झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 21 फरवरी, 2018 के उस फैसले को ख़ारिज कर दिया जिसमें पीएफआई पर यह तर्क देते हुए प्रतिबंध लगाया गया था कि संगठन आईएसआईएस की विचारधारा से प्रेरित है.
रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर राज्य सरकार द्वारा फरवरी, 2018 में लगाए गए प्रतिबंध को सोमवार को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया.
न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की पीठ ने संगठन की याचिका सोमवार को स्वीकार कर ली और उचित प्रक्रिया पूरी किए बगैर संगठन पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के 21 फरवरी, 2018 के फैसले को खारिज कर दिया.
संगठन की ओर से अब्दुल बदूद ने उच्च न्यायालय में सरकार के आदेश को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने केरल आधारित पीएफआई को प्रतिबंधित किये जाने के राज्य सरकार के आदेश को गजट में प्रकाशित किए बिना ही क्रियान्वित किए जाने को अवैध माना. न्यायालय ने माना कि राज्य सरकार ने वैध ढंग से आदेश नहीं लागू किया.
न्यायालय ने इसी आदेश के आधार पर संगठन के खिलाफ राज्य में दर्ज पुलिस प्राथमिकी को भी खारिज कर दिया.
संगठन ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 16 के तहत किसी संगठन को प्रतिबंधित करने के राज्य सरकार के अधिकार को भी चुनौती दी थी जिसे उच्च न्यायालय ने नहीं स्वीकार किया और स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को इसका अधिकार है.
राज्य सरकार ने इस संगठन के अनेक लोगों को आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित बताते हुए इसे प्रतिबंधित किया था. उसके ठिकानों पर पाकुड़ में छापेमारी करके अनेक लोगों को हिरासत में लिया गया था. कई चीजें भी बरामद हुई थीं.
उच्च न्यायालय का यह आदेश राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, बदूद और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ साहिबगंज के रांगा पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्राथमिकी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के बाद की प्रतिक्रिया में हुई थी. दो और प्राथमिकी 25 फरवरी को पीएफआई के ऑफिस में खोजबीन के बाद पाकुर के मोफ्फुसिल पुलिस थाने और साहिबगंज जिले में दर्ज की गई थीं.
अदालत के आदेश के बाद याचिकाकर्ता के वकील अब्दुल आलम ने कहा, ‘हाईकोर्ट ने 21 फरवरी की अधिसूचना को रद्द कर दिया है. हालांकि, हम आगे की जानकारी के लिए आदेश की कॉपी मिलने का इंतजार कर रहे हैं.’
प्रतिबंध के बाद एक बयान में राज्य सरकार ने कहा था, ‘इस संगठन को प्रतिबंधित करने का फैसला कानून विभाग की सहमति लेने के बाद लिया गया है. इस संगठन के सदस्य अंदरूनी तौर पर आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित थे. जांच में खुलासा हुआ है कि दक्षिण भारतीय राज्यों से संगठन के कुछ सदस्य सीरिया जा चुके हैं और आईएसआईएस के लिए काम कर रहे हैं. ‘