सरकार की ओर से ये बयान उन आरोपों के मद्देनज़र आया जिसमें कुछ नेताओं ने कहा था कि जेएनयू जैसे विश्वविश्वविद्यालयों से नक्सली गतिविधियां चलाई जा रही हैं.
सरकार ने कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच नक्सल संबंधी किसी गतिविधि की कोई सूचना नहीं है.
मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने राज्ययसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने सरकार को सूचना दी है कि छात्रों के बीच नक्सल संबंधी किसी गतिविधि की कोई सूचना नहीं है.
बृहस्पतिवार को उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने आगे स्पष्टीकरण दिया है कि इसके एक सहायक प्रोफेसर को सज़ा मिलने के मद्देनजर स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को माओवादी संबंधों और देश विरोधी गतिविधियों के लिए पिछले महीने उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी.
पिछले महीने प्रो. जीएन साईबाबा, जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा और पत्रकार प्रशांत राही समेत पांच को महाराष्ट्र की गढ़चिरौली कोर्ट ने माओवादियों से संपर्क रखने और भारत के ख़िलाफ़ षडयंत्र रचने का दोषी क़रार दिया है.
आजीवन कारावास की सज़ा पाने वालों में दो अन्य लोग महेश तिर्की और पांडु नरोटे हैं. इसके अलावा कोर्ट ने छठे आरोपी विजय तिर्की को 10 साल की सज़ा सुनाई गई है.
इन लोगों को आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने तथा किसी आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के अपराध से संबंधित गैर कानूनी गतिविधियां (निवारक) कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)