कश्मीर में अगवा किए गए तीन पुलिसकर्मियों की आतंकियों ने की हत्या

पुलिस ने मृतकों की पहचान कॉन्स्टेबल निसार अहमद, दो विशेष पुलिस अधिकारियों फिरदौस अहमद और कुलवंत सिंह के तौर पर की है. ये पुलिसकर्मी शोपियां जिला के कापरेन और हीपोरा इलाके से थे.

पुलिस ने मृतकों की पहचान कॉन्स्टेबल निसार अहमद, दो विशेष पुलिस अधिकारियों फिरदौस अहमद और कुलवंत सिंह के तौर पर की है. ये पुलिसकर्मी शोपियां जिला के कापरेन और हीपोरा इलाके से थे.

Kashmir Police ANI
(फोटो: एएनआई)

श्रीनगर: आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर के शोपियां जिला से अगवा करने के बाद तीन पुलिसकर्मियों की शुक्रवार सुबह गोली मार कर हत्या कर दी. पुलिस ने यह जानकारी दी.

पुलिसकर्मियों के शव वंगम इलाके में एक बाग से बरामद किए गए. इस जगह से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित एक गांव से उन्हें अगवा किया गया था.

पुलिस ने मृतकों की पहचान कॉन्स्टेबल निसार अहमद, दो विशेष पुलिस अधिकारियों फिरदौस अहमद और कुलवंत सिंह के तौर पर की है. ये पुलिसकर्मी शोपियां जिला के कापरेन और हीपोरा इलाके से थे.

पुलिस ने बताया कि बाटागुंड गांव के निवासियों ने आतंकवादियों का पीछा किया और उनसे पुलिसकर्मियों को अगवा नहीं करने का अनुरोध किया, लेकिन आतंकवादियों ने हवा में गोली चलाई और ग्रामीणों को धमकी दी.

उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने इलाके में एक नदी को पार किया और वहीं गोली मार कर पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी.

निसार अहमद सशस्त्र पुलिस में कार्यरत थे, फिरदौस अहमद रेलवे में सेवा दे रहे थे जिन्हें कॉन्स्टेबल बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही थी जबकि कुलवंत सिंह कुलगाम पुलिस में तैनात थे.

आतंकवादियों ने पुलिस कांस्टेबल के भाई को भी अगवा किया था, हालांकि बाद में उसे उन्होंने छोड़ दिया था.

हिजबुल मुजाहिदीन संगठन से कथित रूप से संबद्ध एक ट्विटर हैंडल पर इस अपहरण और हत्या की वारदात को अंजाम देने का दावा किया गया.

इन पुलिसकर्मियों को तीन हफ्ते पहले अगवा किया गया था. इससे पहले आतंकवादियों ने 30 अगस्त को दक्षिण कश्मीर में विभिन्न स्थानों से पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों को अगवा किया था, जिन्हें बाद में छोड़ दिया था.

इस तरह के कम से कम आठ लोगों को अगवा किया गया था, जिनके रिश्तेदार जम्मू कश्मीर पुलिस में काम करते हैं.

हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू ने 12 मिनट के एक वीडियो में कथित रूप से इस अपहरण की जिम्मेदारी ली. उसने पुलिस हिरासत में मौजूद आतंकवादियों के रिश्तेदारों को रिहा करने के लिए तीन दिन का समय दिया है.

वैश्विक तौर पर वांछित आतंकवादी और हिजबुल मुजाहिदीन संगठन के नेता सैयद सलाहुद्दीन के दूसरे बेटे की एनआईए द्वारा गिरफ्तारी के बाद 30 अगस्त को अपहरण की इस घटना को अंजाम दिया गया.

वहीं ये भी खबर है कि कश्मीर में आतंकियों के डर से कई सारे पुलिसकर्मी इस्तीफा दे रहे हैं. ग्रेटर कश्मीर की रिपोर्ट के मुताबिक शोपियां जिले में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा तीन पुलिसकर्मियों के अपहरण और हत्या के बाद दक्षिण कश्मीर के तीन जिलों के छह पुलिसकर्मियों ने अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे दिया है.

शोपियां, कुलगाम और पुलवामा के इन पुलिसकर्मियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो डाल कर इस्तीफा दिया है.

पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देने वालों में तेंगम कुलगाम के नवाज़ अहमद लोन (एसपीओ), सामनू कुलगाम के शबीर अहमद ठोकर (एसपीओ), हीपोरा बुटगुंड के तजाल्लाह हुसैन, कापरान शोपियां के उमर बशीर (एसपीओ), दंगम के इरशाद अहमद बाबा (कॉन्स्टेबल) और वाहिबुग पुलवामा के नसीर अहमद (एसपीओ) शामिल हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो संदेश में इनमें से एक पुलिसकर्मी यह कह रहा है, ‘मेरा नाम इरशाद अहमद बाबा है और मैं पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था। मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है.’

एसपीओ तजाल्ला हुसैन लोन ने कहा कि उन्होंने 17 सितंबर को पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया और वह ये वीडियो इसलिए जारी कर रहे हैं ताकि उनके इस कदम को लेकर किसी तरह का कोई शक नहीं बना रहे.

बहरहाल, इन इस्तीफों पर पुलिस ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइको ने कई बार स्थानीय पुलिसकर्मियों खासकर कई एसपीओ को यह कहकर इस्तीफा देने की धमकी दी कि सरकार उनका इस्तेमाल कर रही है.

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने इस घटना को लेकर ट्विटर पर अपनी नाराजगी जताई है.

उन्होंने कहा, ‘आतंकवादियों की गोलियों ने तीन और पुलिसकर्मियों की जान ले ली. सभी लोग इस घटना की निंदा, आलोचना करेंगे और आक्रोश जताएंगे.’

उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों के अपहरण की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केन्द्र की बल प्रयोग की नीति बिल्कुल काम नहीं कर रही है. इसके लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है, जो अब सपना प्रतीत हो रहा है.’

इन पुलिसकर्मियों को तीन सप्ताह पहले अगवा किया गया था. इससे पहले आतंकवादियों ने 30 अगस्त को दक्षिण कश्मीर में विभिन्न स्थानों से पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों को अगवा किया था, जिन्हें बाद में छोड़ दिया था.

इस तरह के कम से कम आठ लोगों को अगवा किया गया था, जिनके रिश्तेदार जम्मू कश्मीर पुलिस में काम करते हैं. हत्या की ये घटनाएं पंचायत और स्थानीय शहरी निकायों के चुनाव की घोषणा के बाद हुई हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)