भीमा कोरेगांव हिंसा: पुणे पुलिस ने पांच और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया

पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. मंगलवार सुबह से देश के विभिन्न शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिस ने छापे मारे हैं.

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पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. मंगलवार सुबह से देश के विभिन्न शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिस ने छापे मारे हैं.

Activist collage
(बाएं से) सुधा भारद्वाज, वेरनॉन गोंजाल्विस, पी वरावरा राव और गौतम नवलखा

नई दिल्ली/मुंबई: पुणे पुलिस ने मंगलवार सुबह से देश के विभिन्न शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घर छापे मारे और पांच कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है.

हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं में मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, पी वरावरा राव, अरुण फरेरा और पत्रकार गौतम नवलखा शामिल हैं.

इसके अलावा अलग-अलग शहरों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घर पुणे पुलिस ने छापे मारे हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले साल पुणे में एक कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के कोरेगांव भीमा गांव में हुई हिंसा की जांच के तहत छापे मारे गए हैं.

द वायर को मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह से मुंबई, दिल्ली, रांची गोवा, हैदराबाद जैसे कई शहरों में विभिन्न पुलिस टीमों द्वारा छापे मारे गए.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पुणे पुलिस ने दिल्ली में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा और सुधा भारद्वाज, हैदराबाद में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता पी वरावरा राव, मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, सुज़ेन अब्राहम, पत्रकार क्रांति टेकुला और अरुण फरेरा, रांची में सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के घरों की तलाशी ली है.

गोवा में सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक आनंद तेलतुम्बड़े के घर पर भी पुलिस तलाशी के लिए पहुंची थी, हालांकि उस समय वे घर पर नहीं थे.

इस अख़बार की खबर के मुताबिक पुलिस के इन छापों का संबंध पुणे में 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गार परिषद के कार्यक्रम के कथित माओवादी कनेक्शन की जांच से जुड़ा है.

वर्ष 1818 में हुई कोरेगांव भीमा लड़ाई के 200 साल होने पर एल्गार परिषद घटनाक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार पांच लोगों में से एक के घर पर पुलिस की तलाशी के दौरान जब्त पत्र में राव का नाम आया था.

इसके बाद पुणे के विश्रामबाग थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, कार्यक्रम में कथित तौर पर ‘भड़काऊ’ टिप्पणी करने के बाद जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुयी थी.

मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज के दिल्ली स्थित घर पर छापा मारकर उन्हें हिरासत में लिया गया है. पंचनामे के मुताबिक उन पर आईपीसी की धारा 153ए, 505 117 और 120 के साथ ही ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून [यूएपीए- Unlawful Activities Prevention Act] की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम में हुए भाषणों से हिंसा भड़की थी, जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था.

पुलिस का यह भी दावा है कि इन लोगों के नाम जून में इस मामले में गिरफ्तार किये गए 5 कार्यकर्ताओं से पूछताछ में सामने आये हैं.

मालूम हो कि जून महीने में महाराष्ट्र पुलिस ने जनवरी में हुई हिंसा के मामले में तीन अलग-अलग शहरों से 3 दलित कार्यकर्ताओं, एक प्रोफेसर और एक सामाजिक कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया था.

ये गिरफ्तारियां मुंबई, नागपुर और दिल्ली में हुईं. गिरफ्तार किये गये लोगों में वरिष्ठ दलित कार्यकर्ता और राजनीतिक पत्रिका विद्रोही  के संपादक सुधीर धावले, वरिष्ठ मानवाधिकार वकील सुरेंद्र गाडलिंग, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत, नागपुर यूनिवर्सिटी की शोमा सेन और दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता रोमा विल्सन शामिल थे.

मालूम हो कि इससे पहले की जांच में हिंदुत्ववादी नेता मनोहर उर्फ़ संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को इस हिंसा का मुख्य आरोपी बताया जा रहा था, लेकिन जून में पुलिस ने दावा किया कि 1 जनवरी को हुई इस हिंसा के पीछे ‘नक्सल और उनसे हमदर्दी’ रखने वाले शामिल हैं.

अब पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किये गए इन पांचों लोगों और उनके साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के घरों पर छानबीन की गयी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)