स्वयंभू बाबा रामपाल हत्या के दो मामलों में दोषी क़रार

साल 2014 में हिसार स्थित सतलोक आश्रम से चार महिलाओं और एक बच्चे का शव मिलने के बाद रामपाल और उसके 27 अनुयायियों पर हत्या तथा लोगों को गलत तरीके से बंधक बनाने का आरोप लगा था.

स्वयंभू बाबा रामपाल. (फोटो: पीटीआई)

साल 2014 में हिसार स्थित सतलोक आश्रम से चार महिलाओं और एक बच्चे का शव मिलने के बाद रामपाल और उसके 27 अनुयायियों पर हत्या तथा लोगों को गलत तरीके से बंधक बनाने का आरोप लगा था.

स्वयंभू बाबा रामपाल. (फोटो: पीटीआई)
स्वयंभू बाबा रामपाल. (फोटो: पीटीआई)

हिसार: हरियाणा के हिसार की एक स्थानीय अदालत ने हत्या के दो मामलों में स्वयं-भू बाबा रामपाल को बृहस्पतिवार को दोषी क़रार दिया. हिसार के अतिरिक्त ज़िला और सत्र न्यायाधीश डीआर चालिया ने रामपाल और उसके कुछ अनुयायियों को इन मामलों में दोषी ठहराया.

इन मामलों में सज़ा 16 और 17 अक्टूबर को सुनाई जाएगी.

हिसार में बरवाला कस्बे में स्थित रामपाल के सतलोक आश्रम से 19 नवंबर, 2014 को चार महिलाओं और एक बच्चे का शव मिलने के बाद स्वयं-भू बाबा और उसके 27 अनुयायियों पर हत्या तथा लोगों को गलत तरीके से बंधक बनाने का आरोप लगा था.

मालूम हो कि वर्ष 2014 में आश्रम परिसर से रामपाल के 15,000 से ज़्यादा अनुयायियों को खाली कराने को लेकर उसके कुछ समर्थकों और पुलिस के बीच गतिरोध के बाद रामपाल को गिरफ्तार किया गया था. इस गतिरोध ने हिंसक रूप ले लिया जिससे पांच लोगों की मौत हो गई थी.

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रामपाल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. रामपाल ने इस आदेश पर अमल के लिए पुलिस की कार्रवाई का प्रतिरोध किया था. उसने अदालत की अवमानना जैसे आरोपों पर जवाब देने के लिए उच्च न्यायालय में पेश होने से भी इनकार कर दिया था. वह बरवाला हिसार में अपने आश्रम के भीतर छिपा रहा.

रामपाल को नवंबर 2014 में हिसार के बरवाला स्‍थित सतलोक आश्रम से गिरफ्तार किया गया था.

हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में पैदा हुआ रामपाल हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर था. स्वामी रामदेवानंद महाराज के शिष्य बनने के बाद रामपाल ने नौकरी छोड़ प्रवचन देना शुरू किया था. बाद के दिनों में कबीर पंथ को मानने लगा और अपने अनुयायी बनाने में जुट गया.

साल 1999 में करौंथा गांव में उसने सतलोक आश्रम का निर्माण किया. 2006 में रामपाल ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद की किताब को लेकर विवादित टिप्पणी की. इसके बाद आर्य समाज और रामपाल के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस हिंसा में एक महिला की मौत हो गई थी.

उस वक़्त पुलिस ने रामपाल को हत्या के मामले में हिरासत में लिया. जिसके बाद रामपाल को करीब 22 महीने जेल में काटने पड़े. 30 अप्रैल 2008 को वह जमानत पर रिहा हो गया. इसके बाद साल 2014 में रामपाल मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश नहीं हुआ, जिसके बाद कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी के आदेश दे दिए.

हालांकि उस दौरान रामपाल के समर्थकों ने पुलिस से हिंसक झड़प की जिसमें करीब 120 लोग घायल हो गए थे. पुलिस और अर्धसैनिक बलों को जवानों ने 12 दिनों बाद उन्हें गिरफ्तार किया. इस दौरान सतलोक आश्रम से पांच महिलाओं और एक बच्चे की लाश भी मिली थी.

रामपाल और उसके अनुयायियों के ख़िलाफ़ 17 नवंबर 2014 को आईपीसी की धारा 186 सरकारी कामकाज के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा डालना, 332 जान-बूझकर लोकसेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन में चोट पहुंचाना, 353 लोक सेवक को उसका कर्तव्य पूरा करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग के तहत मामला दर्ज किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)