कोच्चि की सेंट मैरीज चर्च की नन सिस्टर लूसी कलपुरा का कहना है कि ननों के प्रदर्शन में शामिल होने के कारण उन्हें चर्च की किसी भी गतिविधि में शामिल होने से मना किया गया है, वहीं चर्च के फादर ने इन आरोपों से इनकार किया है.
कोच्चि: बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कोच्चि में हुए प्रदर्शनों में शामिल होने के बाद एक कैथोलिक नन को चर्च की ड्यूटी से दूर रहने के लिए कहा गया है. वहीं एक पादरी को अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है.
कोच्चि से रविवार की सुबह वायनाड लौटीं सिस्टर लूसी कलपुरा ने दावा किया कि उन्हें मदर सुपीरियर ने मौखिक रूप से सूचित किया है कि वह प्रार्थना कराने और चर्च से संबंधित अन्य ड्यूटी से दूर रहेंगी.
सिस्टर ने कहा, ‘मुझे कोई लिखित आदेश नहीं दिए गए हैं. मुझे मदर सुपीरियर ने चर्च की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होने के लिए मौखिक रूप से सूचित किया है.’
बहरहाल, वायनाड में सेंट मैरीज चर्च के फादर स्टीफन कोट्टाक्कल ने एक बयान में कहा कि चर्च से जुड़े लोगों द्वारा कुछ चिंता जताए जाने के मद्देनजर सिस्टर लूसी को ड्यूटी से दूर रहने को कहा गया है.
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि ननों के प्रदर्शन में शामिल होने के कारण उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई की गई है.
What pained me is that church couldn't raise its voice when Franco raped a nun 13 times.I felt I should go&support her. How speedy action comes against me while everybody was silent on rape. May be it’s team of the church Vicars who took the decision: Sister Lucy Kalppura #Kerala pic.twitter.com/kB1AGB1jPC
— ANI (@ANI) September 23, 2018
हालांकि सिस्टर लूसी इस बात पर कायम हैं कि ननों के प्रदर्शन में शामिल होने के कारण उन पर रोक लगायी गई है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे ड्यूटी से हटाए जाने मुझे बताया जाना चाहिए कि मेरी गलती क्या है. मैं आज तक अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाती आयी हूं, तो स्पष्ट किया जाना चाहिए कि मुझे क्यों निकाला गया?
उन्होंने यह भी कहा, ‘मुझे इस बात का ज्यादा दुख है कि चर्च ने तब कोई आवाज़ नहीं उठा सकी, जब फ्रैंको ने एक नन के साथ 13 बार बलात्कार किया। मुझे लगा कि मुझे जाकर उसका समर्थन करना चाहिए. पर देखने वाली बात है कि मेरे खिलाफ कितनी जल्दी फैसला आया, जबकि बलात्कार पर सब चुप थे.’
इस बीच पादरी बार यूहानोन रामबन ने रविवार को कहा कि उन्हें सीरिया के दमिश्क स्थित उनके चर्च मुख्यालय से एक पत्र मिला है जिसमें उन्हें ननों का प्रदर्शन करने के लिए चेतावनी दी जा रही है.
पत्र में कहा गया है कि उनकी गतिविधियां पादरियों की जीवन-शैली के अनुरूप नहीं थी और इससे संस्था की छवि प्रभावित हुई है. उन्हें चेतावनी दी गई है कि अगर वह ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.
पादरी ने आरोप लगाया कि कुछ स्थानीय बिशपों ने उनके खिलाफ साजिश की और सीरिया में चर्च के उच्च अधिकारियों को गलत जानकारी भेजी. उन्होंने अपना रुख स्पष्ट करते हुए संस्था के प्रमुख को पत्र लिखा है.
केरल कैथोलिक चर्च सुधार आंदोलन के नेताओं में से एक इंडुलेखा जोसेफ ने आरोप लगाया कि सिस्टर लुसी के खिलाफ कार्रवाई चर्च के भीतर किसी भी प्रकार की अन्यायपूर्ण गतिविधियों के खिलाफ विरोध की आवाजों को दबाने का प्रयास है.
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने सिस्टर लूसी और पादरी के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की है.
मालूम हो कि नन लगभग 13 दिन तक बिशप की गिरफ़्तारी के लिए प्रदर्शन करती रहीं, जिस पर साथी नन के साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप था. बिशप को पुलिस ने तीन दिन की पूछताछ के बाद शुक्रवार को हिरासत में ले लिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)