डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार लगभग 73 के न्यूनतम स्तर पर

बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे गिरकर 72.91 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक न्यूनतम स्तर पर आ गया.

(फोटो: रॉयटर्स)

बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे गिरकर 72.91 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक न्यूनतम स्तर पर आ गया.

Indian Currency Notes Reuters
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मुंबई: अंतर बैंकिंग मुद्रा बाजार में बुधवार को अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 72.91 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक न्यूनतम स्तर पर आ गया.

कच्चे तेल के ऊंचे दाम और विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी से रुपया शुरुआती कारोबार में 22 पैसे गिरा.

मुद्रा डीलरों ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार मोर्चे पर तनाव बढ़ने की आशंका और कच्चे तेल के दाम में तेजी के बाद बैंकों और आयातकों की ओर से अमेरिकी मुद्रा की मांग आने से रुपये पर दबाव रहा.

इसके अलावा निरंतर विदेशी पूंजी निकासी से भी घरेलू मुद्रा में दबाव देखा गया. मंगलवार के कारोबारी दिन में रुपया डॉलर के मुकाबले 24 पैसे टूटकर 72.69 रुपये प्रति डॉलर के निम्न स्तर पर बंद हुआ था.

ब्रेंट कच्चा तेल 0.35 प्रतिशत बढ़कर 79.34 रुपये प्रति बैरल हो गया. मंगलवार को इसमें 2 प्रतिशत से अधिक की तेजी रही.

इस बीच, बंबई शेयर बाजार सेंसेक्स सूचकांक बुधवार को शुरुआती कारोबार में 133.29 अंक यानी 0.35 प्रतिशत चढ़कर 37,546.42 अंक पर पहुंच गया.

इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि रुपये में गिरावट वैश्विक कारकों की वजह से है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर है.

वित्त मंत्री ने कहा कि यदि आप घरेलू आर्थिक स्थिति और वैश्विक स्थिति को देखें, तो इसके पीछे कोई घरेलू कारक नजर नहीं आएगा. इसके पीछे वजह वैश्विक है. जेटली ने कहा कि डॉलर लगभग सभी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है. वहीं दूसरी ओर रुपया मजबूत हुआ है या सीमित दायरे में रहा है.

उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हुआ है. यह अन्य मुद्राओं मसलन पाउंड और यूरो की तुलना में मजबूत हुआ है.

हालांकि रुपये में ऐतिहासिक गिरावट जारी है. बीते गुरुवार को कारोबार में 37 पैसे की तेज गिरावट के साथ रुपया पहली बार प्रति डॉलर 72 के नीचे चला गया था.

मुद्रा कारोबारियों के अनुसार माह के अंत में तेल आयातकों की तरफ से अमेरिकी करेंसी की मजबूत मांग, चीन-अमेरिका के बीच व्यापार तनाव के साथ ब्याज़ दर बढ़ने की उम्मीद में विश्व की अन्य प्रमुख मुद्रा की तुलना में डॉलर के मजबूत होने से घरेलू मुद्रा पर असर पड़ा.

कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका और घरेलू शेयर बाजार विदेशी संस्थागत निवेशकों की कोष की निकासी से भी रुपये पर असर पड़ा है.

वहीं रुपये के भाव में लगातार गिरावट से निर्यातक वैश्विक बाजारों में अपने माल का सही मोल-भाव नहीं कर पा रहे हैं जिससे उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन्स (एफआईईओ) ने ये बातें कही हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)