राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2014 और 2017 के बीच में मीडियापर्सन्स के ख़िलाफ 204 हमले दर्ज किए गए. प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों के बीच भारत की स्थिति 2017 में 136 से बढ़कर 2018 में 138 हो गई है.
नई दिल्ली: एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने बुधवार को कहा कि पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलूर में उनके घर के बाहर गोली मारकर की गई हत्या के एक साल बाद भी कई पत्रकारों को जान से मारने की धमकियों, हमलों और फर्जी आरोपों का सामना करना पड़ रहा है.
अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था एमनेस्टी ने इस बात पर जोर दिया कि यह भारत में सत्ता से सच कहने के लिहाज से यह खतरनाक समय है.
मानवाधिकार संगठन ने कहा कि पत्रकारिता पर हमले से न केवल बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार गला घोंटा जाता है बल्कि लोगों को चुप कराने पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ता है.
एमनेस्टी ने नक्सलियों से संबंध के आरोप में नजरबंद किए गए पत्रकार एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और वामपंथी कवि वरावरा राव का उदाहरण देते हुए बताया कि यह अभिव्यक्ति की आजादी का दमन है.
गौरी लंकेश की पिछले साल पांच सितंबर को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में गिरफ्तार किए गए कुछ लोगों के संबंध हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े बताए जा रहे हैं. मामले में गिरफ्तार किये गए कुछ लोगों का नाम कथित तौर पर सनातन संस्था और उससे जुड़ी हिंदू जनजागृति समिति से जुड़ा हुआ है.
पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रही एसआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि इस मामले में जांच अंतिम चरण में है और दो महीने के अंदर आरोप-पत्र दाखिल कर दिया जाएगा.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) बी.के.सिंह के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पिछले साल पांच सितंबर को हुई लंकेश की हत्या के सिलसिले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया है.
एमनेस्टी इंडिया के आकार पटेल ने कहा, ‘यह ठीक है कि गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच में प्रगति होती लग रही है, लेकिन कई अन्य पत्रकारों एवं घोटालों का खुलासा करने वालों पर हुए हमलों की जांच में शायद ही कुछ हुआ है. यह भारत में सत्ता को सच कहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए खतरनाक समय है.’
‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के मुताबिक, 2018 के पहले छह महीने में भारत में कम से कम चार पत्रकार मारे गए हैं और कम से कम तीन अन्य पर हमला हुआ है.
एमनेस्टी ने कहा कि सरकार की आलोचना वाली पत्रकारिता करने वाले कई अन्य पत्रकारों को भी धमकियां मिली हैं. पटेल ने कहा, ‘यह सही समय है कि पत्रकारों पर हुए सभी हमलों की जांच की जाए.’
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2014 और 2017 के बीच में मीडियापर्सन्स के खिलाफ 204 हमले दर्ज किए गए. प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों के बीच भारत की स्थिति 2017 में 136 से बढ़कर 2018 में 138 हो गई है.
एमनेस्टी ने कहा कि पत्रकारों के अलावा अन्य लोग जो भ्रष्टाचार का खुलासा करते हैं, जैसे कि व्हिसिलब्लोअर और सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ताओं को भी निशाना बनाया जा रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)