मामले का खुलासा होने के बाद बालिका गृह की लड़कियों ने पूछताछ में एक किशोरी की मौत होने की बात कही थी. मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के एक स्टाफ की निशानदेही पर श्मशान घाट से कंकाल बरामद किया.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह में तमाम लड़कियों के साथ बलात्कार और उनके यौन शोषण के मामले की जांच के दौरान एक नाबालिग लड़की का कंकाल बरामद हुआ है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, बीते तीन अक्टूबर को मामले में रिमांड पर लिए गए मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के प्रेस स्टाफ गुड्डू पटेल ने 13 दिन की पूछताछ के बाद बालिका में एक किशोरी की मौत की जानकारी दी थी.
गुड्डू की निशानदेही पर सीबीआई ने मुज़फ़्फ़रपुर के सिकंदरपुर इलाके में स्थित श्मशान घाट ने किशोरी का कंकाल बरामद किया गया. खुदाई में मानव कंकाल नरमुंड और हड्डियों के अवशेष मिले हैं.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में अब आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या और लाश छिपाने की साज़िश को लेकर भी कार्रवाई शुरू होगी.
दरअसल मामले का खुलासा होने के बाद पूछताछ में युवतियों ने बताया था कि यौन उत्पीड़न का विरोध करने वाली लड़कियों को काफी मारा-पीटा जाता था. इसी क्रम में एक किशोरी की मौत हो गई थी.
बहरहाल जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ को जांच एजेंसी ने बताया कि उसने आश्रय गृह में रहने वाली तमाम लड़कियों से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (एनआईएमएचएन यानी निम्हांस) के विशेषज्ञों की मदद से बातचीत की है.
सीबीआई ने कहा कि उसे जांच के दौरान सामने आए तथ्यों के आलोक में उसे इन लड़कियों से एक बार फिर बात करने के लिए कुछ और समय चाहिए.
सीबीआई के वकील ने पीठ से कहा कि ये विशेषज्ञ उस अवसाद के पहलू को देख रहे थे जिससे इन लड़कियों को रूबरू होना पड़ा था और इस कवायद के अभी तक अच्छे नतीजे निकले हैं.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने टिप्पणी की कि जांच और पुनर्वास के पहलुओं पर साथ-साथ काम होना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘हम सिर्फ जांच के पहलू पर ही गौर नहीं कर सकते. हमें पुनर्वास के पहलू पर भी ध्यान देना होगा. यह (पुनर्वास) जांच की तरह ही महत्वपूर्ण है.’
इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं वकील अपर्णा भट्ट ने कहा कि सीबीआई की जांच चल रही है और वह इस मामले में गवाहों के बयान भी दर्ज कर रही है.
टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइसेंज (टिस) के वकील ने कहा कि जांच महत्वपूर्ण चरण में है और इस मामले में नए तथ्य सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि कई लड़कियां अभी भी अपघात (ट्रामा) से प्रभावित हैं. जांच एजेंसी जांच कर रही है परंतु लड़कियों को अलग से निम्हांस की काउंसलिंग की ज़रूरत है और उन्हें साक्ष्य के रूप में नहीं लिया जा सकता है.
बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि इन लड़कियों के पुनर्वास की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए क्योंकि वे गंभीर अपघात के दौर से गुज़री हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)