उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस महकमे के लिए पहली बार सोशल मीडिया पॉलिसी जारी की है.
लखनऊ: राजधानी लखनऊ में पिछले हफ्ते कथित रूप से कार नहीं रोकने पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारी की हत्या के आरोपी सिपाही के समर्थन में शहर के कुछ पुलिस थानों, पुलिसकर्मियों द्वारा कथित रूप से काली पट्टी बांधकर काम करने के मामले में शुक्रवार को तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया.
इसके साथ ही शहर के जिन तीन पुलिस थानों- नाका, गुडंबा और अलीगंज में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किए जाने की खबरें आई थीं, वहां के थानाध्यक्षों को उनके पद से हटा दिया गया है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन खबरों की वास्तविकता की जांच के आदेश दिए गए हैं.
पुलिस उप महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) प्रवीण कुमार ने शुक्रवार की शाम एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि राजधानी के कई पुलिस थानों में काली पट्टी बांधकर पुलिसकर्मियों के काम करने की खबरें आयी थीं लेकिन जांच में अभी तक तीन पुलिसकर्मियों की पहचान सोशल मीडिया में फोटो के आधार पर हुई है. इनमें थाना नाका, थाना गुडंबा और थाना अलीगंज के सिपाही शामिल थे.
इन तीनों सिपाहियों को तत्काल निलंबित कर इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं. जिन पुलिस थानों में ये पुलिसकर्मी तैनात थे, वहां के थानाध्यक्षों को तुरंत पद से हटाये जाने के आदेश दिए गए हैं.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से जिन-जिन पुलिस कर्मियों की पहचान होती जायेगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ स्थानों से पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर काली पट्टी बांधकर काम किये जाने की खबरें मिली हैं. उन पुलिसकर्मियों द्वारा काली पट्टी बांधे जाने की सचाई, समय और उद्देश्य के बारे में विस्तृत छानबीन के आदेश दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों के दौरान ऐसा देखा गया है कि पुलिस बल का माहौल खराब करने के लिए कुछ तस्वीरें गढ़कर उन्हें सोशल मीडिया पर पेश किया गया है. इस मामले में पूर्व में पुलिस सेवा से बर्खास्त किए गए सिपाही बृजेन्द्र यादव और अविनाश पाठक को क्रमशः वाराणसी और मिर्जापुर से गिरफ्तार किया गया है. सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखी जा रही है और जांच में दोषी पाये जाने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
इससे पहले एटा जिले में तैनात कांस्टेबल सर्वेश चौधरी ने फेसबुक पर आपत्तिजनक वीडियो अपलोड किया था. इस पर तत्परता से कार्रवाई करते हुए उसे गुरुवार को निलंबित कर विभागीय कार्यवाही की जा रही है.
लखनऊ में पिछले दिनों हुए विवेक तिवारी हत्याकांड के आरोपी पुलिसकर्मियों के समर्थन में कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा काली पट्टी बांधकर काम करने की योजना के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने बताया कि कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं. हमने इसे बहुत गंभीरता से लिया है.
उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने पहले से ही इस मामले को सर्विलांस पर ले रखा है, उसमें पाया गया है कि कुछ बर्खास्त पुलिसकर्मी इस तरह की बातें कर रहे हैं. हमने इस मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. जहां पर आपराधिक दायित्व होगा, विवेचना के दौरान उन सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा. दोषी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
उल्लेखनीय है कि पिछले शनिवार को गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में हुए विवेक तिवारी हत्याकांड के आरोपी पुलिसकर्मियों प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार का कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा समर्थन किये जाने की खबरें आ रही हैं. साथ ही तिवारी को गोली मारने के आरोपी प्रशांत की मदद के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा चंदा एकत्र किये जाने की चर्चाएं भी जोरों पर हैं.
नई सोशल मीडिया पॉलिसी जारी
उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी 17 बिंदुओं पर जारी की गई है.
हिंदुस्तान अखबार के मुताबिक, प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा है कि उप्र पुलिस का कोई भी अधिकारी-कर्मचारी ड्यूटी पर है अथवा नहीं, लेकिन वह पुलिस प्रतिनिधि होता है. सोशल मीडिया पर उसकी व्यक्तिगत गतिविधियां सीधे पुलिस महकमे की प्रतिष्ठा से जुड़ी होती हैं.
सोशल मीडिया पॉलिसी की खास बातें
- पुलिसकर्मी को सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में यह बताना होगा कि वह उसके निजी विचार हैं और विभाग का इससे कोई संबंध नहीं है.
- महकमे की कोई भी जानकारी बिना उच्चाधिकारियों के संज्ञान में डाले बिना पोस्ट नहीं की जाएगी.
- किसी भी राजनीतिक दल, राजनैतिक व्यक्ति, राजनैतिक विचारधारा के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं होगी.
- कोई भी पुलिसकर्मी सोशल मीडिया पर अपनी व दूसरे की नियुक्ति का उल्लेख नहीं करेगा.
- पुलिसकर्मी पुलिस के लोगों, वर्दी, हथियार के साथ तस्वीर नहीं डालेंगे. यदि वर्दी में फोटो है तो वर्दी पूरी होनी चाहिए.
- पुलिसकर्मी सोशल मीडिया पर अश्लील भाषा या तस्वीर का प्रयोग नहीं करेंगे.
- अपराध की जांच, विवेचना और कोर्ट में लंबित केस के संबंध में कोई जानकारी साझा नहीं करेंगे.
- जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय, व्यवसाय, सेवाएं, संवर्ग, लिंग, क्षेत्र, राज्य के बारे में पूर्वाग्रह या दुराग्रह से ग्रसित कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
- बलात्कार पीड़िता और नाबालिगों की पहचान या नाम सोशल मीडिया पर उजागर नहीं करेंगे.
- जिन आरोपियों की शिनाख्त परेड हो, उनका चेहरा सोशल मीडिया पर सार्वजनिक नहीं करेंगे.
- पुलिसकर्मी अपने अधिकारियों और विभाग के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
- पुलिसकर्मी सरकार या उसकी नीतियां, कार्यक्रम, राजनेता के संबंध में टिप्पणी नहीं करेंगे.
- राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण प्रकरणों में भी सोशल मीडिया पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)