इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने महात्मा गांधी पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार ने एक राष्ट्रपिता के रूप में गांधी की विरासत को भुलाते हुए उनके क़द को स्वच्छ भारत मिशन तक सीमित कर दिया है.
नई दिल्ली: जाने-माने इतिहासकार इरफान हबीब ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी के कद को गिराकर स्वच्छ भारत मिशन के लिए ‘वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक’ के स्तर का करने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों को राष्ट्रपिता के तौर उनकी विरासत का जश्न मनाना चाहिए.
87 वर्षीय हबीब यहां इतिहासकार, विद्वानों, कलाकारों, छात्रों और अन्य को संबोधित कर रहे थे. सफ़दर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट (सहमत) की ओर से आयोजित गांधी जयंती मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में गांधी पर बोल रहे थे.
स्वच्छ भारत मिशन में गांधी जी की तस्वीर के इस्तेमाल का हवाला देते हुए हबीब ने कहा, ‘आज, देश की भाजपा सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक जैसा व्यवहार कर रही है. मेरे ख्याल से इस वक्त हमें राष्ट्रपिता के तौर पर उनकी विरासत का जश्न मनाना चाहिए.’
स्वच्छ भारत मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है और इसकी शुरुआत दो अक्टूबर 2014 को हुई थी.
इस अभियान का मकसद दो अक्टूबर 2019 तक भारत को खुले में शौच मुक्त मुल्क बनाना है. तब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही होगी. इस योजना के लोगो के तौर पर गांधी जी के चश्मे की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है.
इससे पहले अपने संबोधन में ‘पीपुल्स हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ के लेखक ने राष्ट्रवाद और गांधी के विचार पर बात की और कहा कि राष्ट्र की अवधारणा देश से अलग है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि इस समय भारतीय राष्ट्रवाद पर चर्चा करना जरूरी है क्योंकि लोगों को आजकल ‘बिल्कुल झूठा राष्ट्रवाद’ समझाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘एक देश तब एक राष्ट्र बनता है, तब इसे राजनीतिक इकाई के रूप में बनाने के गंभीर प्रयास किए जाते हैं. राष्ट्र की अवधारणा हाल के सालों की है, खासकर 1789 की फ्रांसीसी क्रांति के समय की… भारतीय राष्ट्र की अवधारणा आज़ादी की लड़ाई से पैदा हुई है, न कि ऋग्वेद से जैसा आरएसएस हमें बताना चाहता है.’
अपने संबोधन में इतिहासकार ने भारत को लेकर गांधी जी के शुरुआती नजरिये के बारे में बात की, जो उन्होंने अपनी किताब ‘हिन्द स्वराज’ में लिखा हैं.
हबीब ने कहा, ‘उन्होंने ‘हिन्द’ शब्द को इस्तेमाल किया है न कि ‘भारत’. भारत को लेकर गांधी जी का जरिया बहुत व्यापक था.’
इतिहासकार ने लोगों से 13 जनवरी, जिस दिन गांधी जी के आमरण अनशन की सालगिरह होती है, को बड़े पैमाने पर मनाने की गुजारिश की. इसके कुछ दिनों बाद गांधी जी की दिल्ली में हत्या कर दी गई थी.
हबीब ने कहा, ‘पाकिस्तान में उनकी हत्या की खबर सुनकर मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों की चूड़ियों को तोड़ दिया था. वो अलग वक्त था. हमें मान लेना चाहिए था कि वो वक्त चला गया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)