पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बीते 11 जून को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था. एम्स ने निधन की पुष्टि की.
नई दिल्ली: तीन बार प्रधानमंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी बाजपेयी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया. वह 93 वर्ष के थे. राजघाट के पास स्थित राष्ट्रीय स्मृति भवन में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बीते 36 घंटों से उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई थी और तमाम प्रयासों के बावजूद उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो पाया. तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था.
भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को रात में उनके सरकारी आवास छह, कृष्ण मेनन मार्ग पर रखा जाएगा ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें. सूत्रों ने बताया कि 17 अगस्त की सुबह पार्थिव शरीर को दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित भाजपा मुख्यालय ले जाया जाएगा.
देर शाम छह, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित दिवंगत नेता के आवास के बाहर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संवाददाताओं से कहा कि 17 अगस्त की सुबह नौ बजे उनके पार्थिव शरीर को दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित भाजपा मुख्यालय ले जाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अंतिम यात्रा दोपहर एक बजे भाजपा मुख्यालय से शुरू होगी और अंतिम संस्कार शाम चार बजे राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर किया जाएगा.
स्मृति स्थल जवाहर लाल नेहरू के स्मारक ‘शांति वन’ और लाल बहादुर शास्त्री के ‘विजय घाट’ के बीच स्थित है. पूर्व प्रधानमंत्री आई के गुजराल का अंतिम संस्कार यमुना नदी के किनारे दिसंबर 2012 में स्मृति स्थल पर किया गया था.
सात दिन का राष्ट्रीय शोक
केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है.
गृह मंत्रालय ने एक परिपत्र में कहा कि देशभर में आज से सात दिनों तक राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा और राजकीय सम्मान के साथ वाजपेयी का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
इसमें कहा गया है, ‘दिवंगत वाजपेयी के सम्मान में यह निर्णय लिया गया है कि पूरे भारत में 16 अगस्त से 22 अगस्त तक सात दिनों का राष्ट्रीय शोक रहेगा.’
गृह मंत्रालय ने कहा, ‘इस अवधि के दौरान राष्ट्रीय ध्वज पूरे भारत में आधा झुका रहेगा. राष्ट्रीय शोक की अवधि के दौरान कोई आधिकारिक समारोह भी आयोजित नहीं होगा.’
विदेशों में सभी भारतीय मिशनों में भी अंतिम संस्कार के दिन राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय राजधानी स्थित उनके आवास पर ले जाया जा रहा है, जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकते हैं.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार 17 अगस्त की शाम चार बजे दिल्ली के राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर होगा.
वाजपेयी को मूत्रनली में संक्रमण, गुर्दा (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न आदि की शिकायत के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. मधुमेह से पीड़ित 93 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री का सिर्फ एक ही गुर्दा काम करता है.
एम्स की ओर से गुरुवार को जारी मेडिकल बुलेटिन में इस बात की पुष्टि की गई है.
एम्स के मीडिया एवं प्रोटोकाल डिविजन की अध्यक्ष प्रो. आरती विज की ओर से जारी बुलेटिन में कहा गया है, ‘दुख के साथ हम यह सूचना साझा कर रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को दोपहर बाद 5:05 बजे हो गया.’
एम्स ने कहा कि हम पूरे देश को हुई इस अपूरणीय क्षति एवं दुख में शरीक हैं.
बुलेटिन में कहा गया है कि दुर्भाग्य से पिछले 36 घंटे से उनकी हालत में लगातार गिरावट आ रही थी और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. एम्स की ओर से कहा गया है कि हरसंभव प्रयास के बाद भी हम वाजपेयी को नहीं बचा पाए.
Former Prime Minister & Bharat Ratna #AtalBihariVaajpayee passes away in AIIMS. He was 93. pic.twitter.com/r12aIPF5G0
— ANI (@ANI) August 16, 2018
एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी निमोनिया से पीड़ित थे और उनके कई प्रमुख अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. उन्होंने कहा कि 93 वर्षीय वयोवृद्ध नेता को उनके जीवन के अंतिम दिन एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजिनेशन (ईसीएमओ) सपोर्ट पर रखा गया था.
एक चिकित्सक ने नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘वह निमोनिया से पीड़ित थे और गुर्दा सहित उनके कई प्रमुख अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. उन्हें अंतिम दिन ईसीएमओ सपोर्ट पर रखा गया था.’
ईएसीएमओ के ज़रिये ऐसे मरीज़ों को दिल और श्वसन संबंधी सपोर्ट दिया जाता है, जिनके हृदय और फेफड़े सही तरीके से अपना काम नहीं कर पाते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री को गुर्दे और मूत्र नली के संक्रमण, कम मूत्र होने और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. चिकित्सकों ने कहा कि समय-समय पर उनकी डायलिसिस की जा रही थी.
चिकित्सकों ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को लेपन के लिए शरीर-रचना विभाग को भेजा गया है.
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1947 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्णकालिक प्रचारक बने. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कुल मिलाकर 47 साल तक संसद के सदस्य रहे. वह 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए.
भाषाओं, विचारधाराओं और संस्कृतियों के भेद से परे एक कद्दावर और यथार्थवादी करिश्माई राजनेता, वाजपेयी एक प्रबुद्ध वक्ता और शांति के उपासक होने के साथ साथ हरदिल अजीज और मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे.
वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक स्कूल टीचर कृष्ण बिहारी वाजपेयी और कृष्णा देवी के घर हुआ था. वर्तमान में उनके जन्म दिवस को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई की. उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से एमए किया. कम्युनिज़्म से थोड़े दिन के लगाव के बाद 1947 में वह आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए.
जनसंघ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री के तौर पर देश का नेतृत्व कर चुके हैं. पहली बार साल वह प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए थे.
1996 में केंद्र की सत्ता में भाजपा की ताजपोशी वाजपेयी की कमान में ही हुयी थी. हालांकि यह सत्ता मात्र 13 दिन (16 मई 1996 से 01 जून 1996 तक) की थी. वाजपेयी के करिश्माई व्यक्तित्व के बल पर ही भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार 1998 में फिर सत्ता में लौटी और इस बार 13 महीने (19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999) में सरकार अविश्वास प्रस्ताव की अग्नि परीक्षा को पास नहीं कर पाई और गिर गई.
अक्टूबर 1999 में बनी भाजपा की अगली सरकार ने उनके नेतृत्व में अपना कार्यकाल (13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004) पूरा किया.
कुशल राजनीतिज्ञ होने के अलावा वह हिंदी के प्रखर कवि, वक्ता और पत्रकार भी रहे हैं. वह 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे वाजपेयी आजीवन अविवाहित रहे.
मालूम हो कि इससे पहले गुरुवार सुबह को सूत्रों ने बताया था कि निमोनिया के कारण उनके दोनों फेफड़े सही से काम नहीं कर रहे हैं और दोनों किडनी भी कमज़ोर हो गई हैं. उनकी हालत नाज़ुक है.
बीते 15 अगस्त को एम्स की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन में कहा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बीते नौ हफ्तों से एम्स में भर्ती हैं. उनकी हालत स्थिर थी लेकिन पिछले 24 घंटों में उनकी हालत और बिगड़ गई है. उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है.
गुरुवार सुबह भी एम्स की ओर से एक मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत नाज़ुक बनी हुई है.
वाजपेयी साल 2009 से बीमार हैं. उन्हें डिमेंशिया नाम की बीमारी है, जिसमें मरीज़ कुछ याद नहीं रख पाता. अब तक उनका इलाज उनके घर पर ही किया जाता था, लेकिन तबियत बिगड़ने पर उन्हें 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था.
वाजपेयी के जाने से पैदा शून्य को भरना नामुमकिन: परिवार
अटल बिहारी वाजपेयी के निधन को बड़ी क्षति बताते हुए उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री के जाने से एक ऐसा शून्य पैदा हो गया है जिसे भरना नामुमकिन है.
वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद यहां एम्स में 93 साल की आयु में निधन हो गया.
वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा ने कहा, ‘यह हमारे लिए बड़ी क्षति है और उनके निधन से पैदा शून्य को भरना नामुमकिन है.’
वाजपेयी के परिवार में उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य भी हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे. ओम शांति!’
अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति !
— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2018
अपूरणीय क्षति बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने जीवन का प्रत्येक पल राष्ट्र को समर्पित कर दिया था और उनका जाना, एक युग का अंत है.
एक अन्य ट्वीट में मोदी ने कहा, ‘यह अटलजी कर दृढ़ता और संघर्ष की वजह से ईंट दर ईंट भाजपा का निर्माण हुआ. पार्टी का संदेश फैलाने के लिए उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया था, इसी की वजह से भाजपा राष्ट्रीय राजनीति और तमाम राज्यों में मज़बूती के साथ उभरी.’
मोदी ने कहा कि यह अटल बिहारी वाजपेयी के अभूतपूर्व नेतृत्व के कारण ही 21वीं सदी में मज़बूत, समृद्ध और समावेशी भारत की नींव स्थापित हुई. विभिन्न क्षेत्रों में उनकी भविष्योन्मुखी नीतियों ने प्रत्येक भारतीय नागरिक के जीवन को छुआ.
उन्होंने कहा, अटल जी का जाना मेरे लिए निजी और कभी न भर सकने वाली क्षति है. उनके साथ मेरी तमाम यादें जुड़ी हुई हैं. मेरे जैसे कार्यकर्ताओं के लिए वह प्रेरणा थे. मैं उनकी बुद्धिमत्ता और असाधारण हाज़िरजवाबी को हमेशा याद रखूंगा.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘सच्चे राजनेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की ख़बर दुखद है. उनका नेतृत्व, दूरदर्शिता, परिपक्वता और वाकपटुता उन्हें अपनी तरह का अलग नेता बनाती है. विनम्र और असाधारण अटलजी को सभी के द्वारा याद किया जाएगा.’
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘यह समाचार बेहद दुखद है कि अटल जी नहीं रहे. मैं आज सुबह ही उनकी सेहत की जानकारी लेने के लिए एम्स गया था. मैं सोच भी नहीं सकता हूं कि यह दुखद समाचार इतनी जल्दी मिलेगा.’
नायडू ने वाजपेयी को आज़ाद भारत का सबसे बड़ा नेता बताते हुए कहा कि देश में शासन व्यवस्था को बेहतर बनाने और लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत करने में उनका योगदान अविस्मरणीय है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 23 दलों की साझा सरकार का सफल संचालन करना, अटल जी की सभी को साथ लेकर चलने की अद्भुत नेतृत्व क्षमता का नायाब उदाहरण है.
65 वर्षों के अपने मित्र की बहुत याद आएगी: आडवाणी
भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश के सबसे बड़े राजनेताओं में एक बताया और कहा कि 65 वर्षों के अपने घनिष्ठतम मित्र की बहुत याद आएगी.
आडवाणी ने अपने शोक संदेश में कहा कि वाजपेयी के शानदार नेतृत्व कौशल, वाक कला, देशभक्ति और इन सबसे ऊपर दया, मानवीयता जैसे उनके गुण और विचारधारा में मतभेद के बावजूद विरोधियों का दिल जीतने की कला का मेरे ऊपर गहरा असर रहा.
उन्होंने कहा, ‘आरएसएस के प्रचारक से लेकर भारतीय जनसंघ के बनने तक, आपातकाल के दौरान के काले महीनों से लेकर जनता पार्टी के गठन तक और बाद में 1980 में भारतीय जनता पार्टी के उभरने के दौरान उनके साथ लंबे जुड़ाव की यादें हमारे साथ रहेंगी.’
आडवाणी ने कहा कि गहरा दुख और उदासी व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘अटल जी को केंद्र में गैर कांग्रेसी गठबंधन सरकार को स्थायित्व देने में उनकी भूमिका से लेकर छह वर्षों तक उनके साथ उपप्रधानमंत्री के तौर पर काम करने के दिनों के लिए उन्हें याद करूंगा. मेरे वरिष्ठ के रूप में उन्होंने हर तरीके से हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया और मेरा मार्गदर्शन किया.’
वाजपेयी सरकार में उप प्रधानमंत्री रहे आडवाणी ने कहा कि वह उनकी कमी महसूस करेंगे.
वाजपेयी वास्तविक ‘अजातशत्रु’ : राजनाथ सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री के निधन को ‘बड़ी व्यक्तिगत क्षति’ बताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वाजेपयी के निधन से वह इतने दुखी हैं कि उसे शब्दों में बयां कर पाना संभव नहीं है.
सिंह ने वाजपेयी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि देश ने एक ऐसे दिग्गज को खो दिया है, जिन्होंने एक ऐसे भारत का सपना देखा जहां ‘सब लोग एकता, शांति और सद्भाव के साथ एकसाथ रहें.’
गृह मंत्री ने वाजपेयी को वास्तविक ‘अजातशत्रु’ बताया.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को आज श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अपने तप और अथक परिश्रम से पार्टी को सींच कर एक वटवृक्ष बनाया और भारतीय राजनीति में अमिट छाप छोड़ी.
शाह ने ट्वीट किया, ‘अटलजी एक ऐसे लोकप्रिय राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे थे जिनका मानना था कि सत्ता सेवा का साधन है और राष्ट्रीय हितों से समझौता किए बगैर उनका राजनीतिक जीवन बेदाग रहा और इसलिए लोगों ने राजनीतिक तथा सामाजिक सीमाओं से परे हटकर उनके प्रति प्यार और सम्मान दिखाया.’
भारत ने अपना एक महान सपूत खो दिया: राहुल गांधी
वाजपेयी के निधन पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश ने आज अपना एक महान सपूत खो दिया.
गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘आज भारत ने अपना एक महान सपूत खो दिया. वाजपेयी जी को करोड़ों लोग स्नेह और सम्मान देते थे. उनके परिवार एवं चाहने वालों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं. हम उनकी कमी महसूस करेंगे.’
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि वाजपेयी जीवन भर लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खड़े रहे और यह प्रतिबद्धता उनके हर काम में परिलक्षित होती थी.
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की प्रमुख सोनिया ने बयान जारी कर कहा, ‘अटल बिहारी वाजपेयी जी निधन से बहुत दुखी हूं. वह हमारे राष्ट्रीय जीवन में एक विशाल व्यक्तित्व थे. वह पूरा जीवन लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खड़े रहे और एक सांसद, कैबिनेट मंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर उनके हर काम में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता परिलक्षित हुई.’
उन्होंने कहा, ‘वह एक शानदार वक्ता, बड़े दृष्टिकोण वाले नेता और ऐसे देशभक्त थे जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोच्च था. परन्तु इन सबसे ऊपर वह एक बड़े हृदय वाले और उदार व्यक्ति थे.’
संप्रग प्रमुख ने कहा, ‘चाहे उनका दूसरे राजनीतिक दलों व नेताओं के साथ संवाद रहा हो, विदेशी सरकारों के साथ संवाद रहा हो, सहयोगी दलों या फिर अपनी पार्टी के सहयोगियों के साथ संवाद रहा हो, उनकी यह भावना सबको दिखी.’
सोनिया ने कहा कि वाजपेयी के निधन से देश की राजनीति में बड़ा निर्वात पैदा हुआ है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने निधन पर दुख जताते हुए कहा, ‘भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के दुखद निधन के बारे में पता चला. वह एक शानदार वक्ता, प्रभावी कवि, अद्वितीय लोकसेवक, उत्कृष्ट सांसद और महान प्रधानमंत्री रहे.’
उन्होंने कहा, ‘वाजपेयी जी आधुनिक भारत के शीर्षस्थ नेताओं में से एक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया. राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं को लंबे समय तक याद किया जाएगा.’
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘मुझे बहुत दुख है, यह देश के लिए बड़ा नुकसान है.’
केजरीवाल गुरुवार सुबह उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ वाजपेयी की सेहत का हाल जानने एम्स गए थे. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के कार्यालय, विद्यालय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति सम्मान के तौर पर 17 अगस्त को बंद रहेंगे.
केजरीवाल का आज जन्मदिन भी है, लेकिन वाजपेयी की गंभीर हालत को देखते हुए उन्होंने जन्मदिन नहीं मनाने का फैसला किया है. केजरीवाल ने आप कार्यकर्ताओं और समर्थकों से उन्हें जन्मदिन की बधाई देने के बजाय वाजपेयी के शीघ्र स्वास्थ्य के लिये प्रार्थना करने की अपील की थी.
कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन से बहुत दुखी हूं. भारत रत्न अटल जी को हमेशा एक महान राजनेता, शानदार वक्ता, और व्यापक दृष्टिकोण वाले नेता के रूप में याद किया जाएगा. उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. ईश्चर उनको यह क्षति वहन करने की शक्ति प्रदान करे.’
सभी को स्वीकार्य निर्णायक नेता थे वाजपेयी: आरएसएस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह एक निर्णायक नेता थे जो सभी को स्वीकार्य थे.
सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने संयुक्त बयान में कहा कि अपने विचारों और आचरण से उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित किया. वह कर्मठ, निर्णायक नेता थे जो सभी को स्वीकार्य थे.
आरएसएस ने कहा कि उनके जैसे दिग्गज नेता के निधन से जो शून्य पैदा हुआ है, उसे भरना आसान नहीं होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)