कामकाज के लिहाज से संसद का यह मानसूत्र सत्र 2000 के बाद से सबसे सार्थक रहा

शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुए मानसून सत्र के दौरान संसद में लाए गए 17 विधेयकों में से 12 पारित हो गए.

New Delhi: Monsoon clouds hover over the Parliament House, in New Delhi on Monday, July 23, 2018.(PTI Photo/Atul Yadav) (PTI7_23_2018_000111B)
(फोटो: पीटीआई)

शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुए मानसून सत्र के दौरान संसद में लाए गए 17 विधेयकों में से 12 पारित हो गए.

New Delhi: Monsoon clouds hover over the Parliament House, in New Delhi on Monday, July 23, 2018.(PTI Photo/Atul Yadav) (PTI7_23_2018_000111B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संसद का 18 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे के बावजूद काफी कामकाज हुआ और कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया. किंतु सरकार तीन तलाक से संबंधित विधेयक को विभिन्न दलों के बीच सहमति नहीं होने के कारण राज्यसभा में चर्चा के लिए नहीं रख पाई.

मानसून सत्र के दौरान कुल 17 बैठकें हुईं. इस दौरान ‘सत्र के हंगामे में धुल जाने की मीडिया की आशंकाओं को’ गलत साबित करते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज देने संबंधी संविधान (123वां संशोधन) विधेयक-2018 और उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के मद्देनजर लाया गया अनुसूचित जातियां एवं अनुसूचित जनजातियां (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक-2018 सहित कई प्रमुख विधेयकों को संसद की मंजूरी मिली.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, संसद का मौजूदा मॉनसून सत्र कामकाज के लिहाज से पिछले 18 सालों में सबसे अच्छा रहा. इस दौरान 12 विधेयक पारित किए गए.

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को सदन की कार्यवाही अनिश्चतकालीन समय के लिए स्थगित करने से पहले कहा कि यह सत्र हाल ही के पिछले दो सार्थक सत्रों अर्थात बजट सत्र 2017 का दूसरा भाग (11वां सत्र) और 2017 का मानसून सत्र (12वां सत्र) की तुलना में कहीं ज्यादा सार्थक रहा.

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही अनिश्चतकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा, ‘पिछले दो सत्रों में गतिरोध को देखते हुये मीडिया में मानसून सत्र की कार्यवाही भी बाधित रहने की आशंका जताई थी लेकिन मुझे खुशी है कि मीडिया गलत साबित हुआ.’ उन्होंने मीडिया से उच्च सदन की कार्यवाही को अधिक स्थान देने के लिए भी कहा.

मानसून सत्र के दौरान ही सत्ता पक्ष को एक बड़ी सफलता तब हाथ लगी जब राज्यसभा के उपसभापति पद पर राजग के उम्मीदवार हरिवंश को जीत मिली. हरिवंश ने विपक्ष के उम्मीदवार एवं कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद को 105 के मुकाबले 125 मतों से पराजित किया. इससे विपक्षी एकता को झटका लगा क्योंकि उच्च सदन में संख्याबल राजग के पक्ष में नहीं है.

इसी सत्र में लोकसभा में तेदेपा सदस्य श्रीनिवास केसिनेनीर की ओर से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई को 11 घंटे 46 मिनट की चर्चा चली. मत विभाजन के बाद यह प्रस्ताव गिर गया. प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं ने राफेल विमान सौदे, बेरोजगारी और कृषि क्षेत्र सहित तमाम मुद्दों पर सरकार को जमकर घेरा. प्रस्ताव के जवाब में प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार और उसके कामकाज का जोरदार बचाव किया.

सत्र के दौरान लोकसभा की 17 दिनों की बैठक में कुल 112 घंटे कार्यवाही चली और कुल 22 सरकारी विधेयक पेश किए गए और 21 विधेयक पारित किए गए. वर्ष 2018-19 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों (सामान्य) एवं वर्ष 2015-16 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की मांगें (सामान्य) पर चार घंटे 46 मिनट से अधिक की चर्चा हुई और इसके बाद इन्हें मतदान के लिए रखा गया एवं संबंधित विनियोग विधेयक पारित किए गए.

मानसून सत्र में पारित विधेयकों में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज देने संबंधी संविधान (123वां संशोधन) विधेयक-2018 और उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के मद्देनजर लाया गया अनुसूचित जातियां एवं अनुसूचित जनजातियां (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक-2018 प्रमुख हैं.

इनके अतिरिक्त नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक-2017, भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक-2018, भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक-2018, व्यक्तियों का दुर्व्यवहार (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक-2018, दांडिक विधि (संशोधन) विधेयक-2018 और वाणिज्यिक न्यायालय, उच्च न्यायालय प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग (संशोधन) विधेयक-2018, राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय 2018 को भी लोकसभा ने मंजूरी प्रदान की.

लोकसभा में व्यवधानों और इसके परिणामस्वरूप किए गए स्थगनों के कारण आठ घंटे 26 मिनट का समय नष्ट हुआ तथा सभा ने 20 घंटे 43 मिनट देर तक बैठकर विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की.

उधर, राज्यसभा में समय की उपलब्धता के लिहाज से इस सत्र में 74 प्रतिशत से अधिक कामकाज हुआ जबकि पिछले सत्र में यह महज 25 प्रतिशत था. उन्होंने कहा कि इस सत्र में उच्च सदन से 14 विधेयक पारित किए गए जबकि पिछले दो सत्रों में दस विधेयक पारित हो सके थे. स्पष्ट है कि पिछले दो सत्रों की तुलना में यह सत्र 140 प्रतिशत अधिक फलदायी रहा.

उच्च सदन में इस दौरान 14 विधेयक पारित किए गए. नायडू ने कहा कि यदि पिछले दो सत्रों में हुए कामकाज से तुलना की जाए तो मौजूदा सत्र में 140 प्रतिशत अधिक विधायी कामकाज हुआ. सत्र के दौरान लंबित भ्रष्टाचार निवारक संशोधन विधेयक भी पारित किया गया.

सत्र के दौरान हंगामे के कारण 27 घंटे 42 मिनट का व्यवधान हुआ. किंतु सदन चार दिन निर्धारित समय से अधिक बैठा और करीब तीन घंटे अधिक काम किया. इस दौरान कई नये सदस्यों ने शपथ ली. इनमें मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं.

सत्र के अंतिम दिन उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 विचार एवं पारित किये जाने के लिए सूचीबद्ध था. सभापति नायडू ने घोषणा की कि इस विधेयक को शुक्रवार को चर्चा के लिए नहीं लिया जाएगा. उल्लेखनीय है कि यह विवादास्पद विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है. विभिन्न दलों की इस पर आपत्तियों को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसमें तीन संशोधनों को मंजूरी दी है.

सत्र के दौरान द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के निधन पर उनके सम्मान में आठ अगस्त को दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. गुरु पूर्णिमा के दिन भी सदन में अवकाश रहा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)