लेफ्ट यूनिटी से एन. साई बालाजी, सारिका चौधरी, एजाज अहमद और अमुथा ने जीत हासिल की. इस साल के चुनाव में 67.8 प्रतिशत छात्रों ने मतदान किया था जो कि पिछले साल के मुकाबले लगभग 10 प्रतिशत अधिक है.
नई दिल्ली: वामपंथी छात्र संगठनों, आइसा, एसएफआई, एआईएसएफ और डीएसएफ, के संयुक्त मोर्चा (वाम एकता यानी कि लेफ्ट यूनिटी) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनावों में केंद्रीय पैनल के सभी चार पदों पर जीत दर्ज की.
जेएनयूएसयू चुनाव संपन्न कराने के लिए गठित चुनाव समिति ने रविवार को इसकी घोषणा की.
वाम एकता की तरफ से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार एन. साई बालाजी को 2,161 वोट मिले और उन्होंने एबीवीपी के ललित पांडे को 1179 वोटों के अंतर से हराकर इस पद पर जीत दर्ज की, जबकि उपाध्यक्ष पद के लिए वाम एकता की उम्मीदवार सारिका चौधरी सबसे अधिक 2,692 वोट हासिल कर विजयी हुईं.
सारिका ने एबीवीपी उम्मीदवार गीतासरी बरुआ को 1680 वोटों के अंतर से उपाध्यक्ष पद पर जीत हासिल की.
वहीं महासचिव पद के लिए वाम एकता के उम्मीदवार एजाज अहमद को 2,423 वोट मिले और उन्होंने एबीवीपी के गणेश गुर्जर को 1300 वोटों से हराकर इस पद पर जीत दर्ज की. वाम एकता की तरफ से संयुक्त सचिव पद की उम्मीदवार अमुथा को 2,047 वोट मिले. अमुथा ने एबीवीपी के वेंकट चौबे को 800 वोटों से हराकर जीत दर्ज की.
वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने वाम एकता (लेफ्ट यूनिटी) नायम का गठबंधन बनाकर जेएनयूएसयू चुनाव लड़ा था.
वाम एकता के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) और बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट्स असोसिएशन (बापसा) के भी उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे.
शुक्रवार को हुए जेएनयूएसयू चुनाव में 67.8 फीसदी मतदान हुआ था, जो कि पिछले छह सालों में सबसे अधिक है. इस चुनाव में 5,000 से ज्यादा छात्रों ने अपने वोट डाले थे.
बता दें कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के हंगामें के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव की मतगणना शनिवार तड़के रोक दी गई थी. एबीवीपी का आरोप था कि उनके मतगणना एजेंट को साइंस स्कूलों में मतगणना शुरू होने की जानकारी नहीं दी गई.
वामपंथी धड़े के अनुसार, ‘मतगणना प्रक्रिया 14 सितंबर को रात 10 बजे शुरू हुई लेकिन मतगणना कक्ष में जबरन घुसने और सीलबंद मतदान पेटियों तथा मतपत्रों को छीन कर ले जाने की कोशिश होने के बाद मतगणना रोक दी गई.’
उन्होंने दावा किया कि महिलाओं सहित उनके सदस्यों को धमकाया गया. वाम धड़े ने दावा किया कि शनिवार सुबह करीब चार बजे एबीवीपी ने इंटरनेशनल स्टडीज बिल्डिंग स्कूल के शीशे तोड़ दिए. इसके बाद ईसी ने मतगणना रोक दी थी.
वामपंथी गठबंधन इस जीत को पिछले एक साल में कुलपति जगदेश कुमार द्वारा लिए गए सत्तावादी प्रशासनिक निर्णयों के खिलाफ जीत के रूप में देखते हैं.
वामपंथी दल सीट कटौती, आरक्षण नीति के अनियमित कार्यान्वयन, फैकल्टी नियुक्तियों में प्रक्रियाओं का उल्लंघन, अनुसंधान छात्रों की अनिवार्य उपस्थिति और वीसी के परिसर में इंजीनियरिंग और प्रबंधन स्कूल खोलने के अचानक निर्णय के खिलाफ विरोध करते रहे हैं.
छात्र जेएनयू प्रशासन द्वारा हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (एचईएफए) से 515 करोड़ों रुपये का लोन लिए जाने के खिलाफ थे. इस मामले में 90 फीसदी से ज्यादा शिक्षकों ने एक जनमत संग्रह में कुलपति एम. जगदीश कुमार को हटाने की मांग के पक्ष में वोट डाला.
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में हुए चुनावों में इस साल सबसे ज्यादा मतदाता मतदान हुआ. इस बार लगभग 67.8 प्रतिशत छात्रों ने वोटिंग किया जो कि पिछले साल की तुलना में हुए मतदान के मुकाबले लगभग 10 प्रतिशत अधिक है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)