वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (डब्ल्यूआरएमएस) कंपनी के एक सर्वे में यह बात सामने आई कि सिर्फ 28.7 प्रतिशत किसानों को ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जानकारी है.
नई दिल्ली: किसानों को अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के बारे में जानकारी भी नहीं है. जलवायु जोखिम प्रबंधन कंपनी वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (डब्ल्यूआरएमएस) के एक सर्वे में यह बात सामने आई है.
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार और बीमा कंपनियां इसकी पहुंच बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. सर्वे के मुताबिक कई राज्यों में इस योजना के तहत नामांकित किसान काफी संतुष्ट हैं.
इसकी वजह किसानों को सहायता के लिए उचित तरीके से क्रियान्वयन और बीमा कंपनियों की भागीदारी तथा बीमित किसानों के एक बड़े प्रतिशत को भुगतान मिलना शामिल है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत 2016 में हुई थी. यह बीमा योजना जलवायु और अन्य जोखिमों से कृषि बीमा का एक बड़ा माध्यम है. यह योजना पिछली कृषि बीमा योजनाओं का सुधरा हुआ रूप है.
योजना के तहत ऋण लेने वाले किसान को न केवल सब्सिडी वाली दरों पर बीमा दिया जाता है, बल्कि जिन किसानों ने ऋण नहीं लिया है वे भी इसका लाभ ले सकते हैं.
वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लि. (डब्ल्यूआरएमएस) ने कहा, ‘हाल में आठ राज्यों (उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, बिहार और महाराष्ट्र में बेसिक्स द्वारा किए गए सर्वे में यह तथ्य सामने आया कि जिन किसानों से जानकारी ली गई उनमें से सिर्फ 28.7 प्रतिशत को ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जानकारी है.’
सर्वे के अनुसार किसानों की शिकायत थी कि ऋण नहीं लेने वाले किसानों के नामांकन की प्रक्रिया काफी कठिन है. उन्हें स्थानीय राजस्व विभाग से बुवाई का प्रमाणपत्र, जमीन का प्रमाणपत्र लेना पड़ता है जिसमें काफी समय लगता है.
इसके अलावा बैंक शाखाओं और ग्राहक सेवा केंद्र भी हमेशा नामांकन के लिए उपलब्ध नहीं होते क्योंकि उनके पास पहले से काफी काम है. किसानों को यह नहीं बताया जाता कि उन्हें क्लेम क्यों मिला है या क्यों नहीं मिला है. उनके दावे की गणना का तरीका क्या है.
सर्वे के अनुसार 40.8 प्रतिशत लोग औपचारिक स्रोतों मसलन कृषि विभाग, बीमा कंपनियां या ग्राहक सेवा केंद्रों से सूचना जुटाते हैं.
सर्वे में बताया गया, ‘41.3 प्रतिशत किसानों ने बताया कि फसल बीमा कराने में सबसे बड़ी समस्या जरुरी दस्तावेज़ों की कमी है. वहीं 21.4 प्रतिशत किसानों ने बताया कि कम जमीन होने के कारण फसल बीमा नहीं हो पाता है. इसी तरह 26 प्रतिशत किसानों ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा सहयोग न करना फसल बीमा कराने में समस्या पैदा करता है.’
डब्ल्यूआरएमएस के प्रबंध निदेश सोनु अग्रवाल ने कहा, ‘प्रशिक्षित संसाधनों की कमी की वजह से कई क्षेत्रों में पीएमएफबीवाई का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाया. फसल बीमा के क्रियान्वयन के हर चरण में जागरूकता की कमी है.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि फसल बीमा योजना के तहत एक पारदर्शी प्लैटफॉर्म की आवश्यकता है जहां फसल बीमा के लिए आवेदन, सर्वेक्षण अनुरोध और भुगतान की स्थिति की समय पर जांच की जा सके और किसानों और बीमा कंपनियों की शिकायतों को शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से हल किया जाए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)