मस्तिष्क आघात के बाद हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष विष्णु खरे का राजधानी नई दिल्ली स्थित जीबी पंत अस्पताल में चल रहा था इलाज.
नई दिल्ली: कवि, साहित्यकार और फिल्म समीक्षक विष्णु खरे का बीते बुधवार को नई दिल्ली में निधन हो गया. वह 78 वर्ष के थे.
मस्तिष्क आघात के बाद बीते 12 सितंबर को उन्हें नई दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मस्तिष्क आघात के बाद उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में दो फरवरी 1940 को जन्मे विष्णु खरे पत्रकार और अनुवादक भी रहे थे. वह हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स के नई दिल्ली, लखनऊ और जयपुर संस्करणों के संपादक रह चुके थे.
इसके अलावा हिंदी, अंग्रेज़ी, जर्मन और अन्य यूरोपीय भाषाओं के अतिरिक्त कुछ एशियाई भाषाओं में भी अनुवाद करते थे.
‘ख़ुद अपनी आंखों से’, ‘पिछला बाकी’, ‘काल और अवधि के दरमियान’, ‘आलोचना की पहली किताब’, ‘सबकी आवाज़ के पर्दे में’, ‘लालटेन जलाना’ आदि उनकी प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं.
उन्होंने ब्रिटिश कवि टीएस इलियट की कविताओं का अनुवाद किया था. इस पुस्तक का नाम ‘मरु प्रदेश और अन्य कविताएं’ है.
पिछले कुछ वर्षों से वह मुंबई में रहे थे. हाल ही में उन्हें हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद पिछले कुछ दिनों से वह नई दिल्ली में ही रह रहे थे.
हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान के अलावा उन्हें हिंदी साहित्य के नाइट ऑफ द ह्वाइट रोज़ सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका था.