केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि पिछले दो सालों से मैं सांसदों से अनुरोध कर रही हूं कि वे अपने इलाकों के आश्रयगृहों का दौरा करें. हमने एनजीओ से आश्रयगृहों का ऑडिट कराया, उन्होंने कुछ भी असामान्य नहीं होने की बात कही.
नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने सोमवार को आगाह किया कि आश्रयगृहों में नाबालिग लड़कियों के शोषण के कई और मामले हो सकते हैं जिनका खुलासा किए जाने की जरूरत है और राज्यों से अनुरोध किया कि गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा बच्चों के उत्पीड़न और गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए एकल, व्यापक व्यवस्था बनाएं.
आश्रयगृह स्थलों की बदहाल स्थिति पर महिला एवं बाल विकास मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब रविवार को उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक आश्रय गृह में यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आने के बाद 24 लड़कियों को बचाया गया.
नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का मामला पहली बार अप्रैल में सुर्खियों में आया, जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) ने बिहार में आश्रयगृहों पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी. इसमें मुजफ्फरपुर में आश्रयगृह में लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार की आशंका व्यक्त की गई जिसकी बाद में चिकित्सा जांच में पुष्टि हुई.
एक के बाद एक हुए खुलासों के बाद गांधी ने सोमवार को इन घटनाओं पर हैरानी व्यक्त की और आशंका व्यक्त की कि ऐसे कई और मामले हो सकते हैं जिनका खुलासा होना अभी बाकी है.
उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यों में एकल, व्यापक व्यवस्था होने से अधिकारियों के लिए राज्य सरकार द्वारा पोषित और गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित आश्रयगृहों में बच्चों से उत्पीड़न और गलत व्यवहार की रोकथाम आसान हो जाएगी.
गांधी ने कहा, ‘मैं एक ऐसी योजना के लिए कहती रही हूं जिसमें इस तरह की लड़कियों तथा बच्चों को रखने के लिए प्रत्येक राज्य के पास एक व्यापक एकल केंद्रीय व्यवस्था हो जिसका संचालन राज्य सरकार द्वारा किया जाए.’
उन्होंने कहा, ‘पिछले दो सालों से मैं सांसदों को लिख रही हूं जिसमें उनसे अपने इलाकों के आश्रयगृहों का दौरा करने का अनुरोध था. हमने एनजीओ से आश्रयगृहों का ऑडिट कराया और उन्होंने कुछ भी असामान्य नहीं होने की बात कही जिसका मतलब था कि उन्होंने इसे व्यापक तरीके से नहीं किया.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनजीओ द्वारा संचालित इन गृहों में मुश्किल में घिरी महिलाओं, लड़कियों और बच्चों को सिर्फ बाल कल्याण समिति से स्वीकृति मिलने के बाद ही अस्थायी आश्रय दिया जाता था.
मेनका ने यह भी कहा कि राज्यों में एकल, केंद्रीय व्यवस्था के निर्माण में वित्तीय मदद कर तथा फिर इन्हें राज्य सरकार को सौंपने में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को खुशी होगी.
सीबीआई की सफाई, देवरिया आश्रय स्थल की छानबीन नहीं की थी बस वित्तीय घपलो ंकी जांच की थी
वहीं, देवरिया के मामले में सीबीआई के अधिकारियों ने कहा है कि एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के देवरिया में अवैध आश्रय स्थल के संचालन और प्रबंधन के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं दी है. देवरिया के आश्रय स्थल से 24 लड़कियों को मुक्त कराया गया है.
आश्रय स्थल की लड़कियों का यौन उत्पीड़न किए जाने के आरोपों के बाद लड़कियों को रविवार को मुक्त कराया गया. उत्तर प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारी को हटा दिया और घटना की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया है.
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि 2017 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर एजेंसी ने समूचे उत्तर प्रदेश में चल रहे आश्रय स्थल की वित्तीय अनियमितताओं और अन्य कदाचार की पड़ताल की.
सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि एजेंसी की ओर से की गई छानबीन कोष आवंटन और अगर कोई वित्तीय घपला हुआ है तो उस पर गौर करने तक ही सीमित थी.
उन्होंने कहा, ‘सीबीआई देवरिया में किसी एनजीओ या खास आश्रय स्थल में नहीं गई क्योंकि उसकी छानबीन में इसका आदेश नहीं था.’
अधिकारियों ने कहा कि ऐसे सभी एनजीओ को सीबीआई ने अपना वित्तीय रिकार्ड पेश करने के लिए बुलाया था. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में देवरिया एनजीओ के प्रबंधक को भी पूछताछ के दौरान रिकार्ड पेश करने के लिए बुलाया गया था.
एजेंसी ने उच्च न्यायालय को दो रिपोर्ट सौंपी लेकिन इस मामले में कोई प्रारंभिक जांच या प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई.
दिल्ली महिला आयोग सभी आश्रयगृहों का कराएगा सामाजिक मूल्यांकन
वहीं, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने बिहार और उत्तर प्रदेश में आश्रय गृहों से यौन उत्पीड़न के मामले सामने आने के बाद दिल्ली के ऐसे सभी आश्रय गृहों का विस्तृत सामाजिक मूल्यांकन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है.
आयोग ने कहा कि समिति को तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी होगी. उसे दिल्ली में महिलाओं और लड़कियों के लिए चलने वाले सभी सरकारी और गैर सरकारी आश्रय गृहों का निरीक्षण करने और उनका मूल्यांकन करने का अधिकार प्राप्त होगा. समिति में अकादमिक विद्वान, वकील, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता होंगे.
दिल्ली सरकार का यह कदम बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के देवरिया में दो आश्रय गृहों से नाबालिग लड़कियों को कथित यौन उत्पीड़न से मुक्त कराने के बाद आया है. इन दोनों कांडों से आश्रयगृहों की लड़कियों, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा चर्चा के केंद्र में आ गई है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘मुजफ्फरपुर और देवरिया कांडों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. समय की मांग है कि देश के हर आश्रयगृह के कामकाज का समग्र मूल्यांकन किया जाए.’
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘सभी आश्रय गृहों की विस्तृत एवं सघन जांच की जानी चाहिए.’