जालना नगर निगम के पूर्व पार्षद श्रीकांत पंगारकर को बीते शनिवार की रात सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया. इस मामले के कथित मुख्य शूटर सचिन प्रकाशराव अंडुरे से पूछताछ के बाद पंगारकर को पकड़ा गया.
औरंगाबाद: अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में शिवसेना के एक पूर्व पार्षद को गिरफ्तार किया गया है.
शिवसेना के पूर्व पार्षद श्रीकांत पंगारकर को महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से नौ और 11 अगस्त के बीच देसी बमों और हथियारों की बरामदगी के सिलसिले में बीते 19 अगस्त को गिरफ्तार किया.
पंगारकर को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया.
तीन लोगों- वैभव राउत, शरद कालस्कर और सुधन्वा गांधालेकर- को पालघर और पुणे ज़िले से 10 अगस्त को बम और हथियार बरामद किए जाने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
तीनों 28 अगस्त तक पुलिस हिरासत में हैं.
हिरासत के लिए दलीलें देते हुए अभियोजन ने कहा कि हथियारों के जब्त होने से पंगारकर के संबंधों की जांच की ज़रूरत है.
अभियोजन ने कहा कि राज्य के जालना ज़िले स्थित पंगारकर के आवास से एक पेन ड्राइव, हार्डडिस्क और अपराध से जुड़े कुछ दस्तावेज़ जब्त किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि पहली नज़र में ऐसा लगता है कि वह विस्फोटकों का जखीरा मिलने के बाद इसी महीने गिरफ्तार तीन अन्य आरोपियों को वित्तपोषित कर रहे थे. पंगारकर के बैंक लेनदेन की जांच भी की जानी है.
सूत्रों ने बताया कि जालना नगर निगम के पूर्व सदस्य पंगारकर को कल रात सीबीआई ने अंधविश्वास के खिलाफ अलख जगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में हिरासत में लिया था. उसका नाम हत्या मामले के कथित प्रमुख शूटर सचिन प्रकाशराव अंडुरे से पूछताछ में सामने आया था.
औरंगाबाद निवासी अंडुरे को पुणे से गिरफ्तार किया गया था. उसे शिवाजीनगर में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट एएस मजूमदार की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 26 अगस्त तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया गया.
सूत्रों ने बताया कि अंडुरे ने सीबीआई को बताया कि दाभोलकर की हत्या के वक्त पंगारकर भी उसके साथ था जिसके बाद पंगारकर (40) को हिरासत में लिया गया. उन्होंने बताया कि पूर्व पार्षद कथित तौर पर अंडुरे की मोटरसाइकिल पर पीछे बैठा था.
सीबीआई के प्रवक्ता ने अदालत से बताया कि उसे (अंडुरे) गोली चलाने वाले उन लोगों में से एक माना जा रहा है जिन्होंने 20 अगस्त, 2013 को पुणे में सुबह की सैर पर निकले दाभोलकर (67) पर गोली चलाई थी.
अंडुरे की 14 दिनों की हिरासत की मांग करते हुए सीबीआई के वकील विजयकुमार ढकाने ने अदालत से कहा कि जांच से पता चला है कि उसने दाभोलकर की हत्या को अंजाम देने से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक में विभिन्न स्थानों पर गोलियां चलाने का प्रशिक्षण लिया था.
सीबीआई वकील ने अदालत से कहा, ‘डॉ. वीरेंद्र तावड़े ने इस आरोपी के साथ मिलकर पूरी साजिश रची और इस साजिश का पर्दाफाश करने की जरुरत है. उसके लिए हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता है.’
सीबीआई ने जून, 2016 को हिंदू जनजागृति समिति के सदस्य तावड़े को नवी मुम्बई से गिरफ्तार किया था. आरोपपत्र में उसे मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है.
प्रगतिशील लेखक और विचारक नरेंद्र दाभोलकर (2013), गोविंद पानसरे और एमएम कलबुर्गी (2015) और वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं में सनातन संस्था से भी संबंधित लोगों का नाम सामने आया है.
सनातन संस्था से संबंधित लोगों को वाशी, ठाणे, पनवेल (2007) और गोवा (2009) ब्लास्ट में गिरफ़्तार किया जा चुका है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)