आंबेडकर पर हुए एक सेमिनार में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने जातिवादी मानसिकता पर सवाल उठाते हुए लोगों से सोच बदलने की अपील की.
जाति के आधार पर चल रहे भेदभाव पर खेद व्यक्त करते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि दलित जाति के जो लोग कुएं खोदते हैं और मूर्तियां बनाते हैं, उन्हें कुएं से पानी पीने और मंदिरों में प्रवेश से रोका जाना आज के युग में ठीक नहीं है. लोगों से ऐसी सोच बदलनी चाहिए.
उज्जैन जिले के नागदा में एक सरकारी कॉलेज में डॉ. भीमराव आंबेडकर पर आयोजित एक सेमिनार में गहलोत ने कहा, ‘आप हमसे (दलितों से) कुआं खुदवा लेते हैं, लेकिन हमें पानी पीने से आप रोकते हैं… हम मूर्तियां बनाते हैं, लेकिन मंदिर के दरवाजे हमारे लिए बंद कर दिए जाते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘कुंआ हमेशा हमसे (दलितों से) खुदवा लेते हो, वो जब आपका हो जाता है तो पानी पीने से रोकते हो, तालाब बनाना हो तो मजदूरी हमसे (दलितों से) करवाते हो, उस समय हम उसमें पसीना भी गिराते हैं, थकते हैं, लघुशंका (पेशाब) आती है तो दूर नहीं जाते वहीं करते हैं. परंतु जब उसका पानी पीने का अवसर मिलता है तो फिर कहते हो कि अबदा (दूषित होना) जाएगा.’
गहलोत ने आगे कहा, आप मंदिर में जाकर मंत्रोच्चारण करते हो, उसके बाद वे दरवाज़े हमारे लिए बंद हो जाते हैं. उन्होंने सवाल किया, आख़िर कौन ठीक करेगा इसे?
गहलोत ने कहा, मूर्ति हमने बनाई, भले ही आपने पारिश्रमिक दिया होगा, पर दर्शन तो हमें कर लेने दो, हाथ तो लगा लेने दो.
हालांकि, जाति के आधार पर भेदभाव किसी भी तरह के समाज के लिए कलंक है. भारत, जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव का साक्षी रहा है, लेकिन बदलते वक़्त के साथ इस तरह की रूढ़िवादी सोच में बदलाव भी देखने को मिला है.
गौरतलब है कि 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती है और उसके कुछ ही दिन पहले गहलोत ने जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव पर यह कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
थावरचंद गहलोत मध्य प्रदेश के शाजापुर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में वह मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए हैं और ख़ुद भी अनुसूचित जाति के हैं.
उज्जैन के रूपेता गांव में जन्म लेने वाले गहलोत तीन बार मध्य प्रदेश विधानसभा में भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वह वर्ष 1990-92 के दौरान मध्य प्रदेश की कैबिनेट में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं.
इस बीच, मध्यप्रदेश के महू स्थित डॉ. बीआर अंंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रो. सीडी नायक ने समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में बताया, केंद्रीय मंत्री गहलोत ने जो कहा है वह विडंबना होने के साथ-साथ सत्य भी है. जब तक हम लोगों की सोच को नहीं बदलेंगे, तब तक जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव से 600 साल तक भी मुक्ति नहीं मिलेगी.
आंबेडकर का जन्म इंदौर के पास महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था.
प्रो. नायक ने कहा, जो भी गहलोत ने कहा है वह सत्य है. ऐसा होता रहता है और गहलोत द्वारा ऐसे विचार व्यक्त करने से उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह मंत्री होने के बाद भी समाज में चल रहे इस सामाजिक बुराई को ख़त्म करने में असमर्थ हैं.
उन्होंने कहा, समाज में बदलाव लाने के लिए लोगों की सोच में बदलाव लाना अत्यंत आवश्यक है. नायक ने वोट बैंक की राजनीति के लिए राजनीतिक दलों द्वारा इस जातिवादी प्रथा को बढ़ावा देने के लिए दोषी ठहराया है.
उन्होंने कहा, हमने अंग्रेज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ बिना जात-पात लड़ाई लड़ी थी. अब हम इस जाति प्रथा का अंत करने के लिए अपने लोगों के ख़िलाफ़ भी नहीं लड़ पा रहे हैं.