सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही के सीधा प्रसारण से जनता के जानने का अधिकार पूरा होगा और न्यायिक कार्यवाही में पहले से अधिक पारदर्शिता आएगी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण और उसकी वीडियो रिकार्डिंग के लिए बुधवार को सहमत हो गया और उसने टिप्पणी की, ‘कीटाणुओं के नाश के लिए सूरज की रोशनी बेहतरीन है.’
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह जनता के अधिकारों में संतुलन बनाने और वादकारियों की गरिमा की रक्षा के लिए शीघ्र ही आवश्यक नियम तैयार करेगी. पीठ ने कहा, ‘कीटाणुओं के नाश के लिए सूरज की रोशनी बेहतरीन है.’
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर ने इस संबंध में एक फैसला सुनाया जबकि जस्टिस चंद्रचूड़ ने सहमति व्यक्त करते हुए अलग फैसला सुनाया.
पीठ ने कहा कि अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण ‘जनता के जानने का अधिकार’ पूरा होगा और यह न्यायिक कार्यवाही में पहले से अधिक पारदर्शिता लाएगी.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 24 अगस्त को केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण शुरुआत में चीफ जस्टिस के कोर्ट में शुरू किया जा सकता है, जिसमें संवैधानिक महत्व के मामलों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है. इसके लिए नियमों के बनाने के लिए सुझाव भी दिया गया है.
वेणुगोपाल ने यह भी कहा है कि अगर ये सफल होता है, तो इसे देश के अन्य अदालतों में भी लागू किया जाएगा.
उन्होंने यही भी सुझाव दिया है कि सीधा प्रसारण 70 सेकंड देरी से प्रकाशित होगा, क्योंकि उस वक़्त के दौरान जज आवाज़ को बंद कर सकते हैं, जब वकील कोई बदतमीज़ी करे, या मामले किसी की निजता से जुड़ा हुआ हो या राष्ट्र सुरक्षा का मामला हो.
शीर्ष अदालत ने न्यायिक कार्यवाही के सीधे प्रसारण और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए कानून की छात्रा स्नेहिल त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह तथा गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर अकाउंटिबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज’ की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)