उच्चतम न्यायालय ने सेरिडॉन और तीन अन्य दवाओं की बिक्री की अनुमति दी

बीते 13 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 328 ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो दो या उससे अधिक दवाओं के संयोजन से बनी थीं और जिन्हें बिना मेडिकल पर्चे के केमिस्ट की दुकान से ख़रीदा जा सकता था. यह प्रतिबंध सात सितंबर से लागू हुआ है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

बीते 13 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 328 ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो दो या उससे अधिक दवाओं के संयोजन से बनी थीं और जिन्हें बिना मेडिकल पर्चे के केमिस्ट की दुकान से ख़रीदा जा सकता था. यह प्रतिबंध सात सितंबर से लागू हुआ है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने प्रतिबंधित दर्द निवारक सेरिडॉन और तीन अन्य एफडीसी (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन यानी निश्चित खुराक संयोजन) दवाओं की बिक्री की अनुमति दे दी है.

जस्टिस आरएफ नरिमन और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कुछ दवा निर्माता कंपनियों और फार्मा एसोसिएशन की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा है.

न्यायालय ने जिन दवाओं की बिक्री की अनुमति प्रदान की है उनमें पीरामल हेल्थकेयर की सेरिडॉन, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन की प्रीटोन, जग्गट फार्मा की डार्ट और एक अन्य दवा, जिसका विवरण तत्काल प्राप्त नहीं हो सका, शामिल है.

शीर्ष अदालत ने हालांकि प्रतिबंधित एफडीसी दवाओं की 328 दवाओं की सूची को किसी अन्य प्रकार की कोई राहत प्रदान नहीं की. इन दवाओं के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सात सितंबर की अधिसूचना के माध्यम से प्रतिबंधित कर दिया है.

एफडीसी दवाए दो या उससे अधिक दवाओं को मिलाकर एक निश्चित अनुपात में एक दवा के रूप में तैयार की जाती हैं.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इससे पहले इंडियन फार्मा कंपनी वाक्हार्ट के अपने एस. प्रॉक्सिवॉन टैबलेट बेचने की अनुमति दी थी. यह तीन दवाओं को मिलाकर बनाई जाती है और यह प्रतिबंधित है.

फार्मा कंपनी ने दावा किया कि वह 11 साल से इस दवा का उत्पादन और बिक्री कर रही है. उसका तर्क था कि उसे औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई है जिसके आधार पर यह निर्णय लिया गया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 मार्च 2016 की अधिसूचना के ज़रिये 349 एफडीसी दवाओं के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया था. सरकार की इस अधिसूचना को भी दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी.

बीते 13 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 328 एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह प्रतिबंध सात सितंबर से लागू हुआ है. सरकार ने जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें वो दवाएं हैं जो जल्‍द आराम पाने के लिए मेडिकल दुकानों से बिना पर्चे के खरीद लेते हैं.

एनडीटीवी के मुताबिक सरकार ने जिन दवाओं पर रोक लगाई है, उनमें सेरिडॉन, जिंटॉप, सूमो, जीरोडॉल, फेंसाडील, कोरेक्स और कई तरह के एंटीबायोटिक्स, पेन किलर्स, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं.

शीर्ष अदालत ने दिसंबर, 2016 में एफडीसी पर लगाया गया प्रतिबंध निरस्त कर दिया था जिसे केंद्र ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय क आदेश निरस्त करते हुए प्रतिबंधित एफडीसी दवाओं को औषधि तकनीकी परामर्श बोर्ड के पास फिर से विचार के लिये भेज दिया था.

इसके बाद बोर्ड ने एक समिति गठित की थी जिसने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी थी. बोर्ड ने व्यापक जनहित में इन एफडीसी दवाओं के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)