बदायूं के मूसाझाग की घटना. पुलिस ने दुष्कर्म से इनकार करते हुए ऑनर किलिंग का संदेह जताया है, वहीं मृतका के परिजनों का कहना है कि बलात्कार और पुलिस की कार्यशैली से आहत होकर किशोरी ने आत्महत्या की है.
बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं में कथित रूप से सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई एक किशोरी ने बुधवार सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिजनों का कहना है कि बलात्कार और उसके बाद पुलिस की कार्यशैली से आहत होकर पीड़िता ने ऐसा क़दम उठाया है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने यहां बताया कि गत 20 अगस्त को तीन युवकों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई एक लड़की ने बुधवार सुबह करीब पांच बजे अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
मृतका की मां और भाई ने आरोपी पक्ष पर धमकाने और समझौता करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया और उन्हें आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
कुमार ने बताया कि लड़की के शव का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों के पैनल के जरिए करवाया जा रहा है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि लड़की ने आत्महत्या की है अथवा ये मामला ऑनर किलिंग का है.
आरोपियों द्वारा धमकियां देने के मामले पर उन्होंने कहा कि परिजन जो भी तहरीर देंगे और मेडिकल रिपोर्ट एवं जांच में जो भी सबूत मिलेंगे, उनके आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
दूसरी ओर पुलिस अधिकारी इस मामले को ऑनर किलिंग से भी जोड़कर देख रहे हैं.
लड़की के परिजनों के मुताबिक मूसाझाग थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली एक लड़की के परिजन ने तहरीर देकर आरोप लगाया था कि गत 20 अगस्त को लंकुश नामक युवक अपने दो साथियों के साथ घर में घुसा था.
तीनों ने पहले पीड़िता की मां को तमंचे के बल पर बंधक बनाया और पीड़िता को मुंह में कपड़ा ठूंस कर उठा ले गए. बाद में आरोपियों ने गांव के ही एक स्कूल में ले जाकर सामूहिक बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया.
उनका यह भी आरोप है कि घटना के बाद आरोपियों ने पीड़िता को यह बात किसी को न बताने को कहा और उसके साथ मारपीट की.
वहीं दैनिक भास्कर की ख़बर के अनुसार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने बुधवार को बताया था कि परिजनों की शिकायत के बाद लड़की का मेडिकल कराया गया था, जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई.
उनका यह भी कहना है कि लड़की एक आरोपी को पहले से ही जानती थी और दोनों के बीच फोन पर 122 बार बात भी हुई. इसके अलावा नाबालिग के शरीर पर किसी तरह की चोट का भी कोई निशान नहीं मिला.
वहीं परिजनों ने पुलिस पर भी आरोप लगाया है कि जब वो प्राथमिकी दर्ज कराने गए थे तब पुलिस ने उन्हें तीन घंटे तक बैठाकर रखा और आरोपियों से समझौता करने का दबाव बनाया.
इस मामले में तीनों युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और आरोपी लंकुश को 21 अगस्त की शाम को गिरफ्तार कर लिया गया. बाकी दो आरोपी फरार हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)