ज़रूरत पड़ी तो फिर नोटबंदी करेंगे: नीति आयोग उपाध्यक्ष

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा न कि नोटबंदी से.

नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार (फोटो: पीटीआई)

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा न कि नोटबंदी से.

निति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार (फोटो: पीटीआई)
नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नोटबंदी पर आयी रिज़र्व बैंक की हालिया रिपोर्ट पर चल रही बहस के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि समाज की सफाई के लिए नोटबंदी फिर करनी पड़े, तो करेंगे.

इसे साथ ही, नोटबंदी के चलते अर्थव्यवस्था में मंदी के मुद्दे पर कुमार ने कहा कि जीडीपी या आर्थिक वृद्धि में गिरावट इसलिए हो रही थी क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए बढ़ रहे थे.

एनडीटीवी से बातचीत में राजीव कुमार ने कहा कि नोटबंदी समाज की सफाई के लिए थी और अगर ज़रूरत पड़ी तो वो फिर नोटबंदी लाएंगे.

उन्होंने आगे कहा कि पिछली सरकार के दौरान जब नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बढ़ रही थी, तब तत्कालीन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने नीतियों में बदलाव कर दिया और उसकी वजह से बैंकिंग क्षेत्र ने इंडस्ट्रीज़ को लोन देना बंद कर दिया.

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और मनमोहन सिंह द्वारा नोटबंदी को नुकसानदायक बताने पर भी राजीव ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘चिंता की बात यह है कि ये सब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पी.चिदंबरम जैसे लोग ऐसी बात कह रहे हैं. आर्थिक वृद्धि में गिरावट इसलिए हो रही थी, क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए बढ़ रही थीं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा इसलिए हो रहा था, क्योंकि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकाल में एनपीए की पहचान के लिए नए मैकेनिज़्म लाए गए थे, और वे बढ़ते चले गए, जिसके चलते बैंकिंग सेक्टर ने उद्योगों को ऋण देना बंद कर दिया.’

इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, एनपीए मार्च 2015 के अंत में 3.23 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2016 तक 6.1 लाख करोड़ रुपये और मार्च 2018 तक 10.4 लाख करोड़ रुपये हो गए हैं.

मालूम ही कि हाल ही में आरबीआई द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि नोटबंदी के दौरान कुल 99.3 प्रतिशत पुराने नोट बैंक में वापस जमा हो गए थे.

इस रिपोर्ट में बताया गया था कि नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.