विशेष सीबीआई अदालत ने कहा कि मुठभेड़ के दौरान मौके पर पूर्व पुलिस अधिकारी एनके अमीन भी मौजूद थे.
अहमदाबाद: विशेष सीबीआई अदालत ने कहा है कि प्रथम दृष्टया इशरत जहां मुठभेड़ मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक पीपी पांडे की तुलना में पूर्व पुलिस अधिकारी डीजी वंज़ारा की भूमिका स्पष्ट और बड़ी है.
पांडे को इसी मामले में इसी अदालत ने आरोपमुक्त कर दिया था.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश जेके पांड्या ने यह भी कहा कि अन्य आरोपी एनके अमीन भी मुठभेड़ के दौरान मौके पर मौजूद थे. अमीन ने भी ख़ुद को आरोपमुक्त करने की अर्ज़ी दी थी.
अदालत ने बीते सात अगस्त को वंज़ारा और अमीन की आरोपमुक्त करने की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी थी. आदेश की विस्तृत प्रति बीते बुधवार को उपलब्ध हुई है.
बीते बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, ‘पुलिस कॉन्स्टेबल, पुलिस उपनिरीक्षक, पुलिस निरीक्षक के बयानों से प्रथम दृष्टया ऐसा जान पड़ता है कि आरोपी नंबर 3 (डीडी वंज़ारा) की भूमिका आरोपी नंबर 2 (पीपी पांडे) की तुलना में स्पष्ट और बड़ी थी.’
गुजरात के पूर्व डिप्टी आईजी डीजी वंज़ारा ने पांडे के साथ समतुल्यता के आधार पर ख़ुद को आरोपमुक्त करने की मांग की थी. गुजरात के पूर्व डीजीपी पांडे को इसी साल फरवरी में आरोप मुक्त किया गया था.
अमीन के संदर्भ में अदालत ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि आरोपी नंबर 5 अमीन ने इशरत और जावेद को 12 जून, 2004 को वसाड टोल बूथ से पकड़ा था और मुठभेड़ के दौरान वह मौके पर मौजूद थे.’
पुलिस अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए अमीन ने इस आधार पर आरोपमुक्त किए जाने की मांग की थी कि मुठभेड़ असली थी और मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा पेश किए गए गवाहों के बयान विश्वसनीय नहीं हैं.
सीबीआई और इशरत की मां शमीमा कौसर ने वंज़ारा और अमीन द्वारा ख़ुद को आरोपमुक्त करने की याचिका विरोध किया था.
इशरत जहां की मां ने अदालत को बताया कि उनकी बेटी की उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों तथा प्रभावशाली और शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों के बीच हुई साज़िश के बाद हत्या की गई.
उन्होंने आरोप लगाया कि वंजारा ने इस सुनियोजित मुठभेड़ की साज़िश में ‘प्रत्यक्ष और अहम भूमिका’ निभाई.
महाराष्ट्र के मुम्ब्रा की 19 वर्षीय इशरत जहां और तीन अन्य- जावेद शेख़ उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमज़द अली अकबर अली राणा और ज़ीशान जौहर 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए थे.
पुलिस ने दावा किया था कि चारों के आतंकवादियों से संपर्क है और ये गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साज़िश रच रहे थे. सीबीआई जांच में पता चला था कि यह मुठभेड़ फ़र्ज़ी था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)