नरोदा गाम दंगा: एसआईटी ने कहा, कोडनानी करीब 10 मिनट तक घटनास्थल पर मौजूद थीं

बीते दो अगस्त को एसआईटी ने माया कोडनानी के पक्ष में दिए गए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान की विश्ववसनीयता पर सवाल उठाया था. 2002 में नरोदा गाम में हुए दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी.

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अमित शाह (फोटो: रॉयटर्स) गुजरात दंगा (फाइल फोटो: पीटीआई) माया कोडनानी (फोटो: पीटीआई)

बीते दो अगस्त को एसआईटी ने माया कोडनानी के पक्ष में दिए गए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान की विश्ववसनीयता पर सवाल उठाया था. 2002 में नरोदा गाम में हुए दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी.

अमित शाह (फोटो: रॉयटर्स) गुजरात दंगा (फाइल फोटो: पीटीआई) माया कोडनानी (फोटो: पीटीआई)
अमित शाह (फोटो: रॉयटर्स) गुजरात दंगा (फाइल फोटो: पीटीआई) माया कोडनानी (फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात के नरोदा गाम में वर्ष 2002 में हुए नरसंहार की जांच कर रही उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी ने शुक्रवार को अहमदाबाद की विशेष अदालत को बताया कि मुख्य आरोपी एवं राज्य की पूर्व मंत्री मायाबेन कोडनानी करीब 10 मिनट तक घटनास्थल पर मौजूद थीं और ‘भीड़ को भड़काने’ के बाद वह वहां से चली गयीं.

विशेष लोक अभियोजक गौरांग व्यास ने शुक्रवार की सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश एमके दवे को बताया कि गोधरा में ट्रेन जलाए जाने की घटना के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को नरोदा गाम में सुबह करीब नौ बजे कोडनानी की मौजूदगी के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों के रूप में हमारे पास ठोस सबूत हैं.

बीते दो अगस्त को व्यास ने कोडनानी के पक्ष में दिए गए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान की विश्वनीयता पर भी सवाल उठाए थे.

कोडनानी के बचाव में पेश गवाहों के दावों पर भी व्यास ने सवाल खड़े किए. बचाव पक्ष के गवाहों ने दावा किया था कि उस दिन माया कोडनानी या तो गांधीनगर स्थित गुजरात विधानसभा में थी या फिर अहमदाबाद के अपने अस्पताल या सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं.

कोडनानी ने अपने बचाव में अदालत में दावा किया था कि 28 फरवरी की सुबह वह गांधीनगर में विधानसभा में थीं और उसके बाद वह सोला सिविल अस्पताल गई थीं जहां गोधरा से ‘कारसेवकों’ के शव लाए गए थे.

व्यास इस बात पर कायम थे कि सुबह करीब 8:40 बजे पर गांधीनगर से रवाना होने के बाद कोडनानी सुबह करीब नौ बजे नरोदा गाम पहुंचीं. उन्होंने कहा कि कोडनानी के मोबाइल टावर लोकेशन के रिकॉर्ड के अनुसार वह सुबह करीब 10 बजे सोला इलाके पहुची थीं.

प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही का हवाला देते हुए व्यास ने कहा कि उस इलाके के लोगों ने सुबह नरोदा गाम में कोडनानी को देखा था. उन्होंने कहा कि कोडनानी के ख़िलाफ़ मामला मुख्यत: नरोदा गाम इलाके के बाहर भीड़ को भड़काने वाला भाषण देने के बारे में है.

व्यास ने कहा, ‘प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि वहां वह करीब 10 मिनट रहीं. वह इलाके में नहीं गईं. उन्होंने भीड़ को भड़काने वाला भाषण दिया और फिर चली गईं. यह मामला मुख्यत: भीड़ को भड़काने का है.’

मामले की अगली सुनवाई छह अगस्त को होगी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, छह अगस्त को कोर्ट तहलका पत्रिका के पूर्व पत्रकार आशीष खेतान द्वारा गुजरात दंगों से जुड़े स्टिंग आॅपरेशन की सीडी देखेगी.

इसके अलावा साल 2002 में स्थानीय पुलिस द्वारा अपराध स्थल से बनाए वीडियो और 2008 में एसआईटी द्वारा बनाए गए वीडियो को कोर्ट देखेगी.

नरोदा गाम मामला वर्ष 2002 में गुजरात के सांप्रदायिक दंगे के उन नौ मामलों में से एक है जिनकी जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में ट्रेन जलाए जाने के बाद बुलाए गए बंद के दौरान भड़के दंगों के दौरान नरोदा गाम में मुस्लिम समुदाय के 11 लोग मारे गए थे.

दंगा भड़काने और हत्या के अलावा कोडनानी के ख़िलाफ़ आपराधिक षड्यंत्र और हत्या की कोशिश का मामला भी दर्ज है.

नरोदा पाटिया दंगा मामला, जिसमें 96 लोग मारे गए थे, में माया कोडनानी को 28 साल क़ैद की सज़ा मिल चुकी थी. हालांकि इस साल अप्रैल में गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया था. वर्ष 2002 में विधायक रहीं कोडनानी को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में 2007 में कनिष्ठ मंत्री बनाया गया था.

कोडनानी के बचाव में शाह का बयान विश्ववसनीय नहीं: एसआईटी

इससे पहले बीते दो अगस्त को एसआईटी ने मामले में सुनवाई कर रही विशेष अदालत से कहा है कि मुख्य आरोपी एवं राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी के बचाव में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का बयान ‘विश्वसनीय’ नहीं है और इस पर विचार नहीं होना चाहिए.

पिछले साल सितंबर में शाह कोडनानी के पक्ष में बयान देने के लिए बचाव पक्ष की ओर से पेश हुए थे. उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें पेशी की अनुमति दी जाए ताकि वह कोडनानी के उस पक्ष में अपना बयान दे सकें कि वह मौका-ए-वारदात के दौरान उपस्थित नहीं थीं और उस वक़्त वह विधानसभा में मौजूद थीं. इसके बाद वर्ष 2002 में जिस दिन दंगा भड़का (नरोदा गाम में नहीं) उस दिन वह सोला सिविल अस्पताल में थीं.

विशेष सरकारी वकील गौरांग व्यास ने न्यायाधीश एम के दवे को बताया था कि कोडनानी के बचाव में शाह के बयान का कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह काफी समय बीत जाने के बाद दिया गया.

व्यास ने यहां अदालत को बताया, ‘शाह का बयान विश्वसनीय नहीं है क्योंकि किसी अन्य आरोपी ने सोला सिविल अस्पताल में कोडनानी की मौजूदगी का उल्लेख नहीं किया.’

शाह ने अदालत को बताया था कि वह गांधीनगर में गुजरात विधानसभा में कोडनानी से मिले थे और बाद में दंगा वाले दिन वह उनसे अहमदाबाद में सोला सिविल अस्पताल में मिले थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)