ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में निर्धारित विधानसभा चुनावों को टाला जा सकता है और उन्हें अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव के साथ कराया जाएगा.
औरंगाबाद: एक साथ चुनाव कराने की सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत ने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की कोई संभावना नहीं है.
रावत ने कहा कि दोनों चुनाव एक साथ कराने के लिए कानूनी ढांचा स्थापित किए जाने की जरूरत है.
हाल के दिनों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में निर्धारित विधानसभा चुनावों को टाला जा सकता है और उन्हें अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव के साथ कराया जाएगा.
मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर को समाप्त हो रहा है जबकि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभाओं का कार्यकाल पांच जनवरी, सात जनवरी और 20 जनवरी, 2019 को पूरा होगा.
रावत की ये टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दोनों चुनाव एक साथ कराने के लिए सभी पक्षों के बीच स्वस्थ और खुली बहस का आह्वान किया था. भाजपा ने ‘खर्च पर अंकुश’ के लिए एक साथ चुनाव कराने पर जोर दिया था.
रावत ने कहा कि सांसदों को कानून बनाने में कम से कम एक वर्ष लगेंगे. इस प्रक्रिया में समय लगता है. जैसे ही संविधान में संशोधन के लिए विधेयक तैयार होगा, हम (चुनाव आयोग) समझ जाएंगे कि चीजें अब आगे बढ़ रही हैं.
रावत ने कहा कि चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव की तैयारी मतदान की निर्धारित समयसीमा से 14 महीने पहले शुरू कर देता है. उन्होंने कहा कि आयोग के पास सिर्फ 400 कर्मचारी हैं लेकिन 1.11 करोड़ लोगों को चुनाव ड्यूटी पर तैनात करता है.
ईवीएम मशीनों की नाकामी की शिकायतों से जुड़े एक प्रश्न पर रावत ने अफसोस जताया कि भारत के कई हिस्सों में ईवीएम प्रणाली के बारे में व्यापक समझ नहीं है.
उन्होंने कहा कि नाकामी की दर 0.5 से 0.6 प्रतिशत है और मशीनों की विफलता की ऐसी दर स्वीकार्य है.
उन्होंने कहा कि मेघालय विधानसभा उपचुनाव में वीवीपीएटी के खराब होने की शिकायतें आई लेकिन उनसे बचा जा सकता था,अगर अधिकारियों ने उच्च नमी वाले कागज का इस्तेमाल किया होता. यह ध्यान रखना था कि राज्य में काफी बारिश होती है.
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि चुनावों में नोटा विकल्प का प्रतिशत आमतौर पर 1.2 से 1.4 प्रतिशत के बीच होता है.
वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में रावत ने कहा कि चुनाव आयोग को पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त है और यह देखा जा सकता है कि पिछले साल गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान चुनाव अधिकारी राजनीतिक दबाव में नहीं झुके थे.
कांग्रेस ने गुजरात राज्यसभा चुनाव के दौरान आरोप लगाया था कि इसके दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग किया और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अपना बैलेट पेपर (मतपत्र) दिखाया था. इस मामले में चुनाव आयोग ने कांग्रेस के पक्ष में फैसला सुनाया कि दोनों विधायकों ने मतदान प्रक्रियाओं और मतपत्र की गोपनीयता का उल्लंघन किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)