सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि वेतन के नियमित भुगतान को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं और इस संकट के समाधान के लिए केंद्र पैसे देने के लिए तैयार नहीं है.
नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के सफाई कर्मचारी वेतन के नियमित भुगतान और कर्मियों को स्थायी किए जाने की मांग को लेकर 12 सितंबर से हड़ताल पर हैं.
वेतन की मांग लेकर सफाई कर्मचारियों ने सोमवार को संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस कर्मियों ने बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया और कुछ लोगों पर लाठीचार्ज भी किया गया.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि वेतन के नियमित भुगतान को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं और इस संकट के समाधान के लिए केंद्र कोई भी भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि वे पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाईकर्मियों के वेतन के लिए पैसे जारी नहीं कर सकते हैं.
जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की एक पीठ ने कहा कि अदालत को दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र से गरिमापूर्ण ढंग से प्रतिक्रिया किए जाने की उम्मीद थी. दिल्ली सरकार मानवीय आधार पर नगर निकायों को 500 करोड़ रुपये जारी करने पर सहमत हुई थी.
पीठ ने कहा,‘दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि केंद्र सरकार ने अब एक हलफनामा दाखिल किया है कि वह कोई भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है.’
The Central government told the Supreme Court that it cannot release funds for the payment of salaries to East Delhi Municipal Corporation (EDMC) sanitation workers
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— ANI Digital (@ani_digital) October 8, 2018
न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि तीन अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा था कि सफाई संकट को दूर करने के लिए दो दिनों के भीतर 500 करोड़ रुपये की राशि जारी की जाएगी.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि राशि जारी कर दी गई है.शीर्ष अदालत ने तीन अक्टूबर को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) से पूछा था कि मौजूदा संकट को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा जितनी राशि की पेशकश गई है, क्या वे उतनी ही राशि जारी कर सकते हैं.
इस पर केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह ने पीठ को बताया कि उनके लिए इस संबंध में धनराशि जारी करना संभव नहीं है. पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए अगली तिथि 24 अक्टूबर तय की.
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ अमीर लोगों के ऋण माफ करने होते तो ये तुरंत कर देते, लेकिन नगर निगम के गरीब कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं, जो पिछले तीन सप्ताह से हड़ताल पर हैं.
भाजपा ने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह केंद्र द्वारा ईडीएमसी को दिए जाने वाले कोष को लेकर झूठ बोल रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र को नगर निगमों को 5000 करोड़ रुपए देने हैं.
केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘पिछले हफ़्ते, सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर दिल्ली सरकार ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को 500 करोड़ रुपए दिए. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद 500 करोड़ रुपए देने से मना किया जबकि केंद्र का एमसीडी को 5000 करोड़ रुपए देना बनता है. क्या भाजपा की दिल्ली के प्रति यही ज़िम्मेदारी है? फिर दिल्ली वाले आपको लोकसभा चुनाव में क्यों वोट दें?’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘धोखा, दिल्ली की जनता के साथ धोखा, एमसीडी चुनाव के समय मनोज तिवारी और सभी भाजपा नेताओं ने जनता से वादा किया था, एमसीडी चुनाव जिताएं, हम सीधे मोदी जी से फंड ले कर आया करेंगे, दिल्ली को स्वच्छ बनाएंगे, अब केंद्र ने एमसीडी को दुलत्ती मार दी, ये जुमला साबित हुआ.’
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा झूठ बोला कि ईडीएमसी को 950 करोड़ रुपए दिए. जबकि वास्तविकता है कि इसमें से 350 करोड़ रुपये लोन है, जिस पर सूदखोर दिल्ली आप सरकार, मजबूर ईडीएमसी से 10.50 % की दर से ब्याज वसूल रही है.’
भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर तथ्य छुपाए और अनुदान सहायता के रूप में बड़े आकंड़ों को दर्शाने की यह बेईमानी है, जिसमें वास्तव में ऋण राशि और ब्याज शामिल है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)