संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक में भारत 130वें स्थान पर

मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में एक स्थान ऊपर चढ़कर 130वें स्थान पर पहुंच गया है. इस सूची में नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी सबसे ऊपर हैं.

Children of slum dwellers play under a pushcart in New Delhi December 19, 2006. REUTERS/Ahmad Masood/Files

मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में एक स्थान ऊपर चढ़कर 130वें स्थान पर पहुंच गया है. इस सूची में नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी सबसे ऊपर हैं.

Children of slum dwellers play under a pushcart in New Delhi December 19, 2006. REUTERS/Ahmad Masood/Files
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा शुक्रवार को जारी ताजा मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में एक स्थान ऊपर चढ़कर 130वें स्थान पर पहुंच गया है. 2016 में भारत का स्थान 131 था.

दक्षिण एशिया में भारत का मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) का मूल्य क्षेत्र के औसत 0.638 से अधिक है. इस सूची में बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमश: 136 और 150वें स्थान पर हैं.

एचडीआई में मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों में दीर्घकालिक प्रगति का आंकलन किया जाता है. इन तीन आयामों में लंबा और स्वस्थ जीवन, ज्ञान का प्रसार और रहन-सहन का अच्छा स्तर है.

इस वरीयता सूची में नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी ऊपर हैं. जबकि नाइजर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान, चाड और बुरुंडी जैसे देश एचडीआई के स्वास्थ्य, शिक्षा और आय में राष्ट्रीय उपलब्धियों के मानकों पर सबसे नीचे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार भारत की सकल राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय 1990 से 2017 के बीच 266.6 प्रतिशत बढ़ी है. भारत के एचडीआई मूल्य का करीब 26.8 प्रतिशत असमानताओं की वजह से कम हो जाता है.रिपोर्ट बताती है कि असमानता भारत के लिए चुनौती बनी हुई है.

केंद्र सरकार और अनेक राज्य सरकारों ने विभिन्न सामाजिक संरक्षण उपायों के जरिए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि आर्थिक विकास का लाभ व्यापक रूप से साझा किया जाए और कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहले पहुंचे.

इसमें कहा गया है कि भारत में नीति और विधायी स्तर पर काफी प्रगति होने के बाद भी महिलाएं राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से पुरुषों की तुलना में कम सशक्त हैं.

उदाहरण के तौर पर, संसद में केवल 11.6 प्रतिशत महिलाएं सांसद हैं और 64 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में केवल 39 प्रतिशत महिलाएं कम से कम माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा अर्जित कर पाती हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 27.2 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की भागीदारी 78.8 प्रतिशत है.

हालांकि यूनडीपी का कहना है कि बावजूद इसके भारत ने लिंग असमानता सूचकांक में अच्छा प्रदर्शन किया है. भारत अपने पड़ोसियों बांग्लादेश और पाकिस्तान से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 160 देशों में से 127 वीं रैंकिंग हासिल की है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 189 देशों में से, जिनके लिए एचडीआई की गणना की गई है, 59 देश आज बहुत ऊंचे मानव विकास समूह में हैं और केवल 38 देश कम एचडीआई समूह में शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)