सुप्रीम कोर्ट के कुछ वरिष्ठ जजों ने जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति में वरिष्ठता के क्रम को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश सबसे पहले की थी इसलिए उन्हें वरिष्ठता के क्रम में पहले नंबर पर रखा जाना चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए जस्टिस केएम जोसेफ ने मंगलवार को साढ़े दस बजे सुप्रीम कोर्ट के जज के पद की शपथ ली. उन्हें वरिष्ठता के क्रम में तीसरे नंबर पर शपथ दिलाई गई. गौरतलब है कि उनकी वरिष्ठता का क्रम बीते दिनों से विवाद में रहा है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शपथ दिलाई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने केएम जोसेफ की वरिष्ठता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों की आपत्तियों को खारिज कर दिया था. जस्टिस जोसेफ के अलावा जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस विनीत सरन ने भी शपथ ली.
सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सरकार ने तीनों जजों की नियुक्ति की नोटिफिकेशन जारी करते वक्त उनकी वरिष्ठता का ध्यान रखा है और ये प्रक्रिया वैध, पारदर्शी और पारंपरिक तरीके से हुई है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के कुछ सीनियर जजों ने जस्टिस केएम जोसेफ की वरिष्ठता को लेकर आपत्ति जाहिर की थी और शपथ ग्रहण समारोह को टालने की मांग की थी. जजों का तर्क है कि चूंकि कॉलेजियम ने पहले ही जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी इसलिए उन्हें पहले नंबर पर रखा जाना चाहिए.
कॉलेजियम ने 10 जनवरी को वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा के साथ जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए की थी. हालांकि, सरकार ने जस्टिस जोसेफ का नाम कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया था, जबकि इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी थी.
कॉलेजियम ने 16 मई को सैद्धांतिक रूप से जस्टिस जोसेफ को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने के अपने फैसले को दोहराया था, लेकिन सरकार को दोबारा सिफारिश जुलाई में भेजी गई. इसे आखिरकार सरकार ने स्वीकार कर लिया.
बता दें कि केएम जोसेफ उस पीठ के प्रमुख थे जिसने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के केंद्र के फैसले को निरस्त कर दिया था. उत्तराखंड में तब कांग्रेस की सरकार थी. विपक्ष का आरोप है कि जस्टिस जोसेफ के इसी फैसले की वजह से पहले केंद्र ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त नहीं होने देने की कोशिश की और अब उनकी वरिष्ठता को कम किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ‘जस्टिस केएम जोसेफ की वरिष्ठता को कम करके उनकी पदोन्नति करना सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आज काला दिन होगा. न्यायपालिका को अपनी अंतरात्मा में झांकने की जरूरत है.’
Justice K M Joseph 's downgrade in his elevation to the Supreme Court today will be marked as a black day in the history of the Court .
Smacks of arrogance of Government and capitulation by Court .
The Judiciary needs to do some soul searching .
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 7, 2018
तीन नए न्यायाधीशों के शपथ लेने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है. हालांकि इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट में छह जजों के लिए पद खाली हैं.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी के शपथ लेने बाद ही सुप्रीम कोर्ट में पहली बार तीन महिला न्यायाधीश हो गईं हैं. दो अन्य न्यायाधीशों में जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.
जस्टिस जोसेफ 14 अक्टूबर 2004 को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 31 जुलाई 2014 को वह उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए.
केएम जोसेफ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर 16 जून 2023 को सेवानिवृत्त होंगे. इसी तरह जस्टिस इंदिरा बनर्जी पांच फरवरी 2002 को हाई कोर्ट की न्यायाधीश बनीं और वह पांच अप्रैल 2017 को मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनाई गईं.
इंदिरा बनर्जी 23 सितंबर 2022 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर सेवानिवृत्त होंगी. वहीं, जस्टिस सरन 14 फरवरी 2002 को हाई कोर्ट के जज बनाए गए थे. उन्हें 26 फरवरी 2016 को उड़ीसा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. वे 10 मई 2022 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)