कोडुंगल्लूर फिल्म सोसायटी की याचिका पर मराठा आरक्षण, फिल्म पद्मावत जैसे मामलों का भी ज़िक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान निजी और सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़फोड़ की घटनाएं बेहद गंभीर स्थिति है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ियों के उपद्रव और उत्पात को गंभीरता से लेते हुए पुलिस और प्रशासन को आदेश दिया है कि वे इससे सख्ती से निपटें.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से कहा कि जो भी कांवड़िया वाले उत्पात मचाते हैं या फिर कानून हाथ में लेते हैं तो उन पर सख्त कार्रवाई किया जाए.
Supreme Court today directed the police to act against those 'kawariyas' who indulge in vandalism & take law in their hands. pic.twitter.com/dTN9QsZIi9
— ANI (@ANI) August 10, 2018
एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि इलाहाबाद में नेशनल हाईवे के एक हिस्से को कावंडियों ने बंद कर दिया. उन्होंने सख्त लहज़े में कांवड़ियों के लिए कहा कि आप अपने घर को जलाकर हीरो बन सकते हैं लेकिन तीसरे पक्ष की संपत्ति नहीं जला सकते हैं.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों के दौरान निजी और सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़फोड़ की घटनाओं को बहुत ही गंभीर बताते हुए कहा कि वह कानून में संशोधन के लिए सरकार का इंतजार नहीं करेगा.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में निर्देश जारी किए जाएंगे.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि इस तरह की तोड़फोड़ और दंगे की घटनाओं के मामले में क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक जैसे अधिकारियों की जवाबदेही निर्धारित की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि देश के किसी न किसी हिस्से में लगभग हर सप्ताह ही हिंसक विरोध प्रदर्शन और दंगे की घटनाएं हो रही हैं.
कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन, एससी/एसटी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश भर में हुई हिंसा और अब हाल ही में कांवड़ियों की संलिप्तता वाली हिंसक घटनाओं का विशेष रूप से उल्लेख किया.
अटार्नी जनरल ने कहा कि फिल्म ‘पद्मावत’जब प्रदर्शित होने वाली थी तो एक समूह ने खुलेआम फिल्म अभिनेत्री की नाक काटने की धमकी दे डाली लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ. कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई.’
इस पर पीठ ने वेणुगोपाल से कहा, ‘तो फिर इस बारे में आपका क्या सुझाव है.’
अटार्नी जनरल ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली में ही अनधिकृत निर्माण उस वक्त रूक गए थे जब यह फैसला लिया गया था कि इस तरह के निर्माण के लिए संबंधित क्षेत्र के दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की जवाबदेही होगी.
वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार इस तरह के विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है और अदालतों को उसे उपयुक्त कानून में बदलाव की अनुमति देनी चाहिए.
इस पर पीठ ने कहा, ‘हम संशोधन का इंतजार नहीं करेंगे. यह गंभीर स्थिति है और यह बंद होनी चाहिए.’
पीठ ने इसके बाद कोडुंगल्लूर फिल्म सोसायटी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि वह इस पर विस्तृत आदेश सुनाएगी. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2009 के फैसले में दिए गए निर्देशों को लागू कराने का अनुरोध किया गया है.
इस फैसले में न्यायालय ने कहा था कि विभन्न मुद्दों पर आयोजित होने वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान निजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने की स्थिति में इसके लिये आयोजक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे.
पीठ ने जवाबदेही निर्धारित करने के लिए ऐसे विरोध प्रदर्शनों की वीडियोग्राफी करने का भी आदेश दिया था.
#WATCH: A group of 'kanwariyas' vandalise a car in Delhi's Moti Nagar after it brushed past them while driving. The people in the car got off safely. No injuries were reported. Police says no formal complaint has been filed by the victims (07.08.2018) pic.twitter.com/rKc6VJMZnh
— ANI (@ANI) August 8, 2018
बता दें कि बीते सात अगस्त को दिल्ली के मोती नगर इलाके में एक गाड़ी द्वारा तथाकथिक रुप से कांवड़ियों को छू लेने के कारण कांवड़ ले जाने वालों ने जमकर हंगामा किया. कुछ कांवड़ियों ने तोड़-फोड़ किया और गाड़ी को पलट भी दिया था. इस पूरे घटना के दौरान पुलिस भी वहां पर मौजूद थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)