कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की किताब के विमोचन के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सभी मोर्चों पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के विफल रहने का आरोप लगाया.
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर सभी मोर्चों पर विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि अब देश में वैकल्पिक विमर्श पर गौर करने और अपनाने की ज़रूरत है.
उन्होंने मोदी सरकार पर धीरे-धीरे लेकिन निश्चित तौर उन मूल्यों को कमज़ोर करने का आरोप लगाया जिनकी एक लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था में रक्षा होनी चाहिए. उन्होंने इस विषय पर एक अर्थपूर्ण राष्ट्रीय बहस करने का आह्वान किया. उन्होंने मोदी सरकार पर जनता से किए गए वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया.
सिंह ने कहा कि इस सरकार में किसान और नौजवान परेशान हैं तो दलितों एवं अल्पसंख्यकों में असुरक्षा का माहौल है.
बीते शुक्रवार को वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की पुस्तक ‘शेड्स ऑफ ट्रुथ’ के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ इस पुस्तक का विमोचन किया.
सिंह ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा, ‘यह पुस्तक बहुत अच्छी तरह शोध करने के बाद लिखी गई है. यह पुस्तक मोदी सरकार का समग्र विश्लेषण है. यह सरकार की नाकामियां बताती है. यह बताती है कि इस सरकार ने जो वादे किए, पूरे नहीं किए.’
उन्होंने अब इस विषय पर एक राष्ट्रीय बहस होने की आशा जताई है. उन्होंने सरकार पर विदेश नीति के मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि पड़ोसियों के साथ हमारे संबंध ख़राब हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पड़ोस 2014 की तुलना में कम सुरक्षित है. पिछले चार सालों में पड़ोसियों के साथ हमारे रिश्ते लगातार बिगड़ रहे हैं. मोदी सरकार राष्ट्रीय बदलाव के लिए विज्ञान और तकनीक के रचनात्मक इस्तेमाल करने में विफल रही है.’
उन्होंने कहा, ‘देश में कृषि संकट है. किसान परेशान हैं और आंदोलन कर रहे हैं. युवा दो करोड़ रुपये नौकरियों का इंतज़ार कर रहे हैं. विदेशों में जमा करोड़ों रुपये का काला धन वापस लाने में अब तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया.’
उन्होंने आरोप लगाया कि औद्योगिक उत्पादन और प्रगति थम गई है.
सिंह ने कहा, ‘नोटबंदी और गलत ढंग से लागू की गई जीएसटी की वजह से कारोबार पर असर पड़ा. विदेशों में कथित तौर जमा धन को लाने के लिए कुछ नहीं किया गया. दलित और अल्पसंख्यक डरे हुए हैं.’
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘शैक्षणिक आज़ादी पर अंकुश लगाया जा रहा है. विश्वविद्यालयों के माहौल को ख़राब किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा कि देश को वैकल्पिक विमर्श पर गौर करने और अपनाने की ज़रूरत है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)