विधानसभा का चुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ निर्धारित है लेकिन माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ टीआरएस दोनों चुनाव अलग-अलग कराये जाने में राजनीतिक लाभ देख रही है.
हैदराबाद: हफ्तों से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए तेलंगाना सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता में गुरुवार दोपहर हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश विधानसभा को भंग करने की अनुशंसा से जुड़े प्रस्ताव को पारित किया गया.
इसके थोड़ी देर बाद राव राजभवन गए और राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन को प्रस्ताव सौंप दिया, जिन्होंने मंत्रिमंडल के फैसले को स्वीकार कर लिया.
राजभवन की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए के. चंद्रशेखर राव और उनकी मंत्रिपरिषद से कार्यवाहक सरकार के तौर पर पद पर बने रहने को कहा है. चंद्रशेखर राव ने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया है.’
इसके साथ ही तेलंगाना में पहली निर्वाचित विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म हो गया.
राव के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद ने दो जून 2014 को कार्यभार संभाला था, जिस दिन तेलंगाना भारत के 29वें राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया था.
पिछले कुछ समय से इस तरह की अटकलें लग रही थीं कि राव विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर समय पूर्व चुनाव के लिए जा सकते हैं.
समय पूर्व चुनाव कराने का अंतिम फैसला अब निर्वाचन आयोग पर टिका है. सामान्य परिस्थितियों में तेलंगाना विधानसभा का चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ होना था.
सत्ताधारी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, राव अपनी सरकार के पक्ष में सकारात्मक माहौल को भुनाना चाहते थे.
तेलंगाना सरकार के समय पूर्व चुनाव कराने के फैसले की कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है.
कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के मुख्य प्रवक्ता सरवन दासोजू ने बताया, ‘काफी संघर्ष और बलिदान के बाद राज्य का गठन हुआ था. लोगों की विकास, किसानों और रोज़गार के मुद्दों के हल के लिये व्यापक उम्मीदें थीं लेकिन यह वादे पूरे नहीं हुए.’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राव के बीच हुआ एक ‘करार’ है क्योंकि अगर लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए तो यह राज्य में ‘राहुल गांधी बनाम मोदी की लड़ाई’ में बदल जाएगा जिससे कांग्रेस को फायदा होगा.
भाजपा ने हालांकि इस पर कहा कि मतदाता मन बना चुके हैं. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कृष्णा सागर राव ने कहा कि लोगों ने मन बना लिया है कि किसे वोट करना है और लोग उस पर टिके रहेंगे.
मालूम हो कि सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सूत्रों ने बीते पांच सितंबर को दावा किया था कि सरकार ने विधानसभा भंग करने को लेकर मन बना लिया है जिसका कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है.
करीब 15 दिनों से विधानसभा भंग करने और जल्दी चुनाव कराए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
तेलंगाना विधानसभा का चुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ निर्धारित है लेकिन माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ टीआरएस दोनों चुनाव अलग-अलग कराये जाने में राजनीतिक लाभ देख रही है.
पार्टी को मई 2014 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में राज्य में जीत मिली थी. उसने 119 सदस्यीय विधानसभा में 63 सीटों पर जीत हासिल की थी.
विपक्ष ने जल्दी चुनाव कराने के मुख्यमंत्री के क़दम की आलोचना की
विपक्षी पार्टियों ने राज्य में जल्द चुनाव कराने के मुख्यमंत्री के कदम की आलोचना करते हुए उन पर हमला बोला और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अगले साल विधानसभा चुनाव होने पर टीआरएस के सत्ता में न आ पाने के डर से ‘नकारात्मक राजनीति’ कर रहे हैं.
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह स्पष्टीकरण देना चाहिए कि ऐसी क्या ज़रूरत आन पड़ी कि उन्होंने विधानसभा को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भंग कर दिया.
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख प्रवक्ता श्रवण दासोजु ने बताया कि राज्य की स्थापना काफी संघर्ष और कुर्बानी के बाद हुई थी और लोगों को विकास, खेती और रोज़गार सृजन जैसे मुद्दे पर काफी आशाएं थी लेकिन यह वादे पूरे नहीं हुए.
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राव के बीच ‘संदिग्ध समझौता’ हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा के साथ-साथ तेलंगाना विधानसभा का चुनाव भी समय-सारिणी के अनुसार अगले साल होता तो यह चुनाव राहुल गांधी बनाम मोदी में बदल जाता और तेलंगाना जैसे राज्य में इसका फायदा कांग्रेस को मिलता.
दासोजु ने आरोप लगाया कि साथ-साथ होने वाले चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाता भाजपा और कांग्रेस में से किसी एक चुनते न कि टीआरएस को.
तेलंगाना भाजपा प्रवक्ता कृष्णा सागर राव ने दावा किया कि तकनीकी रूप से यह संभावित नहीं होगा कि जिन चार राज्यों में विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में होने हैं, उनके साथ तेलंगाना का चुनाव आयोजित कराया जाए.
उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं सोचता कि अगर मतदाता किसी ख़ास पार्टी को वोट देने की सोच रहे हैं तो चुनाव की नियमित समय-सारिणी में बदलाव से वह अपना मन बदल लेंगे.’
राव ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव के स्वरूप को देखते हुए भाजपा को लगता है जब कभी भी चुनाव होंगे, उसे फायदा होगा. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस चीज़ के लिए तैयार है.
उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मोदी चुनाव प्रचार के लिए सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करेंगे.
भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव सुरावरम सुधाकर रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री को डर है कि अगर विधानसभा चुनाव अगले साल होंगे तो वह और अधिक अलग-थलग पड़ जाएंगे. इसलिए वह जल्द से जल्द चुनाव कराना चाहते हैं.