सबसे ज़्यादा 2,433.87 करोड़ रुपये का जुर्माना भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने वसूला है जो कि कुल जुर्माना राशि का लगभग 50 प्रतिशत है.
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों और निजी क्षेत्र के तीन प्रमुख बैंकों ने बीते वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान खाते में न्यूनतम राशि नहीं रख पाने को लेकर उपभोक्ताओं से 5,000 करोड़ रुपये वसूले हैं.
शुक्रवार को वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने एक सवाल के लिखित जवाब में लोकसभा में ये आंकड़े पेश किए. इस मामले में सबसे ज्यादा 2,433.87 करोड़ का जुर्माना भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने वसूला है जो कि कुल जुर्माना राशि का लगभग 50 प्रतिशत है.
उल्लेखनीय है कि एसबीआई को बीते वित्त वर्ष में 6,547 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है. यदि बैंक को यह अतिरिक्त आय नहीं होती, तो उसका नुकसान और ऊंचा रहता.
कुल 24 बैंकों द्वारा उभोक्ताओं से न्यूनतम राशि नहीं रखने के कारण 4,989.55 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना वसूला गया है. एसबीआई के बाद दूसरे नंबर पर निजी बैंक एचडीएफसी है.
एचडीएफसी बैंक ने 590.84 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना वसूला है. वहीं एक्सिस बैंक ने 530.12 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई बैंक ने 317.60 करोड़ रुपये वसूले हैं.
इससे पहले वित्त वर्ष 2016-17 में बैंकों ने 2319.29 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना वसूला था. इस हिसाब से देखें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल 2,670.26 करोड़ की अधिक राशि वसूली गई है.
एसबीआई ने 2012 तक खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना वसूला था. इसके बाद एक अक्टूबर 2017 से बैंक ने फिर से यही व्यवस्था शुरू कर दी है. भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार बैंकों को सेवा-अन्य शुल्क वसूलने का अधिकार है.
इससे पहले जनवरी महीने में खबर आई थी कि एसबीआई ने वित्त वर्ष 2017-18 के सिर्फ सात महीने में न्यूनतम बैलेंस नहीं रख पाने की वजह से ग्राहकों से 1700 करोड़ रुपये वसूल लिए.
इसे लेकर भारी विरोध हुआ था जिसके चलते एसबीआई को अपने नियमों में बदलाव करना पड़ा था. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक एसबीआई ने अप्रैल 2018 से मिनिमम बैलेंस के नियमों और जुर्माना राशि में बदलाव किया है.
एसबीआई के मुकाबले एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स जैसे बैंकों की बचत खातों में जुर्माने का प्रतिशत काफी ज्यादा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)