई संलिप्तता साबित होती है तो वे पद छोड़ देंगे.
दरअसल बीते 26 जुलाई को तेजस्वी प्रसाद यादव ने सुरेश शर्मा का नाम लिए बिना आरोप लगाया था कि इस मामले में बिहार सरकार के एक स्थानीय मंत्री की भी संलिप्तता की चर्चा है जो कि हाल में पश्चिम बंगाल की यात्रा के क्रम में ‘कारनामा’ (एक होटल में मारपीट) किया था.