मध्य प्रदेश: आदिवासियों को बांटे गए दस लाख जूते-चप्पलों में है कैंसर फैलाने वाला रसायन

चेन्नई के केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा पर सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को बांटे गए जूते-चप्पलों में एजेडओ रसायन मिला हुआ है जो त्वचा के कैंसर का कारक होता है.

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तेदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक)

चेन्नई के केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा पर सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को बांटे गए जूते-चप्पलों में एजेडओ रसायन मिला हुआ है जो त्वचा के कैंसर का कारक होता है.

तेदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक)
तेदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फोटो साभार: फेसबुक)

भोपाल: मध्य प्रदेश में पिछले दिनों तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलनों का आयोजन किया गया था.

जिसके तहत 20 मई को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिवपुरी जिले के पोहरी से तेंदूपत्ता संग्राहकों को जूते- चप्पल भी बांटने की घोषणा की थी.

जिसके बाद से अब तक सरकार करीब दस लाख से अधिक आदिवासियों को जूत-चप्पल पहना चुकी है.

लेकिन, चेन्नई के एक अनुसंधान संस्थान ने खुलासा किया है कि जो जूते- चप्पल बांटे गए उनमें एक ऐसा खतरनाक रसायन मिला है जो कि पहनने वाले व्यक्ति को त्वचा कैंसर की गंभीर बीमारी दे सकता है.

पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा पहनाए गए जूते-चप्पलों में रसायन एजेडओ मिला हुआ है.

जिसका खुलासा चेन्नई के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान ने किया है.

इस बीच लघु वनोपज संघ ने जूते-चप्पलों का वितरण रोक दिया है. संघ के पास अभी 11 लाख जूते-चप्पल बांटने के लिए स्टॉक में हैं.

वहीं, जिस कंपनी से यह जूते-चप्पल खरीदे गए उसने इन्हें वापस लेने से इनकार कर दिया है.

केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केजे श्रीराम बताते हैं कि जूते-चप्पल के अंदर काले रंग के तलवे (इनर सोल) में एजेडओ रसायन मिला हुआ है.

अगर पांव में कांटा लगता है या पैर कट जाने पर या उसमें छाला पड़ जाने पर रसायन शरीर में चला जाता है.

श्रीराम के मुताबिक, पसीना आने पर भी यह रसायन त्वचा में जा सकता है. जिससे त्वचा का कैंसर होने की संभावना रहती है जिसका असर छह माह में नजर आता है.

गौरतलब है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 23 जून 1997 को एजेडओ डाई के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था.

विशेषज्ञ बताते हैं कि कपड़े, जूते-चप्पल और फैशन एसेसरीज में जिन रंगों का उपयोग होता है उसे एजेडओ कहते हैं.

इन रंगों को एजेडओ और एंथ्राक्वीनाइन नामक रसायन से बनाया जाता है.

कई बार एजेडओ कंपाउंड क्रिया कर अमीनों ग्रुप बना लेते हैं जिन्हें एमाइन कहते हैं. ऐसे में कुछ एमाइन रंग कैंसर का कारक बन जाते हैं.

वहीं, पूरे मामले में सरकार की ओर से एक और लापरवाही सामने आई है.

सरकार ने जूते-चप्पल बांटने का काम तो 22 मई से शुरू कर दिया था लेकिन जांच के लिए सेंपल केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान को लगभग महीनेभर बाद 18 जून को भेजे थे.

27 जून को संस्थान ने रिपोर्ट में आशंका जताई कि इन जूते-चप्पलों को पहनने वालों को कैंसर हो सकता है.

इस बीच, मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष ने कहा, ‘जांच रिपोर्ट में क्या है, मुझे नहीं पता. खरीदी के वक्त अधिकारियों ने कहा था कि जूते-चप्पल स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित हैं. अगर गड़बड़ी हुई है तो अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.’