केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने आपदा प्रबंधन नियमों का हवाला देते हुए कहा कि गंभीर आपदा के समय में विदेशी सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वैच्छिक सहायता स्वीकार की जा सकती है. अगर केंद्र सरकार इसे लेने से इनकार करती है तो उसे इसकी भरपाई करनी चाहिए.
तिरुवनंतपुरम: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केरल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच ख़ास रिश्तों का हवाला देते हुए कहा कि यूएई को पराया देश नहीं माना जा सकता है और उनसे बाढ़ के लिए मदद स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जहां तक मुझे पता है, यूएई ने स्वेच्छा से मदद की घोषणा की है. यूएई को पराए देश के रूप में नहीं देखा जा सकता है. भारतीयों, विशेष रूप से केरल वासियों, ने उनके राष्ट्र निर्माण में काफी योगदान दिया है.’
विजयन ने कहा कि यूएई की ओर से बाढ़ राहत सहायता के तौर पर केरल को की गई 700 करोड़ रुपये की पेशकश स्वीकार करने में यदि कोई दिक्कत है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे और कहेंगे कि वह दिक्कत दूर करें.
बता दें कि भारत विभिन्न विदेशी सरकारों को इस बात से अवगत करा रहा है कि वह बाढ़ प्रभावित केरल के लिए वित्तीय सहायता स्वीकार नहीं करेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बीते बुधवार की रात को कहा, ‘मौजूदा नीति के तहत सरकार घरेलू प्रयासों के माध्यम से राहत और पुनर्वास के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.’
हालांकि केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी मदद स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘अन्य देशों की ओर से किया जाने वाला दान स्वीकार्य है. जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री से बात करेंगे.’
National Disaster Management Plan Chapter 9 on international cooperation accepts that in time severe calamity voluntary aid given by a foreign gov can be accepted. Still if Union Gov chooses to adopt a negative stance towards offer made byUAE gov they should compensate Kerala
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) August 22, 2018
वहीं केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने भी यूएई से मदद लेने का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के चैप्टर 9 में यह स्वीकार किया गया है कि गंभीर आपदा के समय में विदेशी सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वैच्छिक सहायता स्वीकार की जा सकती है. अगर फिर भी केंद्र सरकार इस पर नकारात्मक रुख अपनाती है तो फिर उन्हें केरल में हुई क्षति की भरपाई करनी चाहिए.’
विजयन ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि दोनों देश एक-दूसरे की मदद करें. साल 2016 में घोषित आपदा प्रबंधन नीति साफ करती है कि यदि किसी दूसरे देश की राष्ट्रीय सरकार स्वेच्छा से सद्भावनापूर्ण कदम उठाते हुए सहायता की पेशकश करती है तो केंद्र सरकार यह पेशकश स्वीकार कर सकती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आधिकारिक स्तर पर बातचीत करके मुद्दे को सुलझाना चाहती है, लेकिन जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री के दखल की मांग की जाएगी.
इससे पहले, कांग्रेस ने केंद्र की ओर से विदेशी सहायता स्वीकार नहीं करने की संभावना जताने वाली मीडिया की खबरों को निराशाजनक कहा था और प्रधानमंत्री से नियमों में संशोधन का अनुरोध किया था.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक करीब 30 लाख भारतीय यूएई में रहते हैं और वहां काम करते हैं जिनमें से 80 फीसदी केरल से हैं. केरल में आई बाढ़ में 373 लोगों की जानें गई हैं और 14 लाख से अधिक लोग बेघर हुए हैं.
यूएई के अलावा कतर ने 35 करोड़ रुपये और मालदीव ने 35 लाख रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)