भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के साथ झारखंड में हुई घटना. उन्होंने कोई ऐतराज़ न जताते हुए इसकी तस्वीर अपने फेसबुक पेज पर साझा कर कार्यकर्ता की तारीफ भी की.
रांची: झारखंड में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे एक कार्यक्रम में पुल का शिलान्यास करने पहुंचे थे. इस मौके एक पार्टी कार्यकर्ता ने उनके पैर को धोया और उसी पानी को पी गया. दुबे ने भी कार्यकर्ती के इस कदम की प्रशंशा की है.
प्रभात खबर के मुताबिक रविवार को गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने कलाली से कन्हवारा गांव में कझिया नदी पर 21 करोड़ की लागत से बनने वाले हाईलेवल पुल का शिलान्यास किया.
#WATCH BJP worker washes feet of BJP Godda MP Nishikant Dubey and drinks that water, at an event in Jharkhand's Godda (16.09.18) pic.twitter.com/J2YwazQDhg
— ANI (@ANI) September 17, 2018
इस दौरान गोड्डा प्रखंड के पूर्व महामंत्री पवन कुमार शाह ने कहा कि सांसद ने पुल का तोहफा देकर जनता पर बहुत उपकार किया है. इस नाते कसम के मुताबिक उनके चरण धोकर पीने का मन कर रहा है.
इसके बाद सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में शाह ने दुबे का पैर धोया और उसी पानी को पी गए. सांसद ने भी इस पर कोई ऐतराज नहीं जताया और इसकी तस्वीर अपने फेसबुक पेज पर शेयर की और कार्यकर्ता की तारीफ की.
उन्होंने अपने पेज पर लिखा, ‘आज मैं अपने आप को बहुत छोटा कायकर्ता समझ रहा हूं, भाजपा के महान कार्यकर्ता पवन साह जी ने पुल की खुशी में हजारों के सामने पैर धोया व उसको अपने वादे पुल की ख़ुशी में शामिल किया. काश यह मौका मुझे एक दिन माता पिता के बाद मिले, मैं भी कार्यकर्ता खासकर पवन जी का चरणामृत पियूं. जय भाजपा जय भारत.’
तस्वीर शेयर करते ही सांसद सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गई और कई सारे लोग इसकी आलोचन करने लगे. इस मामले को लेकर विपक्षी दल भाजपा सांसद पर हमलावर हैं.
हालांकि निशिकांत दुबे इसमें कोई बुराई नहीं देखते हैं और उन्होंने इसकी तुलना महाभारत के कृष्ण द्वारा पैर धोये जाने से कर दी. दुबे कहते हैं कि अगर कार्यकर्ता खुशी का इजहार पैर धोकर कर रहा है तो इसमें कोई गलती नहीं है.
उन्होंने लिखा, ‘अपनो में श्रेष्ठता बांटी नही जाती और कार्यकर्ता यदि खुशी का इजहार पैर धोकर कर रहा है तो क्या गजब हुआ?उन्होंने जनता के सामने कसम खाया था,उनको ठेस ना पहुंचे सम्मान किए.
भाजपा सांसद ने आगे कहा, ‘पैर धोना तो झारखंड में अतिथि के लिए होता ही है, सारे कार्यक्रम में आदिवासी महिलाएं क्या यह नहीं करती हैं? इसे राजनितिक रंग क्यूं दिया जा रहा है. पैर अतिथि का धोना गलत है, अपने पुरखो से पछिए ,महाभारत में कृष्ण जी ने क्या पैर नहीं धोया था?’