बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि भीड़ द्वारा पीट-पीट कर जान लेने की घटनाएं दलितों तथा मुसलमानों के प्रति भाजपा के पक्षपातपूर्ण रवैये का नतीजा है. साथ ही उन्होंने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण से कोई नाता होने से इनकार किया.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन के ख़िलाफ़ नहीं है, लेकिन इस बारे में उसका शुरू से ही स्पष्ट नज़रिया है कि वह किसी भी दल के साथ तभी कोई गठबंधन करेगी, जब उसे सम्मानजनक सीटें मिलेंगी. वरना हमारी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ना बेहतर समझती है.
दैनिक जागरण के अनुसार, मायावती ने कहा, पिछले लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी का प्रदर्शन अन्य के मुक़ाबले काफी अच्छा था. ‘हमारा वोट प्रतिशत भी अधिक था और हमने ही भाजपा से डटकर मुक़ाबला किया था.’
उन्होंने कहा कि राज्यों के चुनाव के साथ लोकसभा के चुनाव में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी पार्टियां काम कर रही हैं.
इसके अलावा भाजपा पर हमला करते हुए बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि भीड़ द्वारा पीट-पीट कर जान लेने की घटनाएं दलितों तथा मुसलमानों के प्रति भाजपा के पक्षपातपूर्ण रवैये का नतीजा होने के साथ साथ सत्ताधारी दल की मूलभूत नीति का हिस्सा हैं.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद यह सिलसिला ख़तरनाक तरीके से बढ़ता जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मायावती ने अपना सरकारी बंगाला ख़ाली कर दिया था. शनिवार को लखनऊ के 9 मॉल एवेन्यू स्थित अपने नए आवास में प्रवेश के बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘देश के भाजपा शासित राज्यों में कथित गोरक्षा के नाम पर लिचिंग यानी भीड़तंत्र की बढ़ती प्रवृत्ति लोकतंत्र को कलंकित कर रही है, फिर भी सरकारें उदासीन और लापरवाह बनी हुई हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मुस्लिमों और ईसाइयों आदि के मामले में भाजपा की सरकारों के पक्षपातपूर्ण और सौतेले रवैये का परिणाम है. यह उनकी मूलभूत नीति का हिस्सा है और जो उनके सरकार में आने के बाद ख़तरनाक तरीके से बढ़ता गया है.’
बसपा मुखिया ने कहा कि एससी/एसटी कानून में बदलाव के ख़िलाफ़ गत दो अप्रैल को दलित संगठनों द्वारा किए गए ‘भारत बंद’ के बाद से दमन चक्र लगातार चल रहा है.
उन्होंने भाजपा पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन तक को अपने सियासी फायदे के लिए भुनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा वाजपेयी के पदचिह्नों पर चले होते तो देश में सांप्रदायिक घटनाएं नहीं होतीं और न ही भीड़तंत्र का राज होता.
बसपा प्रमुख ने कहा कि राफेल विमान ख़रीद मामले में जनता को अब तक कोई संतोषजनक जवाब दे पाने में विफल रही भाजपा लोकसभा और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव नज़दीक आते देख प्रलोभन भरी घोषणाएं कर और तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर अपनी असफलताओं पर पर्दा डाल रही है.
मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपरिपक्व तरीके से नोटबंदी कर आर्थिक इमरजेंसी लगाई, जिससे मज़दूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों और मेहनतकश लोगों का उत्पीड़न हुआ और 100 से ज़्यादा गरीबों की मौत हो गई. अब भाजपा के पास नोटबंदी के नाम पर सांत्वना देने के लिए भी कुछ नहीं बचा, क्योंकि भारतीय रिज़र्व बैंक के आंकड़ों ने नोटबंदी की हक़ीक़त उजागर कर दी है. भाजपा सरकार को कम से कम अब तो इस राष्ट्रीय त्रासदी को अपनी गलती मानकर माफी मांगनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि जहां तक एससी/एसटी कानून के दुरुपयोग की आशंकाओं का सवाल है तो अगर वर्तमान राज्य सरकारें उत्तर प्रदेश में बसपा की पिछली सरकार की तरह ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ की नीति के आधार पर काम करें तो इस कानून का दुरुपयोग नहीं हो सकता.
रावण से मेरा कोई नाता नहीं: मायावती
मायावती ने पिछले साल मई में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में हुई जातीय हिंसा के मामले में गिरफ्तारी के बाद पिछले दिनों रिहा किए गए ‘भीम आर्मी’ के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण के साथ कोई नाता होने से इनकार किया है.
मायावती ने रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं देख रही हूं कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ में तो कुछ लोग अपने बचाव में और कुछ लोग ख़ुद को नौजवान दिखाने के लिए कभी मेरे साथ भाई-बहन का तो कभी बुआ-भतीजे का रिश्ता जोड़ रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई हिंसा के मामले में अभी हाल में रिहा हुआ व्यक्ति (चंद्रशेखर उर्फ रावण) उनके साथ बुआ का नाता जोड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि उनका कभी भी ऐसे लोगों के साथ कोई सम्मानजनक रिश्ता नहीं कायम हो सकता. अगर ऐसे लोग वाकई दलितों के हितैषी होते तो अपना संगठन बनाने की बजाए बसपा से जुड़ते.
मालूम हो कि मई 2017 में सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर में हुई जातीय हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए ‘भीम आर्मी’ के संस्थापक चंद्रशेखर को 14 सितंबर को रिहा किया गया था. रिहाई के बाद उन्होंने कहा था कि मायावती उनकी बुआ हैं और उनका उनसे कोई विरोध नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)