कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार भारत में अवैध रूप से रह रहे 40,000 से ज़्यादा रोहिंग्या मुसलमान को देश से बाहर निकालने की योजना पर काम कर रही है.
नरेंद्र मोदी सरकार अब म्यांमार से अवैध तरीके से आए रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की तैयारी में जुटी है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकार के इस फैसले के बाद भारत में रह रहे लगभग 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को भारत की ज़मीन छोड़ कर जाना होगा.
रोहिंग्या मुसलमान भारी संख्या में समुद्री रास्ते, बांग्लादेश की सीमा और भारत-म्यांमार सीमा से घुसपैठ कर पहुंचे हैं. गृह मंत्रालय ने इनकी पहचान कर इन्हें गिरफ्तार कर वापस भेजने की तैयारी शुरू कर दी है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार गृह मंत्रालय फॉरेनर्स एक्ट के तहत इन्हें वापस भेजेगी, जिसकी रणनीति और रूपरेखा सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव राजीव महर्षि की अध्यक्षता में तैयार किया गया है, जिसमें जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव ने भी हिस्सा लिया था.
जम्मू कश्मीर में सबसे ज्यादा संख्या में लगभग 10,000 रोहिंग्या मुस्लिम हैं. हालांकि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 14,000 रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी के रूप से भारत में रह रहें है. भारत सरकार ने इन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा शरणार्थी कहे जाने पर आपत्ति जताई है.
बता दें कि म्यांमार में 1982 से ही मुसलमानों की नागरिकता छीन ली गई है और बौद्ध धर्म बहुल म्यांमार इन्हें अपना नागरिक न मानते हुए, इन्हें बंगाली मानता है.
देश में चल रहे बौद्धों द्वारा मुसलमानों पर हिंसा के कारण काफ़ी लोग पलायन कर आए थे, हालांकि इनमें से अभी तक कोई भी रोहिंग्या मुसलमान किसी आतंकवादी गतिविधि में शामिल नहीं पाया गया है.