दो बार संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे कोफी अन्नान को वर्ष 2001 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव एवं नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कोफी अन्नान का शनिवार को स्विट्ज़रलैंड में निधन हो गया. उनके फाउंडेशन ने यह जानकारी दी. वह 80 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे.
स्विट्ज़रलैंड की राजधानी बर्न के एक अस्पताल में उनका निधन हुआ. वह काफी समय से जेनेवा शहर में रहे रहे थे.
कोफी अन्ना फाउंडेशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘बड़े दुख के साथ अन्नान परिवार और कोफी अन्नान फाउंडेशन यह घोषणा करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कोफी अन्नान का संक्षिप्त बीमारी के बाद शनिवार (18 अगस्त) को निधन हो गया है.’
उनके परिवार में उनकी दूसरी पत्नी नाने के अलावा बच्चे अमा, कोजो और नीना हैं.
फाउंडेशन की ओर से जारी ने एक बयान में कहा गया है, ‘जहां भी कोई तकलीफ़ या आवश्यकता होती थी, वह पहुंच जाते थे और उन्होंने अपनी गहरी करुणा और सहानुभूति से ढेर सारे लोगों के दिलों को छुआ.’
अन्नान ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रशासक के रूप में लगभग अपना पूरा करिअर बिताया. उनकी भव्य शैली, शांत स्वभाव और राजनीतिक समझ ने उन्हें इसका सातवां महासचिव बनने में मदद की.
कोफी अन्नान पहले अश्वेत अफ्रीकी थे जो संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख बने. महासचिव के रूप में उनका दो कार्यकाल रहा. वह इस पद पर एक जनवरी, 1997 से 31 दिसंबर, 2006 तक रहे.
संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख होने के साथ ही वह शांति, सतत विकास, मानवाधिकार और कानून के क्षेत्र में लगातार काम करते रहे. इसे देखते हुए उन्हें और संयुक्त राष्ट्र को संयुक्त रूप से वर्ष 2001 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
जब वह संयुक्त राष्ट्र से गए तो वह एक ऐसा वैश्विक संगठन छोड़कर गए थे जो पूरी तत्परता के साथ विश्व में शांति का माहौल बनाने और गरीबी से लड़ने के लिए लगा हुआ था.
अन्नान संयुक्त राष्ट्र में शीर्ष पदों पर रहे. उन्होंने उस समय संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्षता की जब 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद आतंकवाद के ख़िलाफ़ विश्व एकजुट था. इसके बाद इराक़ के ख़िलाफ़ अमेरिकी युद्ध को लेकर बंट गया था.
संयुक्त राष्ट्र के बाद वह युद्धग्रस्त सीरिया में शांतिपूर्ण समाधानों के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष राजदूत नियुक्त किए गए. 1962 में अन्नान संयुक्त राष्ट्र से जुड़े थे. तब वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के जेनेवा आॅफिस के लिए काम करते थे.
कोफी अन्नान का जन्म अफ्रीकी देश घाना के कुमसी में आठ अप्रैल 1938 को हुआ था. उन्होंने 1961 में सेंट पॉल मिन्नेसोटा में मैकैलेस्टर कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया. वहां से वह जेनेवा चले गए जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों में स्नातक अध्ययन शुरू किया और अपने यूएन करिअर की शुरूआत की.
अन्नान ने एक नाइजीरियाई महिला तिती अलाकिजा से 1965 में विवाह किया. वह 1971 में अमेरिका लौटे और मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से मास्टर डिग्री हासिल की.
वह 1970 दशक के दौरान अपनी पत्नी से अलग हो गये थे और स्वीडिश वकील नाने लागेगग्रेन से 1984 में दूसरी शादी की.
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, उनके कार्यकाल के दौरान दो बार संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों को झटका लगा था. उनके कार्यकाल के दौरान 1994 में रवांडा नरसंहार हुआ था और जुलाई 1995 में बोस्नियाई शहर स्रेब्रेनिका में कत्ल-ए-आम हुए थे.
कनाडा के रिटायर जनरल रोमियो डलायर, जो रवांडा में संयुक्त राष्ट्र सेना का नेतृत्व कर रहे थे, ने यहां होने वाले नरसंहार की आशंका से जुड़ा संदेश अन्नान के दफ़्तर में भेजा था लेकिन बताया जाता है कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सेना को कार्रवाई नहीं करने को कहा था.
रंवाडा नरसंहार के दौरान तत्सित समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था. तत्सिस रवांडा और बुरुंडी में रहने वाला दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है. यहां सबसे बड़ा समुदाय हुतु है और सबसे छोटा समुदाय त्वा है. उस समय यहां हुतु समुदाय की बहुलता वाली सरकार थी.
रवांडा में छह अप्रैल 1994 को शुरू हुआ जनसंहार तीन महीने तक बिना किसी वैश्विक रोकटोक के चला था. इसमें तत्सिस समुदाय के पांच लाख लोग मारे गए थे.
वहीं बोस्नियाई युद्ध के दौरान स्रेब्रेनिका में बोस्निआक्स समुदाय के मुख्यत: पुरुषों और बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इनकी संख्या तकरीबन 8,000 बताई जाती है.
इन दोनों ही मामलों में अन्नान के इस्तीफ़े की मांग की गई लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था.
संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा, ‘कोफी अन्नान अच्छाई के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति थे.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे उनके निधन के बारे में पता चलने पर बड़ा दुख हुआ. कई मायनों में कोफी अन्नान संयुक्त राष्ट्र थे. वह गरिमा और दृढ़ संकल्प के साथ संगठन का नेतृत्व करते हुए इसे नई सहस्राब्दी में लेकर गए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)