सामाजिक कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों को ख़तरा: एमनेस्टी, ऑक्सफेम

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और ऑक्सफेम इंडिया की प्रतिक्रिया पुणे पुलिस द्वारा भीमा-कोरेगांव घटना के संबंध में कई मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों पर की कार्रवाई के बाद आई है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और ऑक्सफेम इंडिया की प्रतिक्रिया पुणे पुलिस द्वारा भीमा-कोरेगांव घटना के संबंध में कई मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों पर की कार्रवाई के बाद आई है.

Activist collage
पुलिस कार्रवाई के दायरे में आए सुधा भारद्वाज, वेरनॉन गोंजाल्विस, पी वरावरा राव और गौतम नवलखा (बाएं से दाएं) .

नई दिल्ली: एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और ऑक्सफेम इंडिया ने मंगलवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि देशभर में सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई विचलित करने वाली है और यह मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों के लिए खतरा है.

यह प्रतिक्रिया तब आई है जब महाराष्ट्र पुलिस ने कई राज्यों में वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर मंगलवार को छापा मारा और माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में उनमें से कम से कम चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इस कदम का कई वकीलों, विद्धानों और लेखकों ने विरोध किया है.

कुछ ने इसे पूरी तरह डराने वाला बताया और अन्यों ने कहा कि यह आभासी तौर पर आपातकाल की घोषणा है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने कहा, ‘आज की गिरफ्तारियां मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों पर ऐसी दूसरी कार्रवाई है जो सरकार के आलोचक रहे हैं. इन सभी लोगों का भारत के सबसे गरीब और उपेक्षित लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए काम करने का इतिहास रहा है. उनकी गिरफ्तारियों से ये विचलित करने वाले सवाल पैदा होते हैं कि क्या उन्हें उनके काम के लिए निशाना बनाया जा रहा है?’

ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, ‘ये गिरफ्तारियां सामान्य नहीं हो सकतीं. सरकार को डर का माहौल बनाने के बजाय अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने के लोगों के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए.’

पिछले साल 31 दिसंबर को एलगार परिषद के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास भीमा-कोरेगांव गांव में दलितों और उच्च जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा की घटना की जांच के तहत ये छापे मारे गए हैं.

जून में दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले को मुंबई में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था, जबकि वकील सुरेंद्र गाडलिंग, कार्यकर्ता महेश राऊत और शोमा सेन को नागपुर से तथा रोना विल्सन को दिल्ली में मुनीरका स्थित उनके फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था.

बता दें कि पुणे पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा और सुधा भारद्वाज, हैदराबाद में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता पी वरावरा राव, मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, सुज़ेन अब्राहम, पत्रकार क्रांति टेकुला और अरुण फरेरा, रांची में सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के घरों की तलाशी ली है.

गोवा में सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक आनंद तेलतुम्बड़े के घर पर भी पुलिस तलाशी के लिए पहुंची थी, हालांकि उस समय वे घर पर नहीं थे.

मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज के दिल्ली स्थित घर पर छापा मारकर उन्हें हिरासत में लिया गया है. पंचनामे के मुताबिक उन पर आईपीसी की धारा 153ए, 505 117 और 120 के साथ ही ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून [यूएपीए- Unlawful Activities Prevention Act] की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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