दंतेवाड़ा के ग्रामीणों ने एक फैक्ट फाइंडिंग टीम को बताया कि बीते दिनों माओवादियों द्वारा उन्हें बुरी तरह पीटा गया और गांव छोड़कर जाने को कहा गया, क्योंकि वे सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे थे.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से बीते दिनों नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों को पीटने की ख़बरें सामने आईं, जिसकी जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी दंतेवाड़ा जिले में जाकर ग्रामीणों से मिली.
इस कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि विभिन्न योजनाओं में ग्रामीणों का जुड़ना इस तरह के हमलों की वजह हो सकता है.
इस फैक्ट फाइंडिंग टीम में सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया, सोनी सोरी, लिंगाराम कोडोपी और ज्यां द्रेज थे, जो 15 सितंबर को दंतेवाड़ा के पुलपाड़ गांव गए और ग्रामीणों से मिले. इनमें ज़्यादातर वे ग्रामीण थे, जो काफी गरीब हैं और आय के लिए केवल खेती पर निर्भर हैं.
ऐसा बताया गया कि 5 सितंबर को रात में करीब 3 बजे माओवादी गांव पहुंचे और गांववालों से एक जगह एकत्र होने को कहा. ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने एक महिला समेत 9 लोगों को पकड़ा और भीड़ के सामने उन्हें पीटा.
कुछ अन्य को वहां से अलग ले जाकर पीटा गया. ग्रामीणों का कहना है कि कइयों को उनके हाथ पीछे बांधकर बुरी तरह मारा गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुल 35 ग्रामीणों को बुरी तरह पीटा गया था, जिसमें 10 गंभीर घायल हुए थे. 16 को कुआकोंडा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया था.
गंभीर रूप से घायल एक ग्रामीण, जिसे दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया, ने अस्पताल से ही इस फैक्ट-फाइंडिंग टीम को बताया कि उसके हाथ पीछे बांधकर उसे पेट के बल लिटा दिया गया.
उन्होंने आगे बताया कि हमले की रात एक व्यक्ति उनकी पीठ पर बैठा, जबकि बाकी उनके तलवों पर चोट करते रहे. उन्होंने यह भी बताया कि माओवादियों ने उनकी नई मोटर साइकिल के बारे में आपत्ति जताते हुए कहा कि उसने इसके लिए किसी गलत तरह से पैसा कमाया है.
इस ग्रामीण का कहना है कि उन्हें लगता है कि उनकी जान को खतरा है क्योंकि माओवादियों ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाने के लिए मना किया था.
गांववालों के मुताबिक इस हमले की वजह सरकारी योजनाओं से उनका जुड़ाव हो सकता है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने, गांव तक सड़क बनाने के पक्ष में आने, साथ ही साथ स्थानीय भाजपा नेता द्वारा गतिविधियों में भाग लेने से माओवादी नाराज़ हुए, जिसकी वजह से यह हमला हुआ.
ग्रामीणों ने यह भी बताया है कि उनसे अपना घर छोड़कर पास के कस्बों में जाने को कहा गया था, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया.
हाल की इन घटनाओं को देखते हुए, इस टीम ने माओवादियों से अपील की है कि वे ऐसा दोबारा न करें और ग्रामीणों को उनके हिसाब से रहने का विकल्प चुनने की आज़ादी दें.