ओडिशा: रिश्तेदार के शव को साइकिल से बांधकर ले जाना पड़ा श्मशान, गांववालों ने कर दिया था बहिष्कार

आरोप है कि दूसरी जाति की एक महिला से शादी करने के कारण 60 साल के चतुरभुजा बांका को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था इसलिए लाश को ले जाने में किसी ने भी उनकी मदद नहीं की.

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आरोप है कि दूसरी जाति की एक महिला से शादी करने के कारण 60 साल के चतुरभुजा बांका को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था इसलिए लाश को ले जाने में किसी ने भी उनकी मदद नहीं की.

odisha budh district
(फोटो साभार: ट्विटर)

भुवनेश्वर: ओडिशा के बौद्ध जिले में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की बहन के शव को अंतिम संस्कार के लिए साइकिल पर बांधकर ले जाना पड़ा. बताया जा रहा है कि दूसरी जाति की महिला से शादी करने के कारण उस शख्स को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. इसकी वजह से कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया, जिसके चलते वह ऐसा करने के लिए मजबूर हो गया.

अधिकारियों ने कहा कि यह घटना दो अगस्त को जिले के कृष्णपाली गांव में हुई, जहां 60 साल के चतुरभुजा बांका को अपनी पत्नी की बहन पंचा महाकुड (40) के शव को अपनी साइकिल से बांधकर श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा.

उन्होंने कहा कि बांका की पत्नी और साली को डायरिया होने पर बौद्ध के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गुरुवार को साली की मौत होने पर उसका शव राज्य सरकार की ‘महापरायण योजना’ के तहत एंबुलेंस में गांव लाया गया. इस योजना के तहत सिर्फ अस्पताल से लेकर घर तक शव पहुंचाने की सुविधा दी जाती है.

आरोप है कि महिला के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के लिए कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया क्योंकि दूसरी जाति की एक महिला से दूसरी बार शादी करने पर वह समाज द्वारा अघोषित बहिष्कार का सामना कर रहा था. हालांकि, अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया है.

कुछ गांववालों ने बताया कि बांका, जो कि कृषि मजदूर हैं, जमीन विवाद की वजह से अपने परिवारवालों से अलग हो गए थे. कुछ छोटे-मोटे कारणों की वजह से ग्रामीणों ने उनका सहयोग नहीं किया.

हालांकि गांव के कई लोगों ने लाश को ले जाते हुए बांका की तस्वीर ली और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया लेकिन किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की. फोटो लेने वालों से जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने दावा किया कि बांका को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया था.

उन्होंने बताया कि बांका को उनकी पत्नी की इलाज के लिए रेड क्रॉस से 10,000 रुपये दिए गए थे. वहीं ब्राह्मणिपली पंचायत की सरपंच सुषमा बाग ने कहा कि बांका को हरिश्चंद योजना के तहत उनकी साली के संस्कार के लिए 2,000 रुपये दिया गया था.

इस मामले को लेकर ओडिशा की राजनीति भी तेज हो गई है. राज्य में विपक्षी दल भाजपा की राज्य ईकाई के अध्यक्ष बसंता पांडा ने बीजू जनता दल (बीजेडी) सरकार पर हमला बोलते कहा कि ये सरकार गरीबों के प्रति अक्षम, निष्क्रिय और असंवेदनशील है.

उन्होंने कहा कि बीजेडी सरकार विकास के दावे कर रही है लेकिन राज्य में बहिष्कार करने जैसी बुरी प्रथा हो रही है.

बता दें कि तीन साल पहले भी एक इसी तरह का मामला सामने आया था. दाना मांझी नाम के एक आदिवासी शख्स को अपनी पत्नी को कंधे पर लादकर हॉस्पिटल से लेकर कालाहांडी जिले के एक गांव में 10 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ा था क्योंकि उसे एंबुलेंस की सुविधा नहीं दी गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)