यूएई के केरल को वित्तीय मदद देने पर यूएई के राजदूत अहमद अलबना ने स्पष्ट किया है कि बाढ़ के बाद बचाव की ज़रूरतों को लेकर आकलन अभी चल रहा है और मदद के लिए कोई राशि फाइनल नहीं की गई है.
केरल में आयी बाढ़ के राहत कार्य के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की 700 करोड़ रुपये की मदद स्वीकार करने न करने को लेकर छिड़े विवाद के बीच वहां के राजदूत ने साफ किया है कि अभी यह आधिकारिक नहीं है.
गुरुवार को इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए यूएई के राजदूत अहमद अलबना ने कहा कि अब तक यूएई द्वारा आर्थिक मदद के लिए कोई विशेष राशि तय नहीं की गयी है.
उन्होंने कहा, ‘बाढ़ के बाद बचाव की ज़रूरतों को लेकर आकलन अभी चल रहा है. जहां तक आर्थिक मदद के लिए किसी विशेष राशि की घोषणा का सवाल है, मुझे नहीं लगता कि यह अभी फाइनल है क्योंकि यह प्रक्रिया अभी चल ही रही है.
इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस अख़बार से बात करते हुए कहा था कि अबूधाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाहयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोन पर हुई बातचीत में केरल को 700 करोड़ रुपये की मदद देने की बात कही थी.
A big thanks to @hhshkmohd for his gracious offer to support people of Kerala during this difficult time. His concern reflects the special ties between governments and people of India and UAE.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 18, 2018
इस बारे में अहमद से जब सवाल किया गया कि यूएई ने 700 करोड़ की मदद की घोषणा नहीं की, तब उन्होंने कहा, ‘जी, यह सही है. अब तक कुछ फाइनल नहीं है. अब तक कोई घोषणा नहीं की गयी है.’
इससे पहले बुधवार को इसी अख़बार से बात करते हुए केरल के मुख्यमंत्री ने यूएई से उनके राज्य के रिश्ते बताते हुए कहा था, ‘जहां तक मुझे पता है, यूएई ने स्वेच्छा से मदद की घोषणा की है. यूएई को पराए देश के रूप में नहीं देखा जा सकता है. भारतीयों, विशेष रूप से केरलवासियों, ने उनके राष्ट्र निर्माण में काफी योगदान दिया है.’
हालांकि उनके ऐसा कहने के कुछ घंटो बाद ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बुधवार की रात को कहा कि देश केरल के लिए यूएई द्वारा दी जा रही आर्थिक मदद स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि मौजूदा नीति के तहत केंद्र सरकार घरेलू प्रयासों के माध्यम से राहत और पुनर्वास के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
दूसरी और, अहमद का कहना है, ‘अब तक जो हुआ है वो यह है कि यूएई के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने एक नेशनल इमरजेंसी कमेटी बनाई है. इसका मुख्य उद्देश्य इस आपदा से प्रभावित हमारे लोगों और केरल के हमारे दोस्तों के लिए फंड, राहत सामग्री, दवाइयों और अन्य सामग्रियों के स्रोत का इंतज़ाम देखना था.’
उन्होंने कहा, ‘यह कमेटी भारत के फेडरल अधिकारियों के साथ समन्वय बना रही है क्योंकि हम भारत के वित्तीय सहायता नियमों को जानते और समझते हैं. साथ ही, राहत और खाद्य सामग्री संबंधी तात्कालिक मदद के लिए स्थानीय प्रशासन से भी बात की जा रही है. हम यूएई के रेड क्रिसेंट जैसे संगठनों और केरल और बाकी राज्यों के संगठनों के जरिये काम कर रहे हैं.’
उन्होंने यह भी बताया कि यूएई में बनी कमेटी इंचार्ज है और इसे कई जगहों से योगदान मिल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में केरल से सूडान, बांग्लादेश से सोमालिया तक यूएई मानवीय सहायता देने के लिए आगे रहता है. उन्होंने कहा यह यूएई की ज़िम्मेदारी का हिस्सा है.
इससे पहले केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने भी यूएई से मदद लेने का समर्थन किया.
उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के चैप्टर 9 में यह स्वीकार किया गया है कि गंभीर आपदा के समय में विदेशी सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वैच्छिक सहायता स्वीकार की जा सकती है. अगर फिर भी केंद्र सरकार इस पर नकारात्मक रुख अपनाती है तो फिर उन्हें केरल में हुई क्षति की भरपाई करनी चाहिए.’
We asked Union Gov for financial support of ₹2200 Cr ; they grant us a precious ₹600 Cr . We make no request to any foreign gov but UAE gov voluntarily offer ₹700cr. No, says Union gov , it is below our dignity to accept foreign aid. This is a dog in the manger policy.
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) August 22, 2018
केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस, जो स्वयं केरल से आते हैं, ने भी कहा कि इस बार उन्होंने वरिष्ठ मंत्रियों से इस मामले में विदेश से वित्तीय मदद के नियमों में अपवाद के लिए अनुरोध किया है क्योंकि इस आपदा से उबरकर दोबारा खड़े होने के लिए राज्य को मदद और पैसे की ज़रूरत है.