सेरिडॉन और कोरेक्स जैसी 328 दवाओं पर प्रतिबंध

ड्रग्स टेक्निकल एडवाइज़री बोर्ड की सिफारिश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जल्‍द आराम पाने के लिए मेडिकल की दुकान से बिना पर्चे के ख़रीदी जाने वाली 328 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि ये मानव शरीर के लिए घातक हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

ड्रग्स टेक्निकल एडवाइज़री बोर्ड की सिफारिश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जल्‍द आराम पाने के लिए मेडिकल की दुकान से बिना पर्चे के ख़रीदी जाने वाली 328 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि ये मानव शरीर के लिए घातक हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को तत्काल प्रभाव से 328 एफडीसी (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन यानी निश्चित खुराक संयोजन) के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है.

सरकार ने जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें वो दवाएं हैं जो जल्‍द आराम पाने के लिए मेडिकल दुकानों से बिना पर्चे के खरीद लेते हैं. ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड की सिफारिश के बाद मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने सिफारिश की है कि 328 एफडीसी दवाओं में निहित सामग्री के लिए कोई चिकित्सकीय औचित्य नहीं है, और इससे मनुष्यों के लिए जोखिम हो सकता है, इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये निर्णय लिया है. बड़े सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए दवाओं और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26 ए के तहत कार्रवाई की गई है.

एनडीटीवी के मुताबिक सरकार ने जिन दवाओं पर रोक लगाई है, उनमें सेरिडॉन, जिंटॉप, सूमो, जीरोडॉल, फेंसाडील, कोरेक्स और कई तरह के एंटीबायोटिक्स, पेन किलर्स, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं.

मेल टुडे से बात करते हुए दिल्ली के दवा नियंत्रक डॉ. अतुल नासा ने कहा, ‘सरकार द्वारा संयोजन दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए यह एक अच्छा कदम है. यह देखा गया है कि एफडीसी दवाओं का कोई तर्कसंगत उपयोग नहीं था. इससे पहले, मार्च 2010 में सरकार ने एफडीसी की 344 श्रेणियों को प्रतिबंधित करने के लिए अधिसूचना लाई थी. हालांकि, अदालत में विभिन्न निर्माताओं ने इसे चुनौती दी थी.’

उन्होंने आगे कहा, ’15 दिसंबर, 2017 के फैसले में भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में इस मामले की जांच ड्रग्स एंड प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत गठित दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा की गई थी और जिसने इन पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रस्तुत की थी.’

अतुल ने डॉक्टरों द्वारा इन दवाओं का सुझाव देने पर कहते हैं, ‘चिकित्सकों को दवा संयोजन के उपयोग से अवगत होना चाहिए. यदि इसमें तर्कसंगत लाभ नहीं हैं, तो उन्हें सुझाव नहीं करना चाहिए. संयोजन दवाओं का अनावश्यक उपयोग मानव शरीर के लिए दिक्कत पैदा करता है.’

इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, फार्मास्युटिकल मार्केट रिसर्च फर्म एआईओसीडी अवैक्स फार्माट्रैक के मुताबिक, भारत सरकार के 1.8 लाख करोड़ रुपये के फार्मास्युटिकल उद्योग में से 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने की उम्मीद है और कई चिकित्सा क्षेत्रों में दवा ब्रांडों को प्रभावित करेगा.

(नोट: प्रॉक्टर एंड गैंबल कंपनी की ओर से स्पष्टीकरण आने के बाद इस ख़बर से विक्स एक्शन 500 का नाम हटाया गया है.)