बिहार बालिका गृह यौन शोषण: पीड़िताओं के फोटो प्रकाशन और इंटरव्यू पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

शीर्ष अदालत ने कहा कि मीडिया द्वारा पीड़िताओं का साक्षात्कार लेकर उन्हें बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. साथ ही, अदालत ने मामले में केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि मीडिया द्वारा पीड़िताओं का साक्षात्कार लेकर उन्हें बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. साथ ही, अदालत ने मामले में केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा है.

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(फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में राज्य वित्त पोषित एक एनजीओ द्वारा संचालित एक आश्रय गृह में नाबालिग लड़कियों के कथित यौन शोषण की घटनाओं पर केंद्र और बिहार सरकार से गुरुवार को जवाब मांगा.

जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की एक पीठ ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और आश्रय गृह में कथित यौन शोषण की शिकार लड़कियों का मीडिया द्वारा बार-बार साक्षात्कार लिए जाने पर भी चिंता जताई.

पीठ ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किए और कथित पीड़िताओं की तस्वीरों का रूप बदलकर भी इन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित करने पर रोक लगाई.

न्यायालय ने मीडिया को कथित यौन शोषित पीड़िताओं का साक्षात्कार नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि उन्हें बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

पीठ ने पटना से रणविजय कुमार नामक एक व्यक्ति का एक पत्र मिलने के बाद इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और आश्रय गृह में कथित यौन शोषण की शिकार लड़कियों का मीडिया द्वारा बार-बार साक्षात्कार लिए जाने पर चिंता जताई.

शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी पीड़िताओं से पूछताछ के दौरान पेशेवर काउंसलर और योग्य बाल मनोचिकित्सकों की मदद लेगी. सीबीआई को आश्रय गृह में फॉरेंसिक जांच करने के निर्देश दिए गए हैं.

सीबीआई को आश्रय गृह में फॉरेंसिक जांच करने के निर्देश दिए गए हैं.

मामले की अगली सुनवाई सात अगस्त को होगी.

गौरतलब है कि मामला तब प्रकाश में आया था जब मुंबई के एक संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी समाज लेखा रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.

इस सोशल ऑडिट के आधार पर बिहार सामाजिक कल्याण विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई. पीड़ित लड़कियों में से कुछ के गर्भवती होने की भी ख़बर सामने आई थी.

इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.

एक अन्य फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के लिए इश्तेहार दिए गए हैं और कुर्की की कार्रवाई की जा रही है. मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई है. सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है और नए सिरे केस दर्ज किया है.

बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो चुकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)