ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश के मेरठ में बीते 23 सितंबर को लव जिहाद के नाम पर पहले विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं और फिर पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए गए युवक-युवती की प्रताड़ना का सिलसिला अब भी जारी है.
‘मैं नर्सिंग का छात्र हूं. मरीज़ को दवा लगाते हुए दिमाग में कभी ये ख़याल नहीं आया कि वह कौन है और किस मज़हब का है. मेरे अधिकतर दोस्त हिंदू हैं, मैं एक हिंदू परिवार में किराये पर रूम लेकर रहता था. लेकिन कभी सोचा नहीं था कि मात्र अपनी दोस्त से बात करने की वजह से कुछ लोग पीटकर चले जाएंगे और पुलिस ऐसे ही खड़ी देखती रह जाएगी.’
बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में लव-जिहाद के नाम पर एक हिंदूवादी संगठन द्वारा पीटे गए नर्सिंग के छात्र आरिफ़ (बदला हुआ नाम) ने ये बात कही है.
तक़रीबन महीना भर हो गया है लेकिन मारपीट के बाद अभी भी आरिफ़ की आंखों का ज़ख़्म भरा नहीं है. घटना के बाद से ही उनके परिवार के लोग बेहद डरे हुए हैं.
आरिफ़ डर की वजह से घर से बाहर नहीं निकलते हैं और न ही अपने कॉलेज वापस जा सकते हैं. हैरानी की बात ये है कि बार-बार गुज़ारिश करने के बाद भी पुलिस ने अब तक उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा मुहैया नहीं कराई है, जबकि उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई थी.
यहां तक कि आरिफ़ पर हमला करने वाले किसी भी आरोपी को पुलिस ने अब तक गिरफ़्तार नहीं किया है. गांव के लोग भी डर के साए में हैं. इस घटना के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता है.
मेरठ ज़िले के आरिफ़ मेरठ के एक नर्सिंग कॉलेज के छात्र हैं. वो कॉलेज के पास में ही किराये पर एक कमरा लेकर रहते हैं. बीते 23 सितंबर को उनकी दोस्त नंदिनी (बदला हुआ नाम) पढ़ाई से संबंधित किताबें और लैपटॉप लेने उनके कमरे पर आई थीं.
आरिफ़ के अनुसार, नंदिनी के कमरे पर पहुंचे हुए अभी पांच मिनट भी नहीं हुए थे कि हिंदूवादी संगठन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कुछ लोग लाठी-डंडा लेकर उनके रूम पर आए और दोनों की पहचान पूछने लगे.
अारिफ़ के मुस्लिम होने और नंदिनी के हिंदू होने की बात से वीएचपी के लोगों ने दोनों को मारना-पीटना शुरू कर दिया. उस दिन आरिफ़ के मकान मालिक घर पर नहीं थे तो पास के ही किसी व्यक्ति ने पुलिस को फोन किया.
हालांकि पुलिस के आने के बाद भी कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा. पुलिस के सामने ही उन्मादी भीड़ आरिफ़ पीटती रही और गाली-गलौज करती रही. आरिफ़ ने बताया कि उनमें से ज़्यादातर लोगों ने भगवा गमछा लपेटा हुआ था और माथे पर लंबा टीका लगा रखा था.
आरिफ़ ने कहा, ‘मैंने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की कि नंदिनी सिर्फ़ मेरी दोस्त हैं और हम पिछले कई साल से साथ में पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी. मेरी छाती पर चढ़कर लात-घूसों से बहुत मारा. मुझे सांस की समस्या है. उस दिन की पिटाई के बाद अब वो दिक्कत बहुत ज़्यादा बढ़ गई है और हैरानी की बात ये है कि ये सब पुलिस के सामने हुआ.’
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मेरठ शहर से क़रीब 30 किलोमीटर दूर आरिफ़ का गांव है. घर में माता-पिता के अलावा उनके तीन भाई और दो बहनें हैं. घर की कमाई का मुख्य ज़रिया खेती है.
आरिफ़ ने बताया कि गांव के कुछ लोग इस घटना का मज़ाक भी बनाते हैं. लोग कहते हैं कि लड़की के चक्कर में पिट गया. अभी तक मेरी मदद के लिए गांव का कोई शख़्स आगे नहीं आया.
उनके माता-पिता इस घटना के बाद काफी डर गए हैं और नहीं चाहते हैं कि फिर कभी किसी शख़्स को धर्म के नाम पर पीटा जाए.
घर के एक कोने में बेहद शांत बैठे आरिफ़ के पिता ने बताया, ‘मेरा बेटा पढ़ने में बहुत अच्छा है. हमारा किसी से कोई झगड़ा भी नहीं है. पता नहीं हमने उनका क्या बिगाड़ा था जो उसे इतना ज़्यादा पीटा है. अगर हिंदू-मुस्लिम साथ में पढ़ाई करते हैं तो ज़ाहिर है पढ़ाई से संबंधित काम के लिए लोगों को आना-जाना पड़ता है. ये लोग कौन होते हैं कि ये तय करें कि कौन किससे बात करेगा.’
हिंदूवादी संगठन वीएचपी ने दोनों पर लव जिहाद का आरोप लगाया है. पुलिस ने इस मामले में 18 ज्ञात और 25-30 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. हालांकि आरिफ़ का कहना है कि इसमें सभी लोग आरोपी नहीं हैं. पांच से छह लोगों पर मुक़दमा चलना चाहिए. पुलिस ने जान-बूझकर बहुत ज़्यादा लोगों को आरोपी बनाया है ताकि सबूतों के अभाव में निर्दोष के साथ आरोपी लोग भी बरी हो जाएं.
आरिफ़ ने कहा, ‘मैंने मनीष लोहिया, अरुण सैनी, दीपक प्रताप, अरुण नागर, प्रशांत मलिक और कुशल गुर्जर के बारे में शिकायत की थी. पुलिस ने बेवजह बहुत सारे लोगों का नाम लिख लिया है. इसकी वजह से किसी को भी सज़ा नहीं होगी.’
द वायर ने नंदिनी और उनके परिवार से बात करने की काफी कोशिश की हालांकि उन्होंने अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए बात करने से मना कर दिया.
आरिफ़ और नंदिनी मेरठ के एक मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग के छात्र-छात्राएं हैं. कॉलेज की प्रिंसिपल जी. मार्टिना देवी और डिप्टी सुप्रिटेंडेंट दिनेश राणा ने बताया कि आरिफ़ पढ़ने में बहुत अच्छा है. इस घटना की वजह से उसकी पढ़ाई को काफी नुकसान पहुंचा है.
राणा ने बताया, ‘मीडिया ने शुरू में इस घटना को खूब भुनाया. जितनी टीआरपी लेनी थी ले ली. लेकिन अब कोई नहीं दिख रहा है. कोई भी ये सवाल नहीं उठा रहा है कि उन दोनों बच्चों को क्यों पुलिस सुरक्षा नहीं दी गई. बिना सुरक्षा के वे कॉलेज पढ़ने नहीं आ सकते. हिंदू धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने दो बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद कर दी.’
दिनेश राणा ने बताया कि इस घटना के बाद वे डीएम और एसएसपी ऑफिस पर धरना देने वाले थे लेकिन उनके पास वीएचपी नेताओं के धमकी भरे फोन आए कि अगर वे ऐसा करते हैं तो वे लोग उनका जीना मुहाल कर देंगे.
अनौपचारिक तौर पर यह भी पता चला कि राणा के ऊपर वरिष्ठ अधिकारियों का भी दबाव था कि वे इस मामले में ज़्यादा न बोलें. हालांकि राणा कहते हैं कि वे दोनों बच्चों की मदद के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे.
उन्होंने कहा कि पूरे मेरठ शहर में अगर कोई नवविवाहित जोड़ा पार्क या किसी सार्वजनिक स्थान पर साथ में दिख जाते हैं तो इन हिंदुवादी संगठन के लोग तुरंत उनके सामने पहुंच कर उनसे पूछताछ करने लगते हैं. उनका पहचान पत्र मांगते हैं, ये जानने के लिए कि ये लोग कहीं बैचलर तो नहीं हैं. ये किस तरीके का समाज बना रहे हैं हम लोग.
मणिपुर की रहने वाली कॉलेज की प्रिंसिपल जी. मार्टिना देवी इससे पहले हैदराबाद में काम करती थीं. पिछले सात-आठ सालों से वह मेरठ में रह रही हैं. वे बताती हैं कि पिछले तीन से चार सालों में इस प्रकार की गतिविधियां बहुत ज़्यादा बढ़ गई हैं.
वे अपने गृह राज्य मणिपुर की तुलना करते हुए कहती हैं, ‘ये किस मानसिकता के लोग हैं. इन लोगों को किसने ये हक़ दे दिया है कि ये लोग तय करें कि कौन किसके साथ शादी करेगा, कौन किससे बात करेगा, कौन किसके साथ रहेगा. वो लड़का पढ़ने में बहुत अच्छा था. मुस्लिम था, लेकिन हिंदुओं के त्योहार में बढ़कर हिस्सा लेता था. वो एक एनजीओ में भी काम करता था जिसमें वो गरीब और कुष्ठ रोग के मरीज़ों को फ्री में दवा देने का काम करता था.’
इस घटना के बाद से उनके साथ पढ़ने वाले दोस्तों पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. आरिफ़ के क़रीबी दोस्त दुष्यंत के माता-पिता ने उनका किराये का रूम छुड़वा दिया है और अब उन्हें रोज़ाना 50 किलोमीटर आना-जाना पड़ता है.
दुष्यंत ने बताया, ‘अगर हिंदू-मुस्लिम लड़के-लड़कियां दोस्त नहीं हो सकते हैं तो फिर हिंदू और मुस्लिमों के कॉलेज को अलग कर देना चाहिए. उनके क्लास भी अलग कर देने चाहिए, उनके रास्ते भी अलग कर देने चाहिए और हर किसी को धर्म के आधार पर इलाज करना चाहिए. अगर हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है तो हमारा समाज सांप्रदायिक क्यों होता जा रहा है? नेता लोग ऐसे गुंडों को शह दे रहे हैं.’
वहीं एक अन्य दोस्त दीक्षा ने बताया कि उनकी क्लास में हिंदू-मुस्लिम सभी समुदाय के लोग साथ में रहते हैं. सभी लोग आपस में काफी अच्छे दोस्त हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत हैरान हूं कि इन गुंडों पर अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. हर किसी को अपना दोस्त चुनने का हक़ है. वो चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, दलित हो, किसी भी जाति का हो, धर्म का हो. बाबा साहेब आंबेडकर ने हमें ये अधिकार दिया है.’
इस मामले में अभी तक किसी भी आरोपी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. आरिफ़ ने कहा कि वे इन सभी लोगों से नहीं लड़ सकते हैं क्योंकि इनके पीछे कई सारे ताकतवर लोग खड़े हैं. उन्होंने कहा कि वे जल्दी से पढ़ाई ख़त्म करके अपने घर का सहारा बनना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम गरीब लोग हैं. हमारा कोई साथ नहीं देगा. जिनके ऊपर न्याय करने की जिम्मेदारी है, वो आरोपियों के पक्ष में खड़े हैं.’