सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा पर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने आरोप लगाया है कि उन्होंने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की संलिप्तता वाले आईआरसीटीसी घोटाले में आख़िरी समय में छापेमारी रोक दी थी.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो के प्रमुख आलोक वर्मा और उनके उप सहकर्मी राकेश अस्थाना के बीच अंदरूनी विवाद के बीच एजेंसी के सूत्रों ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को यह स्पष्ट करना होगा कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों को क्या उस संस्था पर लगा आरोप माना जाना चाहिए, जिसकी वह अध्यक्षता कर रहे हैं.
ये टिप्पणी सीबीआई की ओर से प्रेस को दिए गए बयान के एक दिन बाद आई हैं जिनमें 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा के खिलाफ शिकायत की जांच कर रहे सीवीसी को एजेंसी द्वारा सौंपे गए जवाब के विवरण दर्ज थे.
एजेंसी के उपप्रमुख राकेश अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और इसे सरकार ने सीवीसी के पास भेज दिया था. हालांकि एजेंसी ने इन आरोपों को मूर्खतापूर्ण और दुर्भावनापूर्ण बताया था.
खबर के मुताबिक वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की संलिप्तता वाले आईआरसीटीसी घोटाले में आखिरी क्षण में छापेमारी बंद कर दी थी.
सीबीआई ने शुक्रवार को कहा कि उसके दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना द्वारा सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में की गई शिकायत लगभग छह मामलों में उनकी भूमिका की जांच कर रहे अधिकारियों को डराने की कोशिश है.
वर्मा के खिलाफ दी गई शिकायत को दुर्भावनापूर्ण और ओछी करार देते हुए सीबीआई ने कहा, ‘यह शिकायतकर्ता (अस्थाना) द्वारा सीबीआई के अधिकारियों को डराने का एक प्रयास है जो कम से कम आधा दर्जन मामलों में उनकी भूमिका की जांच कर रहे हैं.’
सूत्रों ने कहा कि दोनों अधिकारियों के बीच दरार की खबरें लंबे समय से आ रही थीं लेकिन यह तब सबके सामने आ गईं जब पिछले साल अस्थाना की विशेष आयुक्त के पद पर पदोन्नति पर फैसले के लिए आयोजित केंद्रीय सतर्कता आयोग की बैठक में वर्मा ने अपनी स्वतंत्र और बेबाक राय दी थी.
हालिया मामले में अस्थाना ने केंद्र सरकार को एक नोट लिखकर कहा है कि वर्मा उनके द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप कर रहे हैं और उन्हें अपमानित किया जा रहा है.
अस्थाना की शिकायत को केंद्र की तरफ से केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेजा गया जिसके बाद संस्था ने 11 और 14 सितंबर को लिखे गए अपने खतों के जरिए सीबीआई से विभिन्न मामलों से जुड़ी फाइलों की मांग की है.
सूत्रों ने कहा कि फाइलों को दिखाने पर सहमति जताई लेकिन फाइलों को तलब किए जाने को हताश करने वाला करार दिया गया. अस्थाना की तरफ से इस मामले पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
एक असामान्य कदम के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उन खबरों के बाद एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि अस्थाना केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के समक्ष यह आरोप लगाते हुए शिकायत दायर कर रहे हैं कि उनके तहत आने वाले विशेष जांच दल द्वारा की जा रही जांच में कथित तौर पर हस्तक्षेप किया जा रहा है.
शिकायत में कथित तौर पर यह आरोप लगाया गया कि वर्मा ने आखिरी वक्त में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद से संबद्ध आईआरसीटीसी घोटाले में छापे रुकवा दिए.
इसमें कहा गया, ‘आईआरसीटीसी मामले में आरोपी के खिलाफ छापे रुकवाने का आरोप बिलकुल झूठा है. इस मामले में जांच के बाद संबंद्ध अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया है. यह सीबीआई निदेशक की मंजूरी के बिना संभव नहीं हो सकता था.’
बयान में कहा गया, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीबीआई निदेशक की छवि को धूमिल करने और संगठन के अधिकारियों को डराने के लिए तथ्यों की समुचित पुष्टि किए बगैर सार्वजनिक रूप से निराधार और ओछे आरोप लगाए जा रहे हैं.’
बता दें कि सीबीआई के नवनियुक्त स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर 4,000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिग मामले में शामिल होने का आरोप है, जिसकी जांच ख़ुद सीबीआई कर रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)