गोरखपुर दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा, क्यों न चलाएं आदित्यनाथ पर मुक़दमा

योगी आदित्यनाथ पर 2007 में कथित भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ़्तों के भीतर जवाब मांगा है.

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Moradabad: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath attends a function at Dr BR Ambedkar Police Academy, in Moradabad on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo) (PTI7_9_2018_000114B)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

योगी आदित्यनाथ पर 2007 में कथित भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ़्तों के भीतर जवाब मांगा है.

Moradabad: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath attends a function at Dr BR Ambedkar Police Academy, in Moradabad on Monday, July 9, 2018. (PTI Photo) (PTI7_9_2018_000114B)
योगी आदित्यनाथ (फोटो: पीटीआई)

2007 में गोरखपुर और आसपास के इलाक़ो में दंगे हुए थे. योगी आदित्यनाथ पर इसमें शामिल होने और लोगों को भड़काने का आरोप है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार से सवाल किया कि इस मामले में उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए.

अदालत ने सरकार को 4 हफ़्तों के भीतर जवाब देने को कहा है.

मालूम हो कि शीर्ष अदालत इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में मुकदमा रद्द करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है.

यह याचिका परवेज़ परवाज़ और असद हयात ने दायर की है. 2008 में असद हयात और परवेज़ ने सीबीआई जांच को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

इस याचिका के लंबित रहने के दौरान प्रधान सचिव (गृह) द्वारा मई, 2017 को मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया गया था.

इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने अदालत से 2008 में दर्ज हुई प्राथमिकी की एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.

याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि इस मामले की जांच सीबी-सीआईडी कर रही है और आशंका है कि राज्य की पुलिस इस मामले में निष्पक्ष नहीं रहे, इसलिए इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित की जाए.

उत्तर प्रदेश सरकार के योगी के खिलाफ मुक़दमे से इनकार के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाज़त नहीं दी थी, जिसके बाद परवेज़ और असद हयात सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.

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क्या है पूरा मामला

जनवरी, 2007 में राजकुमार अग्रहरि नाम के एक लड़के की हत्या हुई थी. इसके बाद जगह जगह तोड़फोड़ और हिंसा हुई. एक मज़ार पर तोड़फोड़ हुई और धार्मिक पुस्तकों का अपमान किया गया. इस उपद्रव में योगी आदित्यनाथ अभियुक्त बने.

इसके बाद 27 जनवरी को योगी ने गोरखपुर रेलवे स्टेशन के सामने भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि अब हम किसी हिंदू के मारे जाने पर एफआईआर नहीं करवाएंगे. सीधी कार्रवाई प्रारंभ करेंगे. यह बात मोबाइल से फैला दीजिए. इसके बाद पूरे गोरखपुर और बस्ती मंडल में दंगा फैला.

याचिका में योगी द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषण को दंगे की वजह बताया गया था, जिसके बाद तत्कालीन गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर 11 दिनों की पुलिस कस्टडी में भी रखा गया था.

याचिकाकर्ता असद हयात का कहना है, ‘आदित्यनाथ ने 27 जनवरी को गोरखपुर रेलवे स्टेशन के सामने मुस्लिमों के ख़िलाफ़ बेहद भड़काने वाला भाषण दिया था. उस दौरान कई अन्य भाजपा नेता मौजूद थे. वह भाषण यूट्यूब पर मौजूद है जिसमें उन्होंने कहा था कि अब कोई घटना होने पर हम एफआईआर नहीं दर्ज कराएंगे. अगर एक हिंदू मारा जाता है तो उसके बदले दस मुसलमान मारेंगे. ज़िला मजिस्ट्रेट हरिओम के आदेश पर उन्हें अगले दिन गिरफ़्तार भी किया गया था.’

इसके अगले दिन आदित्यनाथ ने कुशीनगर में ऐसा ही भाषण दिया. वहां से गोरखपुर लौटने के दौरान उन्हें गिरफ़्तार किया गया, लेकिन उनकी गिरफ़्तारी के बाद हालात और तनावपूर्ण हो गए. फिर से धार्मिक स्थलों समेत पूरे इलाक़े में तोड़फोड़ और आगज़नी हुई.